13 दिन बाद नक्सलियों के चंगुल से मुक्त हुए हिंडाल्को के सुपरवाइजर व सुरक्षा गार्ड, सकुशल पहुंचे घर
Jharkhand news, Latehar news : झारखंड- छत्तीसगढ़ सीमा क्षेत्र में महुआडांड़ थाना क्षेत्र के कुकुदपाट स्थित हिंडाल्को के बाक्साइट माइंस के कांटा घर से 2 सुरक्षा गार्ड एवं छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिला स्थित सामरी राजेंद्रपुर बाक्साइट माइंस के एक सुपरवाइजर का अपहरण गत 28 नवंबर, 2020 को हथियारबंद माओवादियों ने कर लिया था. अपहरण के 13 दिनों के बाद 10 दिसंबर, 2020 को माओवादियों ने इन सभी कर्मियों को मुक्त कर दिया है. सभी मुक्त कर्मी शुक्रवार (11 दिसंबर, 2020) की सुबह तकरीबन 6 बजे सकुशल अपने घर लौट गये. हालांकि, घर लौटने के बाद भी उनकी स्थिति सामान्य नहीं है और वह कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है.
Jharkhand news, Latehar news : लातेहार : झारखंड- छत्तीसगढ़ सीमा क्षेत्र में महुआडांड़ थाना क्षेत्र के कुकुदपाट स्थित हिंडाल्को के बाक्साइट माइंस के कांटा घर से 2 सुरक्षा गार्ड एवं छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिला स्थित सामरी राजेंद्रपुर बाक्साइट माइंस के एक सुपरवाइजर का अपहरण गत 28 नवंबर, 2020 को हथियारबंद माओवादियों ने कर लिया था. अपहरण के 13 दिनों के बाद 10 दिसंबर, 2020 को माओवादियों ने इन सभी कर्मियों को मुक्त कर दिया है. सभी मुक्त कर्मी शुक्रवार (11 दिसंबर, 2020) की सुबह तकरीबन 6 बजे सकुशल अपने घर लौट गये. हालांकि, घर लौटने के बाद भी उनकी स्थिति सामान्य नहीं है और वह कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है.
क्या था मामला
गत 28 नवंबर, 2020 की रात्रि तकरीबन 11 बजे 30 से 35 की संख्या में हथियारबंद माओवादी छत्तीसगढ़ के राजेंद्रपुर माइंस में पहुंचे और यहां कार्यरत सुपरवाइजर रामधनी यादव (सामरी, छत्तीसगढ़) का अपहरण कर लिया. इसके बाद माओवादी महुआडांड़ थाना के कुकुदपाट स्थित हिंडाल्को के बाॅक्साइट माइंस स्थित कांटा घर पहुंचे. यहां माओवादियों ने कार्यरकत 2 सुरक्षा गार्ड सूरज प्रसाद सोनी (चैनुपुर, पलामू) एवं संजय यादव (सामरी, छत्तीसगढ़) का भी अपहरण कर अपने साथ ले गये. इन 13 दिनों तक इनलोगों का कहीं कोई सुराग नहीं मिला.
इधर, इनके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था. उन्होंने लातेहार व बलरामपुर पुलिस अधीक्षक तथा हिंडाल्को प्रबंधन से अपने परिजनों को मुक्त कराने का आग्रह किया था. हालांकि, महुआडांड़ में 2 सुरक्षा गार्डों के अपहरण को लेकर प्राथिमकी दर्ज करायी गयी थी. लेकिन, सुपरवाइजर के परिजनों ने माओवादियों के डर से कहीं भी मामला दर्ज नहीं कराया था.
क्या कहते हैं रामधनी यादव
माओवादियों के चंगुल से मुक्त होने के बाद सुपरवाइजर रामधनी यादव ने बताया कि माओवादियों में एक ने अपना नाम विमल एवं दूसरे ने अमन बताया था. माओवादियों ने तीनों को बंधक बनाकर बूढ़ा जंगल में रखा था. जब उसे घर से लेकर गये उस दिन उसके साथ मारपीट की. इसमें उसे चोटें भी आयी थी. बाद में दर्द से कराहता देख कर माओवादियों ने उन्हें दवा भी दिया और खाना भी खिलाते थे. उसके बाद माओवादियों ने उनके साथ मारपीट नहीं की. वे हमेशा अपने चेहरे पर मास्क लगाये रहते थे. उन्होने 10 दिसंबर की रात में जंगल के बाहर छोड़ दिया. इसके बाद वे पैदल घर पहुंचे.
Posted By : Samir Ranjan.