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गलत तरीके से नियुक्त 512 पारा शिक्षकों को हाइकोर्ट से नहीं मिली राहत

शिक्षा निदेशक ने शिक्षण कार्य पर लगायी थी रोक, प्रमंडलीय आयुक्त ने जांच रिपोर्ट में लिखा था, 512 पारा शिक्षकों का चयन अनुमोदन निर्धारित मापदंड के अनुरूप नहीं

मेदिनीनगर. पलामू जिले के छतरपुर व नौडीहा बाजार प्रखंड में गलत तरीके से नियुक्त 512 पारा शिक्षकों को झारखंड हाइकोर्ट से भी राहत नहीं मिली. हाइकोर्ट ने एक जुलाई के आदेश में झारखंड एजुकेशन प्रोजेक्ट काउंसिल व प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी द्वारा निर्गत पत्र पर किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. साथ ही इन्हें पुनः कार्य पर रखने एवं वेतन भुगतान देने के आदेश से भी इंकार किया है. इसके साथ ही याचिका निष्पादित कर दी. मालूम हो कि झारखंड शिक्षा परियोजना के निदेशक ने पलामू के जिला शिक्षा अधीक्षक को निर्देश दिया था कि छतरपुर के 302 व नौडीहा बाजार के 210 सहायक अध्यापक पर अनुशासनिक सह प्रशासनिक प्राधिकार का निर्णय प्राप्त होने के बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकेगी. फिलहाल उनसे कार्य नहीं लें. इसके बाद छतरपुर व नौडीहा बाजार के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने पत्र निर्गत कर इन सभी पारा शिक्षकों के शिक्षण कार्य पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद 348 पारा शिक्षकों ने इस मामले को लेकर 2023 में हाइकोर्ट में 11 याचिकाएं दायर की थी.

विधानसभा में उठा था मामला :

पलामू के दोनों प्रखंडों में पारा शिक्षकों को अवैध नियुक्ति के आधार पर हटाने का मामला विधानसभा में भी उठा था. तत्कालीन विधायक राधाकृष्ण किशोर ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में मामला उठाया था. जिसके बाद विधायक विनोद सिंह की अध्यक्षता में विधानसभा की विशेष कमेटी गठित की गयी थी. विशेष समिति ने पाया कि पूर्व में दो कमेटियों की जांच रिपोर्ट में भिन्नता है. इस पर विशेष समिति ने प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में नयी कमेटी गठित कर जांच की अनुशंसा की थी.

आयुक्त ने सरकार को भेजी थी जांच रिपोर्ट :

तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने 21 दिसंबर 2022 को जांच रिपोर्ट सरकार को भेजी थी. जिसमें उन्होंने जिक्र किया था कि तत्कालीन प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने अपने दायित्व का निर्वहन सही तरीके से नहीं किया. उन्होंने तत्कालीन बीइइअो के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की थी. जांच में लिखा था कि 512 पारा शिक्षकों का चयन अनुमोदन निर्धारित मापदंड के आधार पर नहीं है.

प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी की लापरवाही :

पूर्व की समीक्षा बैठक में पाया गया था कि छतरपुर व नौडीहा प्रखंड में 437 पारा शिक्षकों की बहाली आवश्यक प्रक्रिया पूरी किये बिना ही कर दी गयी थी. इसमें तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की लापरवाही सामने आयी थी. 2009 में पारा शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति के मामले में सेवानिवृत्त बीइइओ रामाशीष प्रसाद को जेल भी जाना पड़ा था. उनके पेंशन पर भी रोक लगा दी गयी थी. वर्ष 2003 से 2006 तक तत्कालीन बीइइओ लल्लू प्रसाद जबकि 2007 से 2009 तक बीइइओ रामाशीष प्रसाद द्वारा पारा शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति की गयी थी. छतरपुर प्रखंड में 274 व नौडीहा प्रखंड में 173 शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति की गयी थी. इस मामले में प्रखंड व जिला के पदाधिकारी की अनुशंसा नहीं ली गयी थी. पिछले 12 वर्षों से अधिक समय तक राजनीतिक दबाव के कारण फर्जी पारा शिक्षकों को मानदेय भुगतान किया जा रहा था.

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