PTR के बीचोबीच गुजरती रेलवे ट्रैक को किया जाएगा डायवर्ट, सर्वे का काम शुरू
पलामू टाइगर रिजर्व के बीचोबीच होकर गुजरने वाली रेलवे ट्रैक को डायवर्ट किया जाएगा. अब ट्रैक के बगल से थर्ड लाइन के निर्माण किया जाना है. इसे लेकर वन विभाग की आपत्ति के बाद सर्वे का काम शुरू हो गया है.
बेतला, संतोष कुमार. पलामू टाइगर रिजर्व से रेलवे लाइन को डायवर्ट करने को लेकर सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है. पीटीआर और रेलवे की छह सदस्यीय टीम इस कार्य में जुटी है. सर्वे टीम में पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष, प्रजेश कांत जेना, रेलवे विकास निगम के सीनियर डीजीएम के एस पटनायक, डीईएन अर्जुन सिंह के अलावा बेतला प्रक्षेत्र के रेंजर शंकर पासवान आदि शामिल हैं. सर्वे टीम की ओर से रेलवे के रूट को लेकर लोकेशन का निर्धारण किया जा रहा है. पलामू टाइगर रिजर्व के बीचो-बीच होकर गुजरने वाली रेलवे ट्रैक के बगल से थर्ड लाइन के निर्माण को लेकर वन विभाग की आपत्ति के बाद यह प्रक्रिया शुरू की गयी है.
सोननगर से पतरातू तक रेलवे का थर्ड लाइन का काम किया जा रहा है. इस रेलवे ट्रैक के छिपादोहर से हेहेगड़ा तक करीब 11 किलोमीटर तक रेलवे लाइन बिछाने के लिए वन विभाग की ओर से पीटीआर प्रबंधन ने अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया था. बल्कि पीटीआर से हटाकर वैकल्पिक मार्ग से रेलवे ट्रैक के निर्माण का सुझाव दिया था. मामला स्टेट वर्ल्ड लाइफ तक पहुंचा जहां से अनुमति नहीं मिलने के बाद, यह मुद्दा वाइल्ड लाइफ बोर्ड ऑफ इंडिया में पहुंचा. जिसके बाद वाइल्डलाइफ बोर्ड के द्वारा रेलवे ट्रैक को डायवर्ट करने की मंजूरी दी गयी है.
सर्वे टीम इस कार्य में जुटी है कि कौन से मार्ग से रेलवे ट्रैक को डायवर्ट किया जा सकता है जिसे जंगल को कम से कम नुकसान पहुंचे. वहीं गांव के लोगों को भी पुनर्वास करने की स्थिति नहीं बने. पीटीआर और रेलवे की संयुक्त टीम इस कार्य के लिए गहनता से जुटी हुई है. पदाधिकारियों की मानें तो अभी इस कार्य में काफी समय लग सकता है, क्योंकि वन विभाग के द्वारा जो रूट दिया जाएगा, उसे रेलवे की ओर से टेक्निकल स्वीकृति मिलती है या नहीं, या फिर रेलवे की ओर से जो सर्वे करके रूट चार्ट दिया जाएगा, उसे वन विभाग की ओर से स्वीकृति मिलती है या नहीं यह भी एक अहम सवाल है.
पांच सालों से रुका हुआ है काम
मुगलसराय रेलखंड के सोननगर से पतरातू तक थर्ड लाइन परियोजना का काम पीटीआर के छिपादोहर और हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन के बीच पिछले पांच सालों से रुका हुआ है. इस परियोजना को सोननगर से पतरातू तक 5 सेक्शन के अंतर्गत काम कराया जाना है. जिसमें छिपादोहर से कुमंडीह (24 किलोमीटर) भी एक ऐसा सेक्शन है, जो पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में है. कोर एरिया में होने के कारण वन विभाग के द्वारा झारखंड के एकमात्र टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों की सुरक्षा को देखते हुए रेलवे ट्रैक निर्माण के लिए स्वीकृति नहीं देकर वैकल्पिक रूट में थर्ड लाइन निर्माण के लिए इस परियोजना के लिए रेलवे को प्रस्ताव भेजा गया है.
क्यों बनाया जा रहा है थर्ड लाइन
इस रूट से मालगाड़ी के आवागमन को बढ़ाने के लिए और राजस्व की वृद्धि करने के लिए थर्ड रेलवे लाइन का निर्माण कराया जा रहा है. रेलखंड से कोयला के रैक बढ़ाने के लिए अतिरिक्त इस रेलखंड का प्रस्ताव भेजा गया था. जिसकी स्वीकृति मिलने के बाद रेल मंत्रालय के द्वारा इसे पारित कर दिया गया है. रेल विकास निगम लिमिटेड के द्वारा टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने के बाद काम शुरू कराया गया है.
1924 में बिछाई गयी थी सिंगल लाइन
1924 में इस रेलखंड पर सिंगल लाइन के लिए रेलवे ट्रैक बिछाया गया था. इसके बाद 1976 में डबल लाइन किया गया. पीटीआर से रेलवे का परिचालन होने से बड़ी संख्या में वन्यजीवों की क्षति हुई है. हाथी समेत कई जंगली जानवर मारे गये हैं.
क्या कहते हैं डिप्टी डायरेक्टर
पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेश कांत जेना ने कहा कि सर्वे का काम पीटीआर व रेलवे की टीम के द्वारा शुरू किया गया है. कई बिंदुओं पर गहनता से जांच की जा रही है. यह देखा जा रहा है कि वह कौन सा मार्ग उचित होगा जिससे जंगली जानवरों को नुकसान ना पहुंच सकेगा.
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