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शब-ए-बारात: इबादत की रात को की गयी दुआएं होती हैं कबूल, मौलाना अहमद अली खान ने की ये अपील

Shab-e-Barat 2022: मौलाना अहमद अली खान ने बताया कि इस रात को अल्लाह तआला गुनहगारों को गुनाहों से निजात देता है. यह रात जाग कर इबादत करने वाली रात है. इस रात में कुरआन शरीफ की तिलावत अधिक से अधिक करने को कहा गया है.

Shab-e-Barat 2022: बड़ी मस्जिद भाई बीघा हैदरनगर के खतीब व इमाम मौलाना अहमद अली खान रजवी ने शब ए बारात के मौके पर युवाओं व आम लोगों से आह्वान किया है कि वो इबादत की रात को खूब इबादत करें और अपने गुनाहों के मगफिरत की खूब दुआ करें. इस तरह पक्की सच्ची तौबा करें कि अल्लाह ताला राजी हो जाए. उन्होंने कहा कि शाबान की 14वीं रात गुनाहों से माफी की रात है. 18 मार्च को सूर्यास्त (मगरिब) के बाद अल्लाह तआला इस रात में की गई दुआओं को कबूल करता है. अपने बन्दों की हर नेक मुरादों को पूरी करता है.

मौलाना अहमद अली खान ने बताया कि इस रात को अल्लाह तआला गुनहगारों को गुनाहों से निजात देता है. यह रात जाग कर इबादत करने वाली रात है. इस रात में कुरआन शरीफ की तिलावत अधिक से अधिक करने को कहा गया है. इसके अलावा तस्बीहात के साथ नफील नमाजों का खास एहतेमाम करें. अल्लाह ताला का खूब जिक्र करें. सदका निकालें. इसी रात को साल भर के हिसाब किताब होते हैं. इस रात बे हिसाब गुनहगारों के गुनाहों की माफ़ी मिलती है, मगर कुछ ऐसे लोग भी हैं कि उनकी दुआ कबूल नहीं होती है. जैसे शराब पीने वाले शराबियों की एक दूसरे से बोग्ज और किना रखने वाले की और रिश्तेदारों के साथ बुरा बर्ताव करने वाले लोगों की, मां-बाप को दुख देकर सताने वालों की इस मुबारक रात में भी दुआ कबूल नहीं होती है. जब तक वो सारे गुनाहों से तौबा न कर लें.

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कब्र पर पढ़ें फातिहा

उन्होंने कहा कि कब्रिस्तान में कब्र पर फातिहा पढ़ें. सिर्फ अगरबत्ती जला कर वापस ना आ जाएं. इसलिए के कब्रिस्तान में आग ले जाना सख्त मना है अगर खुशबू ले जाना मकसद है तो इत्र ले जाएं या गुलाब जल का छिड़काव करें या मां-बाप की कब्रों पर गुल पोशी करें ये सब जायज है. दुनिया से रुख्सत हो चुके लोगों के लिए मगफिरत की दुआ करें. उन्होंने कहा कि पटाखा और आतिशबाज़ी करने से बचें. अपने बच्चों को सख्ती से मना करें. इन सब कामों में पैसा बर्बाद ना कर के उसी पैसे को अपने बच्चों की शिक्षा पर लगाएं. किसी गरीब की मदद करें वो आपके लिए और आप के बच्चों के भविष्य के लिए काम आयेगा.

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बेवजह विरोध नहीं करें

पटाखा और आतिशबाजी में पैसा खर्च करना फिजूलखर्ची है. फिजूल खर्च करने वाला शैतान का भाई है. यह गुनाह की तरफ ले जाता है. उन्होंने कहा कि घरों में इस मौके पर जो भी बनाया जाता है, उसे फातेहा देकर गरीबों मिस्कीनों को भी दें. किसी भी शीरनी पर गरीबों का भी अधिकार होता है. इससे शवाब और बढ़ जाता है.उन्होंने कहा कि शब ए बारात के दिन ही होली का पर्व भी है. उन्होंने कहा कि बेवजह घर से नहीं निकलें. अगर घर से निकलना जरूरी हो तो एहतियात रखें. फिर भी अगर किसी जगह आपके ऊपर होली के रंग पड़ भी जाते हैं तो घर आकर खुद को साफ कर लें. बिना वजह किसी का विरोध न करें. सभी को अपना पर्व मनाने की आज़ादी है.

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अपनी हिफाज़त खुद करें

अगर किसी को रंगों से परहेज़ है तो उन्हें अपनी हिफाज़त खुद करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि शब ए बारात में रात को इबादत करें और फजिर में कब्रिस्तानों पर जाकर गुज़रे हुए लोगों की मगफिरत की दुआ करें और 15 वीं तारीख़ का रोजा रखें. रोजा रखने से पिछले एक साल का सगीरा गुनाह माफ़ होता है और आने वाले रमजान में रोजा रखने की परेस्टिक भी हो जाती है. उन्होंने कहा कि कोशिश करें कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग मस्जिदों में पहुचें और अपनी दुनिया और आखिरत को सवारें.

रिपोर्ट: जफर हुसैन

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