Jharkhand Assembly Election 2024: पलामू प्रमंडल में बदला राजनीतिक परिदृश्य, कांग्रेस की कमजोर हुई धार, जानिए कैसा रहा है इतिहास
झारखंड राज्य गठन के बाद पलामू प्रमंडल में कांग्रेस पार्टी की धार कमजोर हुई. जबकि पलामू प्रमंडल कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. . आंकड़ों पर गौर करें तो झारखंड बनने के बाद 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में पलामू प्रमंडल में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था.
Plamu|Congress|Jharkhand Assembly Election 2024|रांची| अविनाश: अविभाजित बिहार में पलामू प्रमंडल कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. झारखंड राज्य गठन के बाद पलामू प्रमंडल में कांग्रेस पार्टी की धार कमजोर हुई. आंकड़ों पर गौर करें तो झारखंड बनने के बाद 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में पलामू प्रमंडल में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था. वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने पलामू प्रमंडल की तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी. विश्रामपुर से चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे, डालटनगंज से केएन त्रिपाठी और भवनाथपुर से अनंत प्रताप देव ने चुनाव जीता था. लेकिन, 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी यह प्रर्दशन बरकरार नहीं रख सकी. 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने पलामू प्रमंडल की नौ सीट में से सिर्फ एक सीट पांकी से (विदेश सिंह ) जीत दर्ज की थी. विधायक रहते विदेश सिंह का वर्ष 2016 में निधन हो गया था. इसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह ने जीत दर्ज की थी.
विश्रामपुर को कांग्रेस की परंपरागत सीट माना जाता था
2019 का चुनाव बिट्टू हार गये थे. लेकिन 2024 के चुनाव में पांकी विस क्षेत्र का राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है. कांग्रेस ने यहां से पूर्व मंत्री मधु सिंह (अब दिवंगत )के पुत्र लाल सूरज को अपना प्रत्याशी बनाया है. वर्ष 2016 में पांकी विस उपचुनाव में लाल सूरज ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. बिट्टू सिंह इस बार निर्दलीय मैदान में हैं. वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने प्रमंडल की सिर्फ एक सीट मनिका में (रामचंद्र सिंह) जीत दर्ज की थी. विश्रामपुर सीट को कांग्रेस की परंपरागत सीट माना जाता था. यहां चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने 1985, 1990, 2000 और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की है. इस बार इस सीट से कांग्रेस ने सुधीर चंद्रवंशी को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, राजद ने पहले ही सीट से अपने प्रत्याशी नरेश प्रसाद सिंह को उतारा है.
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भाजपा लगातार दो दफा से जीत रही हैं चुनाव
वहीं, भवनाथपुर सीट जिस पर अब तक आठ बार कांग्रेस के जीतने का इतिहास रहा है, वह सीट गठबंधन में झामुमो के कोटे में चली गयी है. इसका विरोध भी कांग्रेसियों ने किया. वहीं, बात यदि डालटनगंज सीट की करें, तो 1985 के बाद 2009 में इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. 1985 में कांग्रेस के ईश्वर चंद पांडेय (अब दिवंगत) ने इंदर सिंह नामधारी को हराया था. उसके बाद 2009 में केएन त्रिपाठी ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे इंदर सिंह नामधारी के पुत्र दिलीप सिंह नामधारी को हराया था. इस बार केएन त्रिपाठी चुनाव मैदान में हैं और दिलीप सिंह नामधारी भी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. डालटनगंज सीट पर भाजपा के आलोक चौरसिया लगातार दो दफा से चुनाव जीत रहे हैं. वर्ष 2005 से त्रिपाठी लगातार कांग्रेस के टिकट पर डालटनगंज विस से चुनाव लड़ रहे हैं.