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पिपरमेंट की खेती से किसानों की बढ़ रही आमदनी, प्लांट लगने से अब तेल निकालने के लिए नहीं जाना पड़ेगा बिहार

Jharkhand News, पलामू न्यूज (जितेन्द्र प्रसाद) : झारखंड के पलामू जिले के हुसैनाबाद के दंगवार के दुमरहथा गांव के किसान पिपरमेंट की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रहे हैं. यह क्षेत्र प्रखंड के उत्तरी क्षेत्र में झारखंड-बिहार सीमा पर स्थित है. यहां 22 एकड़ में किसान पिपरमेंट की खेती कर रहे हैं. प्लांट लगने से अब किसानों को तेल निकालने के लिए बिहार नहीं जाना पड़ेगा. इससे पैसे व समय की बचत होगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 21, 2021 5:48 PM

Jharkhand News, पलामू न्यूज (जितेन्द्र प्रसाद) : झारखंड के पलामू जिले के हुसैनाबाद के दंगवार के दुमरहथा गांव के किसान पिपरमेंट की खेती कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रहे हैं. यह क्षेत्र प्रखंड के उत्तरी क्षेत्र में झारखंड-बिहार सीमा पर स्थित है. यहां 22 एकड़ में किसान पिपरमेंट की खेती कर रहे हैं. प्लांट लगने से अब किसानों को तेल निकालने के लिए बिहार नहीं जाना पड़ेगा. इससे पैसे व समय की बचत होगी.

दुमरहथा के किसान प्रियरंजन सिंह, कृष्णा मेहता, चंद्रदेव मेहता, प्रमोद सिंह, अशोक सिंह, बिनोद सिंह, अनोज सिंह, सूर्यदेव मेहता, अनुज मेहता, रामाधार पाल, शंकर सिंह, भगवान सिंह, अशोक मिस्त्री, संजय मिस्त्री, गणेश मिस्त्री, चौखंडी के शिव पाठक आदि किसानों ने बीकेएस एग्रीफार्म प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटिड का गठन कर इस खेती की शुरुआत की है.

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समिति के प्रियरंजन सिंह ने बताया कि किसानों ने दुमरहथा में 22 एकड़ में पिपरमेंट की खेती की है. इसे फरवरी माह में लगाया जाता है. 90 दिनों में तैयार हो जाता है. पहला कटिंग 90 दिन बाद, जबकि दूसरा कटिंग पुनः 45 दिन के बाद की जाती है. एक एकड़ में 20 केजी बीज लगता है. जिसका कीमत 80 रुपये प्रति केजी है. बीज में तकरीबन 35 हजार की लागत आती है. माह में चार बार पटवन की जाती है. प्रति एकड़ 50 से 60 लीटर तेल निकलता है. बाजार में इसके तेल की कीमत 1500 -1800 प्रति केजी है. दिल्ली व नोयडा के व्यापारी खुद आकर तेल की खरीदारी करते हैं. इस सीजन में तकरीबन 1100 -1500 लीटर तेल होने की संभावना है.

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हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र के किसानों के लिये नीलगायों द्वारा फसल बर्बाद करने की समस्या सिरदर्द बनी हुई है. चाहकर भी किसान नकदी फसल नहीं लगा पाते है, लेकिन पिपरमेंट की खेती को नीलगायों से कोई नुकसान नहीं है. कोई भी जानवर पिपरमेंट के पौधों को नहीं खाता है. नीलगायों से निजात का भी यह एक विकल्प है.

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किसानों ने बताया कि पिपरमेंट की खेती औषधीय है. इसका तेल खासकर जोड़ों के दर्द में रामबाण इलाज है. इसके अलावा अन्य दर्दों में भी यह लाभदायक है. स्नान के दौरान इसके एक-दो बूंद तेल का उपयोग करने पर पूरे दिन ताजगी महसूस होती है. इसके साथ-साथ सर्दी-जुकाम के अलावा इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन में भी होता है.

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प्रियरंजन सिंह ने बताया कि पहले पौधा को लेकर तेल निकालने के लिए बिहार के दिनारा, कोचस आदि जगहों में जाना पड़ता था. जिससे समय व आर्थिक नुकसान होता था. इस समस्या से निजात पाने के लिए नवम्बर 2020 में पलामू उपायुक्त के जनता दरबार में बात रखी गयी थी. पलामू उपायुक्त ने किसानों के दर्द को समझा. उनकी पहल पर नीति आयोग की ओर से 15 लाख की लागत से दुमरहथा में ही तेल निकालने का प्लांट लगाया जा रहा है. इस सीजन में इसी प्लांट से तेल निकाला जाएगा. इस प्लांट से किसानों को पैसे व समय की बचत होगी.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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