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पलामू को जरूरत 100 मेगावाट की, मिल रही 80 मेगावाट बिजली

भीषण गर्मी से बिजली व्यवस्था भी अछूती नहीं, बिजली की अत्यधिक खपत के कारण लोड से जल जा रहे केबल

मेदिनीनगर.

पलामू में भीषण गर्मी से बिजली विभाग भी अछूता नहीं है. अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण केबल में जगह-जगह आग लग जा रही है. शुक्रवार को बाजार क्षेत्र में केबल में आग लगने के कारण एक घंटा से अधिक बिजली आपूर्ति बाधित रही. वहीं रेड़मा क्षेत्र में भी गुरुवार को दिन में केबल में आग लग गयी थी. जिसके कारण विद्युत आपूर्ति बाधित हुई. जिले को 100 मेगावाट बिजली की जरूरत है. जबकि मात्र 80 मेगावाट ही मिल पा रही है. जिस कारण सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति सही ढंग से नहीं हो पा रही है. मेदिनीनगर डिवीजन में दो लाख 26 हजार उपभोक्ता हैं, जबकि छतरपुर डिवीजन में 51 हजार उपभोक्ता हैं. मेदिनीनगर डिवीजन को गर्मी में प्रतिदिन 70 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ती है. जबकि छतरपुर डिवीजन को 28 से 30 मेगावाट की. लेकिन छतरपुर डिवीजन में प्रतिदिन 12 से 14 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो रही है. जिसके कारण छतरपुर शहरी क्षेत्र में मात्र 16 से 17 घंटे बिजली मिल पा रही है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 14 से 15 घंटे ही बिजली मिल रही है. बिजली विभाग के अनुसार गर्मी से पहले मेदिनीनगर डिवीजन में प्रतिदिन 55 से 60 मेगावाट बिजली की जरूरत होती थी. लेकिन अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण 70 मेगावाट की जरूरत पड़ रही है. जबकि बिजली 65 से 70 मेगावाट ही मिल रही है. लोकल खराबी, फ्यूज उड़ने, गर्मी के कारण जगह-जगह केबल में आग लगने के कारण विद्युत आपूर्ति बाधित हो रही है. फीडर में भी खराबी आने के कारण बिजली बंद की जा रही है.

लोड व गर्मी के कारण केबल में लग रही आग : कार्यपालक अभियंता ने बताया कि पलामू में भीषण गर्मी व लोड के कारण एलटी केबल में आग लग रही है. जिसके कारण भी विद्युत आपूर्ति बाधित हो रही है. उपभोक्ता संयमित तरीके से बिजली का उपयोग करें. ताकि एलटी केबल पर लोड कम पड़े व निर्बाध विद्युत आपूर्ति की जा सके.

मोहम्मदगंज बाजार में बिजली की स्थिति खराब : स्टेशन रोड में ट्रांसफॉर्मर के तीनों फेज से बिजली की नियमित आपूर्ति नहीं होने से उपभोक्ता परेशान हैं. हालांकि अन्य इलाके में बिजली निर्बाध रूप से मिलती है. स्टेशन रोड का बड़ा रिहायशी इलाका इस तरह की परेशानी झेल रहा है. विभाग के कर्मियों ने बताया कि स्टेशन रोड के लिए लगे ट्रांसफॉर्मर से यह तकनीकी समस्या है. लोड शेडिंग के कारण यह स्थिति बनी रहती है. शुक्रवार को दोपहर 12 बजे से स्टेशन रोड में बिजली आपूर्ति नियमित नहीं रही. लोग झुलसा देने वाली गर्मी से परेशान रहे.

पाटन में बिजली की कटौती से लोग परेशान : प्रखंड के लोग बिजली की कटौती से परेशान हैं. पाटन मुख्यालय स्थित ग्रिड से पांच पीएसएस कुम्हवा, गहरपथरा, पदमा, परसाईं संचालित होता है. इसके लिए 13 से 14 मेगावाट बिजली चाहिए. लेकिन सिर्फ चार से पांच मेगावाट ही आपूर्ति होती है. इसी से पांच पीएसएस को बिजली आपूर्ति करनी पड़ती है. पाटन प्रखंड की बात करें, तो यहां छह फीडर पाटन, किशुनपुर, सिक्की, सहदेवा, नावाजयपुर, सगुना हैं. सिर्फ किशुनपुर फीडर के लिए गर्मी में तीन मेगावाट बिजली चाहिए. इसी तरह सगुना, सिक्की को डेढ़-डेढ़ मेगावाट बिजली चाहिए. जबकि पाटन, नावाजयपुर को डेढ़ से पौने दो मेगावाट, पाटन व सहदेवा फीडर को चालू करने के लिए आधा-आधा मेगावाट बिजली चाहिए. बताया गया कि चार-पांच मेगावाट जो बिजली मिलती है, उसमें भी आधा से पौन मेगावाट बिजली हिंडालको कंपनी को चली जाती है. सुदना ग्रिड से सिर्फ चार-पांच मेगावाट बिजली ही मिल पाती है. इसी से सभी फीडर बारी-बारी संचालित होते हैं. इस स्थिति में फूल लोड मिलने के बाद भी दो से तीन मेगावाट बिजली कम खपत करनी पड़ती है. ऐसे में पाटन को सबसे अधिक 13 से 14 घंटे बिजली मिल पा रही है. जबकि किशुनपुर क्षेत्र के लोगों को सिर्फ आठ-नौ घंटे ही बिजली मिल रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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