पलामू के छात्र का आईआईटी रोपड़ में पीएचडी के लिए हुआ चयन, कहा- करें कुछ ऐसा की याद रखे जमाना

पलामू के मेदिनीनगर के रहने वाले छात्र अमिताभ त्रिपाठी का चयन आईआईटी रोपड़ में पीएचडी के लिए हुआ. उन्होंने कहा कि यह मंजिल का सिर्फ पहली पड़ाव है, अभी बहुत कुछ करना बाकी है. सिर्फ इंजीनियर बनने से कुछ हासिल नहीं होता, कुछ काम ऐसा करना ही लक्ष्य है, जिससे जमाना याद रखे.

By Jaya Bharti | December 20, 2023 3:43 PM

पलामू, सैकत चटर्जी: पलामू जिले के पड़वा प्रखंड के सखुआ गांव निवासी शिक्षक कमलनाथ तिवारी के पुत्र अमिताभ त्रिपाठी का चयन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रोपड़ में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग अंतर्गत कंप्यूटर विजन विषय में पीएचडी के लिए हुआ है. फिलहाल अमिताभ त्रिपाठी का परिवार मेदिनीनगर में रहता है.

पिता हैं शिक्षक

अमिताभ के पिता पेशे से शिक्षक हैं, जो प्रधानाध्यापक के पद पर हैं. माता गृहणी हैं. पूरा परिवार वर्तमान में मेदिनीनगर के न्यू एरिया, हमीदगंज में रहता है. परिवार में माता-पिता के अलावा अमिताभ के दो छोटे भाई हैं, जिसमें एक भाई अमितेश त्रिपाठी भी इंजीनियरिंग में एनआईटी कुरूक्षेत्र से एम टेक करके कार्यरत है. जबकि छोटा भाई अभिनव त्रिपाठी बीसीए की पढ़ाई कर रहा है.

प्रारंभिक शिक्षा हिंदी स्कूलों में

परिवार वालों ने बताया कि अमिताभ और उनके दोनों भाइयों की प्रारंभिक पढ़ाई से दसवीं तक, हमीदगंज स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर से हुई. इसके बाद 12वीं की पढ़ाई एम.के.डी.ए.वी मेदिनीनगर से हुई, उसके बाद उच्च शिक्षा बीटेक के लिए उन्होंने एस.आई.आर टी भोपाल का रुख किया. वहीं 2020 में गेट क्वालीफाई करने के बाद एमटेक एनआईटी जालंधर से किया और फिलहाल बेंगलुरु के स्मार्टसाक कंपनी में कार्यरत हैं

लक्ष्य था कि बने इंजिनियर

उनके माता-पिता ने बताया कि बचपन से ही अमिताभ का उद्देश्य इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त कर कार्य करना था. उनके बचपन के सहपाठी रहे उमेश ने बताया कि अमिताभ बचपन से ही मेधावी थे और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनका शुरू से रुझान था. अमिताभ की इस उपलब्धि यानी आईआईटी में चयन पर परिवार समेत उनके शुभचिंतकों में हर्ष का माहौल व्याप्त है.

करें कुछ ऐसा की याद रखे जमाना

प्रभात खबर को अमिताभ ने बताया कि यह मंजिल का सिर्फ पहली पड़ाव है, अभी बहुत कुछ करना बाकी है. उन्होंने कहा कि सिर्फ इंजीनियर बनने से कुछ हासिल नहीं होता, कुछ काम ऐसा करना ही लक्ष्य है, जिससे जमाना याद रखे.

Also Read: झारखंड:बोकारो की बिटिया शांभवी शांडिल्य को Google ने दिया 55 लाख का पैकेज, सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनकर बढ़ाएगी मान

Next Article

Exit mobile version