मेदिनीनगर. शहर के साहित्य समाज चौक के समीप तुलसी मानस मंदिर परिसर में श्रीरामचरित मानस नवाह्न परायण महायज्ञ का 72वां अधिवेशन चल रहा है. शनिवार को सायंकालीन सत्र में विद्वान प्रवक्ताओं के द्वारा पावन कथा का रसास्वादन कराया गया. भागलपुर से पधारी मानस कोकिला कृष्णा मिश्रा ने सदग्रंथ श्री रामचरित मानस की महिमा का बखान किया. उन्होंने कहा कि यह ऐसा सदग्रंथ है, जो जीवन जीने की कला सिखाता है. मानस के आधार पर प्रभु श्रीराम के आदर्श चरित्र को अपनाते हुए जीवन के उत्थान के लिए पुरुषार्थ करना चाहिए. प्रभु श्रीराम की गाथा जीवन के सत्य पथ पर चलना सिखाती है. उन्होंने कहा कि भगवान शंकर ही राम कथा के आदि वक्ता है. उन्हीं की कृपा से प्रभु श्रीराम की पावन कथारूपी गंगा का प्रादुर्भाव हुआ. उन्होंने कहा कि भगवान शंकर ने कैलाश पर्वत पर माता पार्वती को प्रभु श्रीराम की कथा का श्रवण कराया था. राम की कथा पांच पावन नदियों का संगम है. गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा व मंदाकिनी का संगम स्थल है. मानस गंगा में गोता लगाने से जीवन धन्य हो जाता है. कार्यक्रम का संचालन आयोजन समिति के सचिव शिवनाथ अग्रवाल ने किया. भगवान की आरती के बाद कथा को विश्राम दिया गया. सचिव श्री अग्रवाल ने बताया कि 15 नवंबर तक पंडित मृत्युंजय मिश्रा, 10 से 15 नवंबर तक सतना के पंडित आदित्य प्रकाश त्रिपाठी एवं 13 नवंबर से रांची विवि के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ जेबी पांडेय का सारगर्भित प्रवचन होगा.
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