PTR के इतिहास में पहली बार बनी भयावह स्थिति, मानव- वन्यजीव संघर्ष की चुनौती का कर रहा सामना
पलामू टाइगर रिजर्व मानव -वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती चुनौती का सामना कर रहा है. पीटीआर के इतिहास में ऐसी स्थिति पूर्व में कभी नहीं बनी थी. विशेषज्ञों के अनुसार वन्यजीवों के जीवन का बाधक मानव ही है. पलामू टाइगर रिजर्व में सर्वाधिक नुकसान हाथियों के द्वारा किया गया है.
पलामू, संतोष कुमार : पलामू टाइगर रिजर्व मानव -वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती चुनौती का सामना कर रहा है. परिवहन, वनोत्पाद का संग्रहण, पशु चारण, जंगलों की अंधाधुंध कटाई, शिकारी गतिविधियां सहित अन्य माननीय दबाव झेल रहे पीटीआर के वन्य जीवों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के परिधि में आने वाले लातेहार, पलामू और गढ़वा जिले में हाल के दिनों में जंगली जानवरों के हमले ने वन्यजीवों को विलेन बना दिया है. लोग आत्मरक्षा हेतु या प्रतिशोध में जंगली जानवरों को मार सकते हैं. जिसके कारण संघर्ष में शामिल प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच सकती है.
इनमें तेंदुआ प्रथम स्थान पर है. इसका कारण यह है कि 11 दिसंबर को बेतला नेशनल पार्क से सटे उक्कामाड़, 14 दिसंबर को गढ़वा के भंडरिया 19 को रंका और 28 को रमकंडा में एक के बाद एक बच्चों को मार दिया गया. जिसकी पुष्टि भी हो चुकी है. इसके बाद बेतला के छेंचा और केचकी के बाद सतबरवा इलाके में भी जंगली जानवर के द्वारा हमला किया गया. इस तरह से सिर्फ एक महीना में ही पूरे इलाके में इस तरह से खौफ बन गया है कि लोग शाम ढलते ही घरों में दुबक जा रहे हैं. न कोई जंगल जाना चाहता है और न ही जंगल क्षेत्र में मजदूरी कर पा रहे हैं.
घटना के बाद आक्रोशित हो जा रहे हैं ग्रामीण
जंगल क्षेत्र के रहने वाले लोग पूरी तरह से घरों में सिमटे हैं. जब किसी इंसान पर हमले की सूचना मिल रही है तो लोग आक्रोशित हो जा रहे हैं. वन विभाग के खिलाफ आंदोलन करने पर उतारू हो जा रहे हैं. जंगली जानवरों को देखते ही मार देने की योजना बना रहे. गांव-गांव में युवाओं की टीम लाठी-डंडे व अन्य परंपरागत हथियार के साथ घूमता हुआ नजर आ रहा है. ऐसे में मानव -वन्य का संघर्ष विकट हो गया है. वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार वन्यजीवों के क्षेत्र में मानव की मौजूदगी होने से मानव के क्षेत्र में वन्यजीवों की मौजूदगी देखने को मिल रही है. इस कारण दोनों के बीच मुठभेड़ की स्थिति बन गयी है. और इसका नकारात्मक परिणाम दिखने लगा है.
पीटीआर में ऐसी नहीं थी कभी भयावह स्थिति
पीटीआर के इतिहास में ऐसी स्थिति पूर्व में कभी नहीं बनी थी. विशेषज्ञों के अनुसार वन्यजीवों के जीवन का बाधक मानव ही है. पलामू टाइगर रिजर्व में सर्वाधिक नुकसान हाथियों के द्वारा किया गया है. मानव के मारने के अलावा भारी मात्रा में फसलों की क्षति पहुंचाई जाती है. नतीजतन कई हाथियों को अपनी जान गवानी पड़ी है. योजनाबद्ध तरीके से लोगों के द्वारा उसे मार गिराया गया है. दूसरे मानव को नुकसान पहुंचाने वाले जानवर भालू हैं. गारू -महुआडांड़ इलाके में इससे अधिक लोग प्रभावित हैं. अब तेंदुआ ने लोगों को भयाक्रांत कर दिया है. इसके अलावा बंदर ,हिरण, जंगली भैंसा ,जंगली सूअर सहित अन्य वन्यजीवों से भी फसलों की क्षति पहुंचाये लोग आक्रोशित हैं. वन विभाग की टीम पर भी हमला करने की योजना बना रहे हैं. ऐसे में स्थिति काफी विकट बन गयी है. यदि समय रहते इस पर पहल नहीं किया गया तो आने वाले समय में वन्यजीवों को भारी क्षति पहुंचाया जा सकता है.
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क्या कहते हैं डिप्टी डायरेक्टर
पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष ने कहा कि वर्तमान समय में काफी विकट स्थिति बनी हुई है. विभाग सतर्कता से सभी बिंदुओं पर काम कर रहा है. इस समस्या का निदान निकले इसके लिए गंभीर चिंतन मंथन की जा रही है.