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चंद्रयान-3 मिशन में पलामू का बेटा व बहू ने बढ़ाया देश का मान, राज्य के इन जिलों के वैज्ञानिक को भी जानें

चंद्रयान-3 मिशन में पलामू के बेटे अभिषेक और उनकी पत्नी हर्षित भी शामिल होकर राज्य और जिले का नाम रोशन किया. दोनों पति-पत्नी चंद्रयान प्रोजेक्ट में शामिल हैं. हर्षीता को यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है.

पलामू, चंद्रशेखर सिंह : चांद पर भारत. चंद्रयान-3 के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के साथ देश में खुशी का माहौल है. इस खुशी में पलामू का बेटा और बहू भी शरीक हैं. पलामू जिले के हुसैनाबाद थाना क्षेत्र स्थित कामत गांव के अनिरुद्ध नारायण सिंह के पुत्र अभिषेक व पुत्रवधू हर्षित चंद्रयान प्रोजेक्ट में शामिल हैं.

पलामू के पुत्र व पुत्रवधू ने बढ‍़ाया मान

भारत चांद पर अपना तिरंगा फतेह कर दिया है. भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 का लैंडर चांद की सतह पर पहुंच चुका है. यह सभी भारतीय के लिए गर्व की बात है. इस मिशन को सफल बनाने में इसरो की पूरी टीम के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की है. इस टीम में झारखंड के पलामू जिला के हुसैनाबाद थाना क्षेत्र स्थित कामत गांव के अनिरूद्ध नारायण सिंह के पुत्र अभिषेक कुमार व पुत्रवधू हर्षित भी शामिल हैं. पति-पत्नी दोनों भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अहमदाबाद में कार्यरत हैं. हर्षीता को यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है.

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अभिषेक ने छतरपुर से प्रांरभिक शिक्षा प्राप्त की

अभिषेक की प्रारंभिक शिक्षा छतरपुर, पलामू में हुई. इसके बाद पटना से 12वीं पास करने के बाद आईआईटी, बेंगलुरु से बीटेक की पढ़ाई की. वहीं, अभिषेक की पत्नी आईआईटी, खड़गपुर से एमटेक की है. चंद्रयान-3 डिजाइंग प्रोजेक्ट से जुड़े थे. अभिषेक के पिता अनिरुद्ध नारायण सिंह 1971 में हार्वे हाई स्कूल से मैट्रिक पासआउट थे. फिलहाल देवघर जिला में सिंचाई विभाग के एग्जक्यूटिव इंजिनियर के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद पटना में रहते हैं.

बहू हर्षित को राष्ट्रपति से मिल चुका है अवॉर्ड

चंद्रयान-2 की लैंडर का डिजाइन हर्षिता ने की थी, लेकिन चंद्रयान-2 सफल नहीं हो सका था. चंद्रयान-3 टीम में शामिल होने पर स्थानीय विधायक सहित प्रमुख लोगों ने हर्ष व्यक्त करते हुए दोनों वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए उज्वल भविष्य की कामना की है.

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चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण टीम में डीएवी के दो पूर्व छात्रों ने निभायी अहम भूमिका

दूसरी ओर, डीएवी पब्लिक स्कूल कोयला नगर, धनबाद के दो छात्रों ने चंद्रयान-3 की प्रक्षेपण टीम में अपनी सहभागिता निभाते हुए स्कूल का नाम रोशन किया. इस अभियान को सफल बनाने में विद्यालय के दो पूर्ववर्ती छात्र सुमित रत्न एवं अयाज अहमद ने प्रमुख भूमिका निभायी. सुमित रतन वर्ष 2009 बैच के छात्र थे, जबकि अयाज अहमद वर्ष 2014 के बैच के छात्र थे. फिलवक्त दोनों छात्र इसरो में ही कार्यरत हैं. संपूर्ण विद्यालय परिवार दोनों छात्रों की इस उपलब्धि पर गौरवान्वित है. विद्यालय के प्राचार्य एनएन श्रीवास्तव ने दोनों छात्रों की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उनके स्वर्णिम भविष्य की कामना की. उन्होंने कहा कि दोनों छात्रों ने डीएवी स्कूल के साथ-साथ पूरे देश का नाम रोशन किया है.

गिरिडीह के रजत व अंकित ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग में निभाई अहम भूमिका

इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग करवा इतिहास रच दिया. भारत पूरी दुनिया में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बना. इसरो के इस अभियान में देश के कोने-कोने के वैज्ञानिकों ने अपना अहम योगदान दिया. इसमें बीएनएस डीएवी पब्लिक स्कूल, गिरिडीह के छात्र गिरिडीह के रजत भदानी और अंकित सिंह ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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बीएनएस डीएवी पब्लिक स्कूल से प्लस टू तक की शिक्षा प्राप्त की

रजत भदानी पचंबा के पेठियाटांड़ निवासी दिवंगत विनोद राम के पुत्र हैं. दिवंगत विनोद राम पेशे से व्यवसायी थे. रजत भदानी की बचपन से लेकर प्लस टू तक की शिक्षा दीक्षा बीएनएस डीएवी पब्लिक स्कूल से हुई. चंद्रयान-3 के क्रायोजेनिक इंजन ( रॉकेट के ऊपरी स्टेज का इंजन) में अभूतपूर्व योगदान देकर गिरिडीह गौरव बढ़ाया है. बतौर वैज्ञानिक रजत वर्ष 2018 से इसरो में कार्यरत हैं. इन्होंने चंद्रयान-2 में भी अपनी सेवाएं दी हैं. रजत ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, परिवार वालों, कांतिलाल देशमुख व बीडी झा समेत एवं विद्यालय सभी शिक्षकों को दिया है.

उज्ज्वल भविष्य की कामना

बीएनएस के प्राचार्य डॉ पी हाजरा ने दोनों छात्रों को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है. कहा कि चंद्रयान-तीन को चंद्रमा के दुर्गम स्थल दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करवा देश ने इतिहास रच दिया. उन्होंने इस मिशन में शामिल देश के सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी है. कहा कि इस अभियान में विद्यालय के छात्र रजत भदानी और अंकित सिंह ने अपना अहम योगदान देकर गिरिडीह का नाम रोशन किया है. विद्यालय का अटल टिंकरिंग लैब नवाचार को ध्यान में रखकर बाल वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करता रहता है. अंकित सिंह विद्यालय में एक प्रतिभा संपन्न बाल वैज्ञानिक के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं.

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