मेदिनीनगर, चंद्रशेखर सिंह : ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भौगोलिक समृद्धि से भरपूर पलामू जिले में पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है. लेकिन इन स्थानों पर सुविधाओं का विस्तार नहीं किया जा रहा है, जिससे यहां कम संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. इसके अलावा यहां पर सुरक्षा के प्रबंध भी नहीं है. इसके बाद भी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. पिकनिक स्पॉट भी बहुत हैं, लेकिन ये विकसित नहीं किये गये. इसलिए मजबूरी में स्कूल, व्यक्तिगत व टूरिज्म सामूहिक ट्रिप के लिए दूसरी जगहों पर जाना पड़ता है. पलामू जिला के विभाजन के बाद बेतला नेशनल पार्क पलामू किला सहित अन्य कई पर्यटन स्थल लातेहार जिला में चले गये, जिससे पलामू में पर्यटन स्थलों की कमी दिखने लगी, लेकिन ऐसी भी बात नहीं है. पलामू में अभी भी पर्यटन स्थलों की कमी है. तालाब व नदियों के तट भी पर्यटन के लिए विकसित किया जा सकता हैं. पर्यटन के विकास के लिए सरकार गंभीर नहीं है. कुछ तत्कालीन पदाधिकारी ने पलामू के पर्यटन स्थलों के विकास के लिए योजनाएं तो बनायी, लेकिन वह सिर्फ प्रस्ताव बनाकर रह गया. कहीं कुछ पैसे खर्च भी किये गये, लेकिन उसका नतीजा भी सिफर ही. पलामू जिले में मोहम्मदगंज का भीम चुल्हा, चैनपुर का रानीताल, चियांकि पहाड़ , सतबरवा का मलय डैम सहित करीब आधा दर्जन से ज्यादा ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हैं. इन स्थलों को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है. जिससे सैलानी पूरा समय बीता सकते है. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं. इन पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन इन स्थलों पर ठहरने सहित अन्य सामान्य सुविधाएं नहीं होने से क्षेत्र पर्यटन स्थलों के रूप में स्थापित नहीं हो पा रहा हैं. कुछ खास जगहों को विकसित करने के लिए बड़े बजट की स्वीकृति के संकेत दिये गये थे, लेकिन हुआ कुछ नहीं है .
पलामू जिले के चार स्थान को मिला पर्यटन स्थल का दर्जा
मोहम्मदगंज का भीम चूल्हा, चियांकी पहाड़ , सतबरवा का मलय डैम, हैदरनगर का देवी धाम को पर्यटन स्थल का दर्जा मिल चुका है. इन्हें विकसित करने के प्रयास शुरू हुए हैं, लेकिन वह अभी नाकाफी है. पलामू के मोहम्मदगंज में भीम चूल्हा को पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने के बाद इसके परिसर को विकसित करने के लिए जिला मद से 35 लाख का विकास कार्य पूरा किया गया. इसमें पार्किंग स्थल, पार्क व वाच टॉवर का निर्माण समेत अन्य कार्य शामिल हैं.साथ ही सोया गया.पार्किंग स्थल के नाम पर वाहनों से वसूली तो होती है वाहनों का रख रखाव का कोई व्यवस्था नहीलर ऊर्जा से परिसर में रोशनी देना शामिल है.बावजूद इसके पर्यटकों को सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा है . मकर सक्रांति के अवसर पर मेला का डाक के नाम पर राजस्व को वसूली अंचल कार्यालय से होती है, मगर मेला में दुकान लगाने व मेला में आने वालों के लिए कोई सुविधा नही मिलती. पेयजल व अन्य सुविधा का अभाव भी है.
पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने से रोजगार निकलेगा
बेरोजगारी की समस्या झेल रहे पलामू जिले के लिए इन पर्यटन स्थलों का विकसित कर हजारों लोगों के लिए रोजागर उपलब्ध कराया जा सकता है. औद्योगिक रूप से पिछड़े जिले में पर्यटन क्षेत्रों से जुड़े अन्य अप्रत्यक्ष व्यापार भी क्षेत्र में सैकड़ों परिवारों की रोजी का साधन बन सकता हैं. इको टूरिज्म का विकास कर पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित किया जा सकता है. पलामू जिले के मेदिनीनगर सहित आसपास के लाखों पर्यटक पर्यटन स्थलों का लुत्फ उठाने के लिए अन्य स्थलों पर जाने को विवश होते हैं, लेकिन यदि यहां के पर्यटन स्थलों को विकसित किया जायेगा, तो इलाके की तस्वीर बदल सकती थी.
पर्यटक स्थलों को विकसित करने की योजना है : उमेश लोहरा
पलामू के खेल सह प्रभारी पर्यटक पदाधिकारी उमेश लोहरा ने बताया कि पलामू में पर्यटक स्थलों को विकसित करने की सरकार की योजना है. सतबरवा के मलय डैम को और विकसित करना है, ताकि सैलानियों को इस ओर आकर्षण बढ़े. साथ ही लोगों को रोजगार भी मुहैया हो सके. स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जायेगा.मलय डैम में बोंंटिग चलाया जा रहा है.लोग काफी आनंद उठा रहे हैं.. वहीं सकार को राजस्व भी प्राप्त हो रहा है. उन्होंने कहा कि रानीताल डैम को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा जायेगा.
Also Read: Prabhat Khabar Impact: झारखंड पर्यटन के वेबसाइट से पलामू जिला गायब, शिकायत मिलने पर हुआ ठीक