बेतला, संतोष कुमार : पलामू टाइगर रिजर्व में बेतला नेशनल पार्क वैसे तो जंगल और जानवर के लिए प्रसिद्ध है लेकिन मुहर्रम के दिन बेतला नेशनल पार्क एक और वजह से लोगों के जेहन में छाया रहता है. वह है मुहर्रम के दिन निकलने वाला ताजिया. यह इलाका हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है. यहां गंगा-जमुनी तहजीब की एक अनूठी मिसाल देखने को मिलती है. दरअसल, यहां ताजिया बनाने में मुस्लिम समुदाया के लोगों का हाथ हिंदू समुदाय के लोग बटांते हैं.
बेतला नेशनल पार्क जंगल और जानवर के लिए ही नहीं मुहर्रम के ताजिये के लिए भी है प्रसिद्ध
नेशनल पार्क से सटे गांव बेतला और पोखरी में बनाये जाने वाले ताजिये का कोई जवाब नहीं है. दो दर्जन से अधिक एक से बढ़कर एक आकर्षक ताजिया यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा बड़े ही शिद्दत के साथ बनाया जाता है. ताजिया बनाने के लिए लोग करीब 15 दिनों तक कड़ी मेहनत करते हैं. अधिक ऊंचाई वाला ताजिया बनाये जाने का पलामू प्रमंडल में ही नहीं बल्कि आसपास की इलाके में बेतला पोखरी के ताजिया का कोई सानी नहीं है. यही कारण है कि मुहर्रम के दिन हजारों की संख्या में पलामू प्रमंडल के कोने-कोने से लोग ताजिया देखने के लिए बेतला पहुंचते हैं.
पलामू के मेदिनीनगर में शांतिपूर्ण तरीके से मनाया गया मुहर्रम
मेदिनीनगर, सैकत चटर्जी : पलामू का प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में शांतिपूर्ण ढंग से मुहर्रम मनाया गया. इस दौरान तय सुदा मार्ग से होकर कतार से ताजिया सहित नवमी का जुलुश निकाला गया. मेदिनीनगर में तकरीबन 22 खूबसूरत ताजिया निकाला गया. इसके अलावा भुसही, बैरिया, सिंगरा से भी ताजिया आकार जुलुश में शामिल हुए, कई जगह निशान का मिलान किया गया. छह मुहान में कई सस्थायों द्वारा पगड़ीपोशी का आयोजन किया गया. जुलश के मार्ग में कई जगह पर गोल बनाया गया जिसमे पारंपरिक अस्त्र प्रदर्शन व खेल खेला गया. शाम को कोयल नदी के तट पर चैनपुर और मेदिनीनगर का निशान का मिलान किया गया. मुहर्रम इंतजामिया कमेटी के सदर जिशान खान के द्वारा ताजिया निकालने वालों को सम्मानित किया गया.
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