इप्टा के 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन मेदिनीनगर के टाउन हॉल में संगोष्ठी हुई. इसमें विभिन्न राज्यों से आये प्रतिनिधियों ने भाग लिया. संगठन को मजबूत बनाने व देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के बाद कई प्रस्ताव पारित किये गये. प्रथम सत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक परिदृश्य, देश में चल रहे सामाजिक आंदोलनों व इप्टा के कार्यों पर आधारित महासचिव की रिपोर्ट पर चर्चा की गयी.
बिहार इप्टा के सचिव फिरोज अशरफ खान ने कहा कि साझा फोरम के लिए राज्य व इकाई स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने का प्रयास होना चाहिए. केरला इप्टा की मनीषा ने कहा कि राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल सभी राज्य इकाई मिलकर सांस्कृतिक प्रस्तुति के लिए साझा योजना तैयार करें.
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उत्तर प्रदेश के दीपक कबीर ने किसान दिवस व पूर्व महासचिव राजेंद्र रघुवंशी के समृद्ध दिवस पर कार्यक्रम करने का प्रस्ताव दिया. राजस्थान इप्टा के संजय विद्रोही ने महासचिव राष्ट्रीय कैलेंडर बनाने व राष्ट्रीय व राज्य इकाइयों के साथ संवाद की निरंतरता पर बल दिया. मध्य प्रदेश से शिवेंद्र शुक्ला ने राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों की कार्यशाला के आयोजन की जरूरत बतायी.
छत्तीसगढ़ से मणिमा मुखर्जी व प्रीतपाल सिंह ने भी कई सुझाव दिये. इसके अलावा पंजाब, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, झारखंड, तेलंगाना, असम, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड आदि राज्यों के प्रतिनिधियों ने महासचिव की रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए सुझाव दिये.
इप्टा के महासचिव राकेश वेदा ने कहा कि रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान जो भी सुझाव आये हैं, उस पर अमल करने का प्रयास किया जायेगा. संगोष्ठी में उषा आठके ने देश में झूठ और नफरत पर आधारित राजनीति के विरुद्ध प्रेम और सद्भाव का प्रस्ताव रखा. कहा कि भारतीय समाज में अनेक सदियों से व्याप्त गंगा-जमुनी संस्कृति, मानव-मूल्य, करुणा, उदारता, प्रेम और सद्भाव को झूठ और नफरत की राजनीति से प्रतिस्थापित करने का हरसंभव प्रयत्न हो रहा है.
यह झूठ और नफरत का जलजला मानव जीवन के अनेक पहलुओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है. झूठ और नफरत फैलाने वाली राजनीतिक-सांस्कृतिक शक्तियों के खिलाफ इप्टा सांस्कृतिक स्तर पर प्रेम, सद्भाव, सामाजिक न्याय, करुणा, इतिहास-बोध को पुख्ता करने के लिए कृतसंकल्प है.
विनीत तिवारी ने उर्दू भाषा के प्रति भेदभाव व सांप्रदायिकता के खिलाफ प्रस्ताव रखा. जिसे सर्वसम्मति से पास कर लिया गया. इसके अलावा देश की नयी शिक्षा नीति के खिलाफ तथा पर्यावरण संरक्षण व आदिवासियों की सुरक्षा का प्रस्ताव पारित किया गया. सांगठनिक चुनाव के दौरान देश के प्रसिद्ध नाटककार प्रसन्ना इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व तनवीर अख्तर महासचिव चुने गये.