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ऑन ड्यूटी घायल पुलिसकर्मी ने बतायी अपनी व्यथा, कोई पूछनेवाला भी नहीं, अच्छा होता की हम उस दिन शहीद हो जाते : जयराम

इससे तो अच्छा होता कि हम उस दिन शहीद हो जाते, यह कहना है जयराम पासवान का. जो एक पुलिसकर्मी हैंं. जिस विभाग में काम करते हुए जयराम ऑन ड्यूटी घायल हुए हैं. वहीं विभाग अब उनकी कोई सुध नहीं ले रहा है. उन्होंने जो अपनी व्यथा बतायी वह कई सवाल खड़ा कर रहा है. सवाल है कि जयराम के इस हालत के लिए आखिर जिम्मेवार कौन है. आखिर जयराम ऐसा कहने पर क्यों विवश हैं?

Jharkhand News, Palamu News पलामू : इससे तो अच्छा होता कि हम उस दिन शहीद हो जाते, यह कहना है जयराम पासवान का. जो एक पुलिसकर्मी हैंं. जिस विभाग में काम करते हुए जयराम ऑन ड्यूटी घायल हुए हैं. वहीं विभाग अब उनकी कोई सुध नहीं ले रहा है. उन्होंने जो अपनी व्यथा बतायी वह कई सवाल खड़ा कर रहा है. सवाल है कि जयराम के इस हालत के लिए आखिर जिम्मेवार कौन है. आखिर जयराम ऐसा कहने पर क्यों विवश हैं?

जयराम चलने-फिरने में असमर्थ

जयराम फिलहाल चलने-फिरने में असमर्थ हैं. उसे बिस्तर पर भी पकड़ कर उठाना-लेटाना पड़ता है. अभी जो दवा चल रही है वो काफी महंगा है. उसे जो वेतन मिलता है उसका आधा पैसा लोन में कट जाता है. उसकी पत्नी की मौत पहले ही किडनी की बीमारी से हो चुकी है. उसके इलाज के समय जो आठ लाख कर्ज लिए थे वह पैसा भी भरना पड़ रहा है. देखरेख करने वाले तीन बच्चे हैं. बच्चो की पढ़ाई भी पैसे के अभाव में ठीक से नहीं हो पा रहाी है. बेटी की शादी कैसे होगी यह बोलते-बोलते जयराम के आंखों से आंसू निकल जाता है.

मुख्यमंत्री से उम्मीद

अब जयराम की उम्मीद झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर ही टिकी है. उन्हें एक ही उम्मीद है कि किसी तरह अखबार के माध्यम से उनकी बात मुख्यमंत्री तक पहुंच जाये तो वे जरूर मदद करेंगे. जयराम कहते हैं कि अगर मुख्यमंत्री की मदद नहीं मिली तो वो तो मर जायेंगे ही उनके बाल-बच्चे भी बिखर जायेंगे.

Posted By : Sameer Oraon

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