अनाथ व बेसहारा बच्चों को संरक्षण देने की जरूरत : पीडीजे
गुरुवार को नालसा स्कीम चाइल्ड फ्रेंडली लीगल सर्विसेज फॉर चिल्ड्रन स्कीम के तहत व्यवहार न्यायालय में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू हुआ.
मेदिनीनगर. गुरुवार को नालसा स्कीम चाइल्ड फ्रेंडली लीगल सर्विसेज फॉर चिल्ड्रन स्कीम के तहत व्यवहार न्यायालय में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू हुआ. नालसा नयी दिल्ली व झालसा रांची के निर्देश के आलोक में इसका आयोजन किया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष पीडीजे नीरज कुमार श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलित कर प्रशिक्षण शिविर का उदघाटन किया. उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं. उनके भविष्य को संवारने व सुधारने की दिशा में काम करने की जरूरत है. खास कर बेसहारा व अनाथ बच्चों को विशेष रूप से संरक्षण देते हुए उनके अधिकारों को दिलाना ही मुख्य उदेश्य है. इस दिशा में सबको मिलकर काम करना पड़ेगा. उन्होंने बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित कराने को लेकर नालसा के निर्देश पर गठित लीगल सर्विस यूनिट फॉर चिल्ड्रेन टीम के कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे जिन्हें तत्काल सहायता की जरूरत है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर संरक्षण देने की जरूरत है. बाल कल्याण समिति, बाल संरक्षण निकाय, जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड को आपसी समन्वय बना कर टीम को बेहतर सेवा प्रदान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो बच्चे अनाथ व बेसहारा हैं, उन पर विशेष ध्यान देते हुए उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ना होगा. बच्चों के अधिकारों व हितों की रक्षा के लिए काम करनेवाली टीम को पोक्सो एक्ट व बच्चों से जुड़े कानून की पूरी जानकारी होनी चाहिए. बाल विवाह, फॉस्टर केयर, विक्टिम कंपनसेशन स्कीम के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गयी. प्राधिकार के सचिव अर्पित श्रीवास्तव ने प्रशिक्षण शिविर का संचालन किया. उन्होंने कहा कि बच्चों के हितों को ध्यान में रखकर काम करना ही हम सबों का एक मात्र उद्देश्य होना चाहिए. विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे बच्चे सही राह पर चले और उनका भविष्य बेहतर बने इसे लेकर सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है. समाज के प्रबुद्धजनों की सक्रिय सहभागिता से ही इस कार्य में सफलता मिलेगी. उन्होंने बच्चों के अधिकार एवं पोक्सो एक्ट के बारे में विस्तार से बताया. कहा कि बच्चों के हितों की रक्षा के लिए देश में कई कानून बना है. जरूरत है उन कानूनों का लाभ समाज के वंचित बच्चों को दिलाने की. उन्होंने बाल श्रम कानून की चर्चा करते हुए कहा कि 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से काम लेना अपराध है. सरकार ने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की है. इसके लिए सरकार के द्वारा कई तरह की योजनाएं चलायी जा रही है. कोई भी देश या समाज की उन्नति का पैमाना बच्चों के विकास पर ही निर्भर करता है. पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के पोषण व उनके स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. शिविर में लीगल एड डिफेंस काउंसिल के चीफ व प्रशिक्षक अमिताभचंद्र सिंह ने मैत्रीपूर्ण विधिक सेवा योजना 2024 के तहत बच्चों के लिए कानूनी सेवा यूनिट के गठन के बारे में विस्तार से बताया. कहा कि इस कमेटी के माध्यम से वैसे अभिवंचित, अनाथ, बेसहारा बच्चों को चिह्नित करना है, जो समाज की मुख्य धारा से अभी भी दूर हैं. वैसे बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना है. ताकि उनका भविष्य बेहतर बन सके. बच्चों के लिए गठित कानूनी सेवा यूनिट में डालसा के सचिव, स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष, लीगल एड डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ, पैनल अधिवक्ता, पीएलभी को शामिल किया गया है. टीम का मुख्य कार्य बच्चों के अधिकार और सुरक्षा को लेकर बनाये गये कानून के बारे में जानकारी देना है. मौके पर सीजेएम आनंद सिंह, निशिकांत जेएम, रजिस्ट्रार कमल प्रकाश, लीगल एड डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ संतोष कुमार पांडेय, अधिवक्ता वीणा मिश्रा, हुसैन वारिस, ज्ञान रंजन, संजीव कुमार सिंह, मुक्ति नाथ तिवारी, सुधा कुमारी, विक्रम सहाय, संजय कुमार सिन्हा, पीएलभी सुचिता एक्का, माया कुमारी, रंजना कुमारी, करण कुमार थापा, कुसुमलता देवी, शैल शिखा, प्रेमलता कुमारी, सूचित कुमार, देवराज शर्मा, डालसा असिस्टेंट संजीव कुमार सिंह, अमित विश्वकर्मा, ओम प्रकाश, नीतेश कुमार, सोनू कुमार, अनीश कुमार, प्रवीण कुमार आदि लोग मौजूद थे.
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