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विश्रामपुर नप क्षेत्र में पेयजल के लिए हाहाकार

लाइफ लाइन भेलवा नदी सूख चुकी है. कोयल में भी पानी का बहाव लगभग बंद. तालाब, कुएं व अन्य जलस्रोत मार्च में ही सूख चुके हैं.

विश्रामपुर. भीषण गर्मी के बीच विश्रामपुर नगर परिषद में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है. नगर परिषद की लाइफ लाइन भेलवा नदी कब की सूख चुकी है. कोयल नदी में भी पानी का बहाव लगभग बंद हो चुका है. वहीं क्षेत्र के तालाब, कुएं व अन्य जलस्रोत मार्च महीने में ही सूख चुके हैं. जिससे जल स्तर 250 फीट से भी नीचे चला गया है. इस कारण नप क्षेत्र के कई चापाकलों से पानी निकलना बंद हो गया है. प्रत्येक वर्ष गर्मी में पेयजल की किल्लत होती है. जन प्रतिनिधि, नप प्रतिनिधि व नगरीय प्रशासन बड़े-बड़े दावे व वादे करते हैं, लेकिन होता कुछ नहीं है. गर्मी बीतने के बाद पेयजल समस्या को सब भूल जाते हैं. ऐसा नहीं है कि सरकारी स्तर पर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने का प्रयास नहीं किया गया. प्रयास हुआ लेकिन असफल रहा. पेयजल आपूर्ति की दो योजनाएं शुरू की गयी, लेकिन एक भी धरातल पर नहीं उतर पायी. सरकार ने लाखों रुपये पेयजल आपूर्ति योजना पर खर्च किया. लेकिन समस्या जस की तस रही. आज नगर परिषद की 45 हजार की आबादी पेयजल की किल्लत से जूझ रही है. चालू ही नहीं हुई रेहला पेयजलापूर्ति योजना : पेयजल समस्या के निदान के लिए 1999 में एकीकृत बिहार के तत्कालीन मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने रेहला पेयजलापूर्ति योजना की आधारशिला रखी थी. 99 लाख की लागत से बनने वाली इस पेयजलापूर्ति योजना से एक बूंद पानी भी लोगों को मयस्सर नहीं हो पायी. इस योजना के चालू होने से पहले ही इसे मृत घोषित कर दिया गया. वृहद ग्रामीण पेयजल योजना भी रह गयी अधूरी : 2011 में फिर एक पेयजलापूर्ति योजना लायी गयी. जिसका नाम विश्रामपुर वृहद ग्रामीण पेयजलापूर्ति योजना रखी गयी. इस योजना का शिलान्यास तत्कालीन विधायक चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने पांच मार्च 2011 को किया था. नौ करोड़ 58 लाख की लागत से बनने वाली इस योजना का काम आंध्रप्रदेश की विश्वा कंपनी को दिया गया था. यह योजना भी आधी-अधूरी ही रह गयी. बाद में इसे भी मृत घोषित कर दिया गया. 27 करोड़ की दो योजना सात वर्ष पूर्व हुई थी स्वीकृत : नगर विकास विभाग द्वारा लगभग 27 करोड़ की लागत से दो पेयजलापूर्ति योजना स्वीकृत की गयी. रेहला पेयजलापूर्ति योजना नौ करोड़ 11 लाख की लागत से बननी थी. जिसका शिलान्यास भी पांच वर्ष पूर्व हो चुका है. लेकिन कार्य की प्रगति लगभग शून्य है. विश्रामपुर के लिए भी 17 करोड़ 90 लाख की पेयजलापूर्ति योजना स्वीकृत की गयी थी. लेकिन यह योजना भी धरातल पर नहीं उतरी. जलस्तर नीचे जाने से कई चापाकल मृतप्राय : आंकड़ों के अनुसार विश्रामपुर नगर परिषद क्षेत्र में लगभग दो हजार सरकारी चापाकल हैं. इसमें से कई जलस्तर नीचे चले जाने के कारण मृतप्राय हो चुके हैं. वहीं मामूली खराबी के कारण दर्जनों चापाकल बेकार हैं. हालांकि नगर परिषद सूचना मिलने के बाद चापाकल की मरम्मत करा रही है. सात हजार की आबादी जनसेवा ट्रस्ट के भरोसे : विश्रामपुर नगर परिषद के मुख्य क़स्बा रेहला में सालों भर बीसीसीएल जनसेवा ट्रस्ट द्वारा टैंकर से पेयजल की आपूर्ति की जाती है. रेहला की लगभग सात हजार की आबादी पेयजल के लिए इसी ट्रस्ट के भरोसे है. जनसेवा ट्रस्ट जो पेयजल रेहला वासियों को देता है, आबादी के अनुसार वह नाकाफी है. टैंकर के आते ही पानी लेने के लिए लोग मारामारी शुरू कर देते हैं. यह स्थिति वर्षों से चली आ रही है. नगर परिषद कुछ वार्डों में ही करा रही जलापूर्ति : विश्रामपुर नगर परिषद पानी की किल्लत को देखते हुए कुछ चिह्नित वार्डों में ही टैंकर से पेयजलापूर्ति करा रही है. लेकिन आबादी के अनुरूप वह नाकाफी है. कई वार्डों में पेयजल के लिए लोग तरस रहे हैं. हालांकि नप अधिकारी हर वार्ड तक पेयजलापूर्ति का दावा कर रहे हैं. लेकिन धरातल पर सच्चाई कुछ अौर है. निवर्तमान नप अध्यक्ष हलीमा बीबी ने कहा कि इस संबंध में कार्यपालक पदाधिकारी से बात कर सभी वार्डों तक पेयजल की आपूर्ति करायी जायेगी.

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