एशिया के इकलौते भेड़िया आश्रयणी में कैमरे में कैद हुई भेड़िये के बच्चों की तस्वीर, चिंतित वन विभाग को राहत
Jharkhand News: झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व के कैमरे में भेड़िये के बच्चों की तस्वीर कैद हुई है. इनकी तस्वीर को क्षेत्र में लगाये गये कैमरा ट्रैप में कैद किया गया है. इससे वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी काफी उत्साहित हैं.
Jharkhand News: झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के महुआडांड़ वन प्रक्षेत्र स्थित एशिया के इकलौते भेड़िया आश्रयणी में भेड़ियों की संख्या में लगातार कमी देखी जा रही है. इस बीच सुखद खबर ये है कि पलामू टाइगर रिजर्व के कैमरे में भेड़िये के बच्चों की तस्वीर कैद हुई है. इनकी तस्वीर को क्षेत्र में लगाये गये कैमरा ट्रैप में कैद किया गया है. इससे वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी काफी उत्साहित हैं. भेड़ियों की घटती संख्या से विभाग काफी चिंतित था.
भेड़ियों की संख्या में कमी से चिंतित था वन विभाग
पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले झारखंड के सबसे ऊंचे लोध फॉल व सुग्गा बांध के बीच का इलाका भेड़ियों के लिए जाना जाता है. इन इलाकों में बड़ी संख्या में भेड़िये पाये जाते थे. इस कारण इस क्षेत्र को भेड़िया आश्रयणी घोषित कर इनकी देखरेख के लिए सरकार के द्वारा विशेष व्यवस्था की गयी है. बावजूद इसके भेड़ियों की संख्या में कमी होने से विभागीय पदाधिकारी चिंतित थे.
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भेड़ियों के संवर्धन व संरक्षण के लिए अलग से फंड
हाल ही में कैमरा ट्रैप के द्वारा भेड़िये के बच्चों की तस्वीर कैद हो जाने से वन विभाग के पदाधिकारियों ने राहत की सांस ली है. उन्हें भेड़ियों की संख्या में बढ़ोत्तरी के पुख्ता प्रमाण मिले हैं. ये स्पष्ट हुआ है कि भेड़ियों की संख्या बढ़ रही है. उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. भेड़ियों के संवर्धन व संरक्षण के लिए सरकार के द्वारा अलग से फंड भी आवंटित किया जाता है.
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कभी थे 206 भेड़िये
आंकड़ों के अनुसार करीब 6000 हेक्टेयर में भेड़िया आश्रयणी फैला हुआ है. ये एशिया महादेश का इकलौता भेड़िया आश्रयणी है, जो पलामू प्रमंडल में आता है. 2012-13 में यहां 206 भेड़िये पाये गये थे. विभागीय पदाधिकारियों के अनुसार लोध फॉल के आसपास भेड़ियों को लगातार प्रत्यक्ष रूप से देखा जा रहा है.
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उत्साहित करने वाली है तस्वीर
पलामू टाइगर रिजर्व के क्षेत्र निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि कैमरा ट्रैप के जरिये भेड़िये के बच्चों की तस्वीर को कैद किया गया है. जगह-जगह पर कैमरा ट्रैप लगाये गये हैं. इस कारण अलग-अलग जानवरों की तस्वीरें कैद हो रही हैं. वर्तमान में सेंसस का कार्य भी चल रहा है. लगाये गये कैमरा ट्रैप में ही भेड़िये के बच्चों को देखा गया है.
रिपोर्ट: संतोष कुमार