एनपीयू के शैक्षणिक सत्र में सुधार नहीं, शोध कार्यों को नहीं मिली गति
स्थापना काल के बाद विश्वविद्यालय से यहां के छात्रों को उम्मीद थी. वह आज भी पूरी नहीं हो सकी.
मेदिनीनगर. नीलांबर -पीतांबर विश्वविद्यालय की स्थापना 17 जनवरी 2009 को की गयी थी. लेकिन स्थापना काल के बाद विश्वविद्यालय से यहां के छात्रों को उम्मीद थी. वह आज भी पूरी नहीं हो सकी. स्नातकोत्तर एनपीयू में नामांकित विद्यार्थियों की पढ़ाई जीएलए कॉलेज के हॉबी सेंटर में संचालित हो रही है. सभी सत्र का सेशन विलंब से चल रहा है. करीब सभी विभागों में शिक्षकों की कमी है. जिसके कारण छात्रों की पढ़ाई भी बाधित है. एनपीयू में पिछले दो सालों से स्थायी ना तो वीसी, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक हैं. जिसके कारण विश्वविद्यालय का कोई भी काम समय पर नहीं हो पाता है. आये दिन छात्र अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन करते रहते हैं. विश्वविद्यालय ने छतरपुर डिग्री कॉलेज, जपला में स्थित झरहा डिग्री कॉलेज, लातेहार महिला कॉलेज में प्रिंसिपल की प्रतिनियुक्ति कर अपनी उपलब्धि को गिनाने में लगी हुई है, जबकि हकीकत यह है कि वे कॉलेज में किसी भी विभाग में न शिक्षक की नियुक्ति हो पायी है. न ही कोई शिक्षकेतर कर्मी की और न कोई गार्ड. ऐसे में विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा कैसे प्राप्त हो. शैक्षणिक सत्र भी एनपीयू में काफी लेट चल रहा है. स्नातकोत्तर सत्र 2021- 23 फाइनल सेमेस्टर परीक्षा का रिजल्ट, 2022-24 द्वितीय सेमेस्टर का रिजल्ट अभी तक जारी नहीं हो सका है, जबकि दूसरी तरफ बीएड सत्र 2022-24 चतुर्थ सेमेस्टर परीक्षा का फॉर्म भरवाकर परीक्षा लेने की तैयारी कर रहा है. स्नातक सत्र 2021-24 पांचवें सेमेस्टर की ही परीक्षा आयोजित हो सकी है. पीजी सत्र 2024-26 में विद्यार्थियों का नामांकन आखिर कब से शुरू होगा. स्थापना काल के बाद से शोध कार्य को जो गति मिलनी चाहिए थी. वह भी पूरा नहीं हो सकी. मालूम हो कि झारखंड गठन होने के बाद विभिन्न दलों के नेताओं के द्वारा लगातार प्रयास व संघर्ष के बाद पलामू में नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय की स्थापना 17 जनवरी 2009 में की गयी थी.
विश्वविद्यालय स्थापना का उद्देश्य अधूरा रह गया : रंजन
युवा छात्र नेता रंजन कुमार यादव ने कहा कि पलामू जैसे पिछले प्रमंडल में विश्वविद्यालय बनाने का जो उद्देश्य था वह अधूरा रह गया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सिर्फ डिग्री बांटने का केंद्र बन कर रह गया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में पठन-पाठन की व्यवस्था सुदृढ़ होना जरूरी है. विश्वविद्यालय पठन -पाठन और शैक्षणिक सत्र को नियमित करने, नयी शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी महाविद्यालयों में सेमिनार आयोजित करना अनिवार्य है. जिससे विद्यार्थियों में नयी शिक्षा नीति की व्यापक समझ विकसित हो सके और शोध कार्य को गति देने का ईमानदारी पूर्वक प्रयास करें. विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के बगल में हेल्प डेस्क लगे, जिससे विद्यार्थियों को आसानी पूर्वक सभी कार्यों की जानकारी उपलब्ध हो सके.
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