गरीब व अशिक्षित ने समझा वोट का महत्व
मतदान को लेकर भारत चुनाव आयोग के निर्देश पर प्रशासन के द्वारा मतदाताओं को तरह-तरह से जागरूक किया गया.
मेदिनीनगर. मतदान को लेकर भारत चुनाव आयोग के निर्देश पर प्रशासन के द्वारा मतदाताओं को तरह-तरह से जागरूक किया गया. इसे लेकर स्वीप कार्यक्रम के तहत कई गतिविधियां संचालित की गयी. नि:संदेह इससे मतदान को लेकर लोग जागरूक हुए होंगे. लेकिन कुछ ऐसे भी नागरिक हैं, जिन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं कि आखिर स्वीप कार्यक्रम के तहत मतदाता जागरूकता के लिए क्या किया जाता है. फिर भी ये लोग मतदान को लेकर जागरूक दिखे. सच पूछिए तो मतदान को लेकर सही मायने में यही मतदाता जागरूक हैं. मतदान की असली अहमियत इन्हें ही मालूम है. बात की जा रही है लातेहार जिला के छिपादोहर के सुकन सिंह एवं उनकी पत्नी सुलखनी देवी और उन जैसे लोगों की. वे लोग डालटनगंज रेलवे स्टेशन पर दतुवन और दोना, पत्तल बेच कर आजीविका चलाते हैं. ये दंपती प्रतिदिन डालटनगंज रेलवे स्टेशन के सामने दतुवन, दोना, पत्तल बेचते हैं. सप्ताह में तीन से चार दिन बाद घर लौटते हैं और जंगल से दातुन, पत्ता तोड़ कर बेचते हैं. उन्हें स्टेशन पर ही कभी-कभी रात गुजारनी पड़ती है. इनसे जब मतदान के बारे में पूछा गया तो तपाक से दोनो पति-पत्नी ने चुनाव की स्याही लगी उंगली दिखायी और चहक कर कहा, बिना वोट देले आइल ही का, अन्हारे उठ के पहले वोट देली तब पसिंजर धर के यहां आइल ही दुकानदारी करे, का जानली. क्यू वोट देते हैं ? इस सवाल पर सुकन सिंह ने कहा की बिना वोट देल गुजारा नईखे, जब के वोट शुरू होइलबा तब से देत ही, आगे भी देब.
पहले वोट दिया तब पकड़ी ट्रेन :
इसी तरह रेडमा निवासी अधिवक्ता यशवंत तिवारी वोट देकर रांची चोपन एक्सप्रेस से नगर ऊंटारी अपनी बेटी के घर ट्रेन से जा रहे थे. पाटन थाना क्षेत्र के गहर पथरा निवासी पंकज सिंह ट्रेन से ससुराल जा रहे थे. उनके साथ नीरज सिंह भी थे. इसी प्रकार शाहपुर के रामसेवक प्रजापति व उनकी पत्नी चूटरी देवी वोट देने के बाद ट्रेन से रमुणा में अपने फार्म हाउस जा रहे थे. इन लोगो से जब बात की गयी, तो रामसेवक प्रजापति ने कहा की सुबह ठीक सात बजे उन्होंने अपने बूथ पर वोट किया, साथ में उनकी पत्नी भी थी, इसके लिए सुबह छह बजे से ही लाइन में लगने की तैयारी की. वोट देने एक बाद घर जाकर जलपान किया और ट्रेन पकड़ने निकले. यशवंत तिवारी ने कहा की हमलोग पढ़े-लिखे लोग ही अगर काम का बहाना बना कर वोट नही देंगे, तो फिर कौन देगा. इसलिए ट्रेन छूटने की नौबत रहने पर भी पहले वोट दिया फिर हांफते हुए स्टेशन पहुंचे. पंकज सिंह और नीरज सिंह ने भी जरूरी काम से बाहर जा रहे थे, लेकिन जाने से पहले उन्होंने वोट करना जरूरी समझा. उन्होंने कहा कि ट्रेन छूट जाती, तो कोई बात नहीं, वोट नहीं छूटना चाहिए था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है