पलामू टाइगर रिजर्व : अब एप व कैमरा ट्रैपिंग से होगी बाघों की गिनती
पहले बाघ सहित अन्य जंगली जानवरों की गिनती में अलग-अलग प्रारूपों में मैनुअल डाटा तैयार किया जाता था. अब 1129 वर्ग किलोमीटर में स्थित पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की वास्तविक संख्या की गिनती के लिए 509 लोकेशन में 500 कैमरा ट्रैप के साथ 400 प्रशिक्षित टाइगर ट्रैकर व अन्य वन कर्मियों को लगाया जायेगा.
Palamu Tiger Reserve, पलामू न्यूज (संतोष कुमार) : झारखंड के एकमात्र बाघ आरक्षित पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में वैज्ञानिक और उच्च तकनीकी संसाधन का प्रयोग कर इस बार बाघों की गिनती की जायेगी. बाघों की गणना में एनटीसीए द्वारा लांच मोबाइल एप्लीकेशन एम-स्ट्राइप्स (मॉनिटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर इंटेंसिव प्रोटक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस) एप व कैमरा ट्रैपिंग तकनीक का इस्तेमाल होगा. एम-स्ट्राइप एप के इकोलॉजिकल वर्जन के इस्तेमाल से न केवल बाघ का फोटो बल्कि लोकेशन का पूरा डाटा एप खुद स्टोर कर लेगा. मोबाइल एप में जीपीएस के माध्यम से जियो टैग फोटो प्राप्त होने पर उसका डाटा तैयार किया जायेगा. पहले बाघों की गणना में फील्ड स्टाफ, वन अधिकारियों व कर्मचारियों को कागजी प्रक्रिया अपनानी पड़ती थी. इस बार बाघों की गणना में पेपर वर्क के बजाय गिनती पूरी तरह से डिजिटल होगी.
पहले बाघ सहित अन्य जंगली जानवरों की गिनती में अलग-अलग प्रारूपों में मैनुअल डाटा तैयार किया जाता था. इसमें मानवीय त्रुटियों की आशंका रहती थी. 1129 वर्ग किलोमीटर में स्थित पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की वास्तविक संख्या की गिनती के लिए 509 लोकेशन में 500 कैमरा ट्रैप के साथ 400 प्रशिक्षित टाइगर ट्रैकर व अन्य वन कर्मियों को लगाया जायेगा. बाघों की गणना का काम अक्तूबर से शुरू होगा, जो दिसंबर तक चलेगा. वहीं दूसरी ओर गणना के लिए कर्मियों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू कर दिया गया है.
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पीटीआर के फील्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष के अलावा आइएफएस नरेंद्र कुमार, कैमरा ट्रैप तकनीशियन मनीष कुमार, एम स्ट्राइप्स विशेषज्ञ रवींद्र कुमार, देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के एक्सपर्ट से प्रशिक्षण पाकर लौट चुके हैं. उनके द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके बाद फाइनल रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जायेगी. 2022 के जुलाई में ग्लोबल टाइगर डे पर पूरे भारत में बाघों की संख्या, बाघ गणना रिपोर्ट प्रधानमंत्री जारी करेंगे़ इसमें पलामू टाइगर रिजर्व के आंकड़े को भी शामिल किया जायेगा. 2018 में प्रधानमंत्री द्वारा जारी रिपोर्ट में पीटीआर में बाघों की संख्या को शून्य बताया गया था.
हर चार वर्ष के अंतराल में पूरे भारत में बाघों की गिनती की जाती है. पीटीआर प्रबंधन बाघों की वास्तविक संख्या का पता लगाने में जुटी है. पदाधिकारियों के अनुसार दो वर्ग किलोमीटर का एक ग्रिड बनाया जायेगा. सभी ग्रिड में गहनता से बाघों की गिनती करायी जायेगी. वैसे लोकेशन जहां बाघों की मौजूदगी की संभावना अधिक है, वहां दो कैमरा ट्रैप लगाये जायेंगे, जबकि कम संभावित क्षेत्र में कैमरा नहीं लगाया जायेगा, सिर्फ मोबाइल तकनीक से गिनती की जायेगी.
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बाघ को छोड़कर हर वर्ष वन्य प्राणियों की गिनती करायी जाती है, लेकिन बाघों की गिनती के दौरान अन्य जंगली जानवरों की भी गिनती करायी जायेगी. इन्हें दो समूहों में बांटा गया है़ इसमें बाघ, तेंदुआ सहित अन्य हिंसक जंगली जानवरों को पहले व हाथी, बाइसन सहित अन्य शाकाहारी जीवों को दूसरे वर्ग में रखा गया है. विभागीय पदाधिकारियों के अनुसार वर्तमान में करीब 80 तेंदुआ पीटीआर में मौजूद हैं. संभावना जतायी जा रही है कि जिस इलाके में तेंदुआ का वर्चस्व है, वहां बाघ होने की संभावना कम है, क्योंकि बाघ वाले इलाके में तेंदुआ नहीं रहते हैं.
पीटीआर में बाघ संभावित क्षेत्र में बाघों के स्केट (मल) पर विशेष नजर रहेगी. विभागीय पदाधिकारियों के अनुसार बाघों के स्केट भी उनकी मौजूदगी के पुख्ता प्रमाण होते हैं. वर्तमान में पीटीआर के अलग-अलग तीन जगहों पर स्केट मिले हैं, जिसे जांच के लिए देहरादून स्थित वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भेजा गया है.
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पीटीआर के फील्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने बताया कि पीटीआर में बाघों की गिनती हाइटेक तरीके से की जायेगी़ गणना में किसी तरह की त्रुटि न रहे, इसका पूरा ख्याल रखा जायेगा. आधुनिक तकनीकी के प्रशिक्षण के बाद गणना की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. पीटीआर प्रबंधन का प्रयास है कि बाघों की वास्तविक संख्या को राष्ट्रीय स्तर पर बताया जा सके. पीटीआर में बाघ की मौजूदगी के प्रमाण मिल रहे हैं. इसलिए दोगुने उत्साह के साथ कार्य किया जायेगा.
Posted By : Guru Swarup Mishra