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हाथियों का पलामू बेतला नेशनल पार्क आने का सिलसिला शुरू, फसल तैयार होते पहुंचने लगता है झुंड

पलामू टाइगर रिजर्व की शान बढ़ाने वाले हाथियों का बेतला नेशनल पार्क आने का सिलसिला शुरू हो गया है. पीटीआर के बारेसांढ़-कुजरूम बांस वाले इलाके से इन हाथियों का झुंड छिपादोहर-हेहेगड़ा स्टेशन के बीच जावा पुल के पास से होकर रेलवे लाइन को पार कर बेतला आते हैं.

पलामू टाइगर रिजर्व की शान बढ़ाने वाले हाथियों का बेतला नेशनल पार्क आने का सिलसिला शुरू हो गया है. पीटीआर के बारेसांढ़-कुजरूम बांस वाले इलाके से इन हाथियों का झुंड छिपादोहर-हेहेगड़ा स्टेशन के बीच जावा पुल के पास से होकर रेलवे लाइन को पार कर बेतला आते हैं. इन इलाकों में जब धान की फसल तैयार हो जाती है, तब प्रतिवर्ष हाथियों का आगमन शुरू हो जाता है, जो सितंबर से दिसंबर माह तक इस इलाके में बने रहते हैं.

जब बेतला नेशनल पार्क के जलाशयों में पानी की मात्रा घट जाती है, तब हाथी पुनः कुजरूम जैसे इलाके में उसी जगह पर पुनः रेलवे लाइन को पार कर चले जाते हैं. इसलिए जावा नदी के पास के इलाका को काफी संवेदनशील माना जाता है. इन इलाकों से गुजरने वाली ट्रेन को जहां कम स्पीड में चलाने की अनुमति प्राप्त है, तो दूसरी ओर विभागीय प्रबंधन निगरानी करता है.

कई हाथियों की हो चुकी मौत:

पीटीआर के गठन के बाद 28 जुलाई 1981 को तीन हाथी, 18 जुलाई 2003 को चार, 17 फरवरी 2004 व 21 जुलाई 2011 को एक-एक हाथी की मौत ट्रेन की चपेट आने से हो गयी थी. रेलवे ट्रैक पार करने के दौरान हाथियों की मौत के बाद वन मंत्रालय द्वारा ट्रेन की स्पीड करने की मांग की गयी थी.

इससे पीटीआर के ट्रैक पर करीब 12 किमी तक 25 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हॉर्न बजाते हुए रेल चलाने का निर्देश है. वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉ डीएस श्रीवास्तव ने कहा कि इस समय रेल प्रबंधन को सावधानी रखने की जरूरत है, ताकि किसी हादसे का शिकार हाथी न हो जाये.

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