प्रियंका ने पढ़ाई के आड़े नहीं आने दी दिव्यांगता
जन्म से ही प्रियंका अपने दोनों हाथों से दिव्यांग है. दोनों हाथों का आकार बिल्कुल छोटा है. दाहिने हाथ में तीन तथा बायें हाथ में सिर्फ दो उंगलियां हैं.
चाकुलिया : जन्म से ही प्रियंका अपने दोनों हाथों से दिव्यांग है. दोनों हाथों का आकार बिल्कुल छोटा है. दाहिने हाथ में तीन तथा बायें हाथ में सिर्फ दो उंगलियां हैं. प्रियंका के पिता सुकुमार सीट एक होटल में काम करते हैं, जबकि मां सुमा सीट गृहिणी हैं. प्रियंका एक वर्ष की उम्र से ही अपने दाहिने हाथ की तीन ऊंगलियां के सहारे पेंसिल पकड़ना शुरू कर दिया था.
धीरे-धीरे वह पेंसिल से कॉपी पर तरह-तरह की आकृति बनाने लगी, जिसे देख परिवारवालों की आस जगी. चार वर्ष की उम्र में उसे स्कूल में भर्ती करा दिया गया. इसके बाद वह दिव्यांगता को मात देते हुए आगे बढ़ती गयी और अब वह आनंद मार्ग हाइस्कूल में 5वीं में पढ़ती है. प्रियंका के पढ़ने की ललक को देखते हुए आनंद मार्ग हाइस्कूल के प्रधानाचार्य ने उसकी फीस माफ कर दी.
साथ ही उसे लिखने में दिक्कत न हो, इसके लिए शिक्षकों ने ही एक चौकी की व्यवस्था कर दी, ताकि लिखने के दौरान उसे अधिक झुकना न पड़े. अब वह अपनी कॉलोनी के दूसरे बच्चों के साथ खेलती भी है और साइकिल भी चलाती है. परिजनों ने बताया कि प्रियंका का दिव्यांग प्रमाण पत्र बन चुका है, उसे प्रतिमाह विवेकानंद भत्ता भी मिलता है. उसका परिवार एक ऐसे सामाजिक संस्था का इंतजार कर रही है, जो उसे कृत्रिम हाथ प्रदान कर सके, जिससे भविष्य में उसे कम से कम परेशानी झेलते हुए आगे बढ़ने में मदद मिल सके.