3 बाघों के साथ लौटा पलामू टाइगर रिजर्व का गौरव! 2018 में बाघों की संख्या बतायी गयी थी शून्य
झारखंड के एकमात्र प्रोजेक्ट टाइगर पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में बाघों की संख्या का खुलासा कर दिया गया है. प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैसूर में एक मेगा इन्वेंट के उद्घाटन के मौके पर पीटीआर में 3167 बाघों के मुकाबले की पीटीआर में भी बाघ होने की घोषणा कर दी है.
बेतला, संतोष कुमार. झारखंड के एकमात्र प्रोजेक्ट टाइगर पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में बाघों की संख्या का खुलासा कर दिया गया है. प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैसूर में एक मेगा इन्वेंट के उद्घाटन के मौके पर पीटीआर में देशभर में 3167 बाघों के मुकाबले की पीटीआर में भी बाघ होने की घोषणा कर दी है. इसमें पीटीआर के बाघों के संख्या तीन होने का अनुमान है. हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. ग्रेडिंग के मामले में पलामू टाइगर रिजर्व को वेरी गुड दर्जा दिया गया है. इससे पलामू टाइगर रिजर्व का खोया हुआ गौरव वापस लौट गया है.
2018 में बाघों की संख्या शून्य
2018 में बाघों की संख्या शून्य बता दी गयी थी. इससे पीटीआर प्रबंधन व स्थानीय लोगों को काफी धक्का लगा था. इस बार पीटीआर में बाघ होने के खुलासा हो जाने से लोगों में हर्ष का माहौल है. पीटीआर के पदाधिकारियों ने इसे टीम भावना से कार्य किया जाना बताया है. पदाधिकारियों का कहना है कि अब दुगने उत्साह और उमंग के साथ काम किया जाएगा. पीटीआर के पुराने गौरव को वापस लौटाने में कोई कसर नहीं छोड़ा जाएगा. इसके लिए स्थानीय लोगों का सहयोग जरूरी है. सकारात्मक भाव से लोग यदि वन विभाग के पदाधिकारियों व कर्मियों को सहयोग करें तो निश्चित रूप से सुखद परिणाम मिल सकते हैं.
पलामू में हुआ करता था बाघों का राज
झारखंड के बीहड़ जंगलों से घिरे पलामू प्रमंडल में कभी बाघों का राज हुआ करता था. बाघों की संख्या इतनी अधिक थी कि जंगल में गया व्यक्ति कब बाघ का शिकार हो जाए इसकी सूचना नहीं मिलती थी. जंगल के किनारे के गांव में बाघ मवेशी को मार डालते थे. लोग भय के साये में जीवन व्यतीत करते थे. यही कारण था कि अंग्रेजों ने बाघों के शिकार करने वाले को इनाम भी देने की घोषणा की थी. 1932 में दुनिया में जब बाघों की गिनती हो रही थी तब पूरे एशिया महादेश में सबसे पहले बाघों की गिनती का काम पलामू में किया गया था. आजादी के बाद भी बाघों के जमकर शिकार हुआ.
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इसके बाद में 1973-74 में बाघों की सुरक्षा के लिए पलामू टाइगर प्रोजेक्ट लांच किया गया. उस समय भी बाघों की संख्या कुछ कम नहीं थी.लेकिन कालांतर में यह संख्या शून्य तक पहुंच गयी. वर्तमान स्थिति ऐसी है कि बाघ होने के प्रमाण ढूंढने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ रहा हैं. जंगलों में मिले बाघों के मल (स्केट) के आधार पर वर्ल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून के द्वारा दो बाघ की पुष्टि कर दी गयी है. बारेसाढ़ में एक बाघ प्रत्यक्ष रूप से दिखा था. जिसके आधार पर पीटीआर प्रबंधन के द्वारा तीन बाघ होने की बात कही गयी है. इसमें हाल ही में कुटकू क्षेत्र में दिखे बाघ व चुंगरू में हमले करने वाले बाघ को शामिल नहीं किया गया है.
मॉनिटरिंग व सेंसस में विभाग ने झोंक थी ताकत
पलामू टाइगर रिजर्व में 2018 में बाघों की संख्या शून्य बताये जाने के बाद विभाग पूरी तरह से सतर्क हो गया था. कारण यह बताया गया था कि सही तरीके से गिनती की प्रक्रिया को पूरी नहीं की गयी थी. इस बार बाघों की गिनती के लिए विभाग ने पूरी ताकत झोंक दी थी. 1129 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगल में चप्पे-चप्पे पर कैमरा ट्रैप लगाया गया. वन विभाग के कर्मियों को लगाया गया था. वहीं, स्केट (मल) की खोज पर विशेष बल दिया गया था. जिसका सुखद परिणाम सामने मिला.
बेतला नेशनल पार्क में मनाया गया जश्न
प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने पर और पीटीआर में बाहर होने के जश्न मनाया जा रहा है. वहीं, इस बार पीटीआर में बाघों की संख्या भी होने की उम्मीद पर वन विभाग के पदाधिकारियों में खुशी की लहर है. स्थानीय लोगों ने भी इसकी सराहना की है.
क्या कहते हैं फील्ड डायरेक्टर
पलामू टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने कहा कि बाघों की पलामू टाइगर रिजर्व में बाघ मौजूद हैं. वह लगातार यह बात कहते रहे हैं. जंगलों में मॉनिटरिंग इस बार बेहतर तरीके से हुआ.ग्रामीणों के सहयोग व टीम भावना ने इस बार सुखद परिणाम लाया है.