टीपीसी के सब जोनल कमांडर दीपक रजवार ने किया सरेंडर, नक्सलियों के खिलाफ पलामू पुलिस की बड़ी सफलता
नक्सलियों के खिलाफ पलामू पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. सोमवार को टीपीसी नक्सली संगठन के सब जोनल कमांडर दीपक रजवार ने सरेंडर कर दिया. नक्सली दीपक रजवार के खिलाफ कई थानों में मामला दर्ज है.
पलामू, सैकेत चटर्जी. टीपीसी नक्सली संगठन के सब जोनल कमांडर दीपक रजवार ने सोमवार को पलामू पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. नक्सली दीपक रजवार कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दे चुका है. उसपर मेदिनीनगर शहर थाना, छतरपुर थाना, बिश्रामपुर थाना, बरडीहा थाना में कई मामले दर्ज हैं. सरकार के आत्मसमर्पण नीति के तहत आईपीएस ऋषभ गर्ग और एसडीपीओ सुरजीत कुमार के सामने नक्सली दीपक रजवार ने सरेंडर किया है.
बड़ी सफलता मान रही है पुलिस
प्रतिबंधित नक्सली संगठन टीपीसी के सब जोनल कमांडर दीपक रजवार ने पलामू पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया. आईपीएस ऋषभ गर्ग और एसडीपीओ सुरजीत कुमार के समक्ष दीपक रजवार ने आत्मसमर्पण किया. पुलिस के अनुसार नक्सली दीपक रजवार कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दे चुका है. जिस समय टीपीसी फिर से एकबार अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए प्लानिंग कर रहा है, उस समय दीपक रजवार के आत्मसर्मण को पुलिस एक बड़ी सफलता मान रही है.
कौन है दीपक रजवार
दीपक रजवार की उम्र करीब 50 साल है. वामपंथी नक्सल विचार से वह युवा काल से ही प्रभावित रहा. प्रारम्भ में सॉफ्ट सपोर्टर से शुरू कर वह माओवादियों के सक्रिय धारा में शामिल हो गया था. माओवादियों के दस्ते में वो बिहार के कई इलाके में सक्रिय रहा. बिहार के कई थाना में उस पर नक्सली कांडों के केस भी दर्ज हैं. नक्सली मामले में वह जेल भी गया है. हालांकि अभी पलामू पुलिस को बिहार में दर्ज मामलों की सटीक जानकारी नहीं मिल पायी है. अभी बिहार में दर्ज मामलों का सत्यापन किया जायेगा.
झारखण्ड में आकर टीपीसी से जुड़ा
सूत्रों की मानें तो माओवादियों के दस्ते में शामिल रहते समय पद, लेवी व अन्य कई मामलों को लेकर हुए मतभेदों से दीपक रजवार का संगठन से मोहभंग हुआ. कुछ दिन अंडर ग्राऊंड रहने के बाद वह टीपीसी के संपर्क में आया और फिर उसके दस्ते में शामिल हो गया. झारखंड में आकर वह पलामू के छतरपुर व विश्रामपुर के इलाके में अधिक सक्रिय रहा. कई घटनाओं में शामिल रहा व अंजाम दिया. उसपर मेदिनीनगर शहर थाना, छतरपुर थाना,बिश्रामपुर थाना,बरडीहा थाना में भी कई मामले दर्ज हैं.
पिछले कई माह से था सेंटिंग में
शारीरिक कमजोरी व अन्य कई कारणों से दीपक रजवार पिछले कई महीनों से टीपीसी के सक्रीय घटनाओं में फ्रंट लाइन वर्क नहीं कर पा रहा था. इसलिए वह सेंटिंग में रह रहा था. सूत्रों के अनुसार वह अब खुद को संगठन के प्लानिंग सेक्टर में शिफ्ट करने के फ़िराक में था. इसी लाइन पर वह काम कर रहा था.
घरवालों से संपर्क कर पुलिस ने किया सरेंडर के लिए मोटिवेट
प्रशिक्षु आईपीएस ऋषभ गर्ग की माने तो जब दीपक रजवार की स्थिति की जानकारी पुलिस को मिली तो उसपर वर्कआउट किया गया. प्लेन ड्रेस पुलिस और अन्य सहयोगियों के माध्यम से दीपक के घरवालों से संपर्क किया गया. लगातार उन्हें सरकार की नक्सली आत्मसमर्पण नीति की जानकारी दी गयी, आने वाले दिनों में दीपक के वजह से परिवार को होने वाली मुश्किलों के बारे में बताया गया. अगर आत्मसमर्पण नीति के तहत सरेंडर करे तो क्या लाभ मिल सकता है इसकी पूरी जानकारी दी गयी. पुलिस के लगातार मोटिवेशन के कारण घरवाले भी दीपक को समझाने में सफल हुए और सोमवार को उसने पुलिस के समक्ष हथियार डाल दिया.
पुलिस ने दी आने वाली सुखद भविष्य की शुभकामना
आत्मसर्पण के बाद आईपीएस ऋषभ गर्ग और एसडीपीओ सुरजीत कुमार ने दीपक रजवार को माला पहनाकर स्वागत किया. साथ ही मुख्यधारा से जुड़ने को लेकर शुभकामनाएं भी दी. पुलिस अधिकारियों ने मीडिया से कहा की दीपक रजवार को सरकार के आत्मसमर्पण नीति के तहत हर मिलने वाली सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी. श्री गर्ग ने आगे कहा की दीपक रजवार के रास्ते चलकर और भी नक्सलियों को हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में जुड़ना चाहिए. आत्मसमर्पण नीति के तहत पुलिस उनका हर सहयोग करेगी.