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PM Awas की बाट जोह रहे पलामू के परहरिया में आदिम जनजाति के परिवार, कच्चे घरों में आज भी रहने को हैं मजबूर

पीएम आवास योजना से पलामू के परहरिया टाेला के आदिम जनजाति परिवार आज भी वंचित हैं. आवास नहीं मिलने से इस टोला के लोग झोपड़ीनुमा कच्चे घर में रहने को विवश हैं. इस मामले को लेकर ग्रामीण जहां घूस लेने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं अधिकारी अपनी समस्या बता रहे हैं.

Jharkhand News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का संकल्प है कि देश मे कोई घर कच्चे का न रहे. देश के हर नागरिक का घर पक्के का हो. इसलिए उन्होंने पूरे देश में महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) की शुरुआत की. लेकिन, सिस्टम में बैठे अधिकारी-कर्मचारी इस महत्वाकांक्षी योजना को सफल होने नहीं दे रहे हैं. अधिकारी और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली में बदलाव नहीं हो पा रहा है. जिसके कारण वास्तविक जरुरतमंदों तक इस योजना का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है.

आदिम जनजाति के 60 परिवार परेशान

विश्रामपुर नगर परिषद अंतर्गत वार्ड नंबर-19 के पचघारा गांव में एक परहिया टोला है. इस टोला में आदिम जनजाति के 60 परिवार रहते हैं. इस टोला पर रहने वाले लोगों के लिए बरसात का मौसम परेशानी का सबब बन जाता है. परेशानी का मूल कारण उनका झोपड़ीनुमा घर है. बरसात का पानी इनके घरों में ही टपकता है. सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इस टोला में प्रधानमंत्री शहरी आवास नगण्य बना है. 60 परिवारों के बीच सिर्फ तीन लोगों को ही अबतक आवास मिला है.

ग्रामीण और अधिकारियों के अपने-अपने आरोप

सरकारी योजनाओं का लाभ इस टोले को नहीं मिलने का मुख्य कारण इनके शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ना है. हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि कार्यालय कर्मियों को रिश्वत नहीं दिया इसलिए आवास योजना की स्वीकृति नहीं मिली. वहीं, नप अधिकारियों की माने तो दस्तावेज की कमी के कारण परहिया टोला में आवास स्वीकृत नहीं किया गया है.

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राजद नेता को ग्रामीणों ने सुनायी अपनी परेशानी

राजद नेता नईमुद्दीन अंसारी परहिया टोला गये थे. जहां इन्हें घेरकर ग्रामीणों ने अपनी परेशानियों से अवगत कराया और आवास दिलाने की मांग की. श्री अंसारी ने लोगों को आश्वस्त किया कि इस दिशा में सकारात्मक पहल करेंगे. जरूरत पड़ी तो आंदोलन का भी रुख अख्तियार किया जायेगा. मौके पर रामजी यादव, सुकन परहिया, राजदेव परहिया, अखिलेश परहिया, लल्लू परहिया, बचन परहिया, रघुबीर परहिया, कामेश्वर परहिया, लखराज परहिया सहित कई लोग मौजूद थे.

ग्रामीणों की अपनी पीड़ा

साहेब के पइसा नाही देली त कईसे मिलतई आवास : दुखन परहिया
ग्रामीण दुखन परहिया ने नगर परिषद के अधिकारियों-कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाया .उसने ठेठ गंवई भाषा में कहा कि साहेब के पईसा नाही देली त कईसे आवास मिलतई. साहेब से कहले रही कि जब आवास के पाईसा मिलतई त ओहि में से दे देबाई. लेकिन, साहेब लोग के पहिले पाईसा चाही. दुखन परहिया के बातों ने नगर परिषद कार्यालय के कार्य प्रणाली पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.

रिश्वत देने के लिए 25 हजार रुपये कहां से लायें : महेंद्र परहिया

ग्रामीण महेंद्र परहिया ने कहा कि आवास देने के नाम पर 25 हजार रुपये नप कर्मियों द्वारा मांगा जाता है. एकमुश्त 25 हजार रुपये रिश्वत देने के लिए कहां से लायें. बगैर रिश्वत दिये आवास मिलना ही नहीं है. मजबूरन परिवार के साथ झोपड़ी में रहते हैं.

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गरीब के कोई नखई सुनेवाला : मानमती देवी

परहिया टोला की मानमती देवी ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि गरीब के कोई सुनने वाला नखई. दूसर-दूसर गांव में पक्का मकान वाला के भी आवास मिलल हई. हमारा पास न पईसा हई आउ न ही कोई नेता के पैरबी हई.

कई बार आवेदन दिलवाया, नहीं मिली स्वीकृति : सलीमुद्दीन

वार्ड नंबर 19 के निवर्तमान पार्षद सलीमुद्दीन अंसारी ने कहा कि परहिया जाति के लोगों का कई बार आवास योजना के लिए आवेदन नप कार्यालय में जमा किया. कई बार तो प्रयास कर के MIS भी करवाया. स्थलीय जांच भी हुआ, लेकिन कार्यालय अधिकारी और कर्मियों ने फाइनल डीपीआर से इनका नाम हर बार बाहर कर दिया. जिसके कारण इस टोले पर आवास नहीं मिल पाया.

आवेदन लेकर भी नप कार्यालय नहीं करता अग्रतर कार्रवाई : हलीमा

विश्रामपुर नप के निर्वतमान अध्यक्ष हलीमा बीबी ने कहा कि पचघारा गांव में आवास योजना के लिए तीन वर्ष पूर्व विशेष शिविर लगवाया था. शिविर में आवेदन और दस्तावेज संग्रह किया गया. संग्रहित आवेदन व दस्तावेज को नप कार्यालय में जमा भी किया गया, लेकिन नप कार्यालय ने कोई भी अग्रेतर कार्रवाई नहीं की .

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हेमंत सरकार के राज में आदिवासियों के साथ हो रही नाइंसाफी : ऋतुराज

BJMC के जिला अध्यक्ष ऋतुराज मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदिवासियों के हित का दावा करते हैं और उनके राज में ही आदिवासियों के साथ ना-इंसाफी हो रहा है. उन्होंने कहा कि पीएमओ कार्यालय को इस बारे में पत्र लिखकर अवगत करायेंगे. जरूरत पड़ी तो नप कार्यालय का घेराव भी करेंगे.

तकनीकी कारण और दस्तावेजों की कमी से नहीं हो पाया आवास : सुभाष

विश्रामपुर नगर परिषद के नगर प्रबंधक सुभाष हेंब्रम ने कहा कि परहिया टोला के लोगों के पास जमीनी दस्तावेज की कमी है जिसके कारण तकनीकी परेशानी हो रही है. इसलिए इस टोला पर अपेक्षित प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत नहीं हो पाया है. उन्होंने आवास योजना में वसूली के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया.

रिपोर्ट : ब्रजेश दुबे, विश्रामपुर, पलामू.

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