टैंकर से जलापूर्ति का नहीं मिल रहा है लाभ
प्रतिनिधि, मेदिनीनगर
तेज धूप, भीषण गरमी व बढ़ते तापमान के कारण जलस्रोत सूख रहे हैं और भूमि का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. शहर के बैंक कालोनी मुहल्ला वार्ड संख्या दो कि परिधि में आता है. मालूम हो कि यह मुहल्ला कोयल नदी तट पर बसा हुआ है. लेकिन यह ड्राइजोन के रूप में चिन्हित है. प्रत्येक वर्ष नये मकान बन रहे हैं. पानी के लिए बोरिंग करायी जा रही है. बताया जाता है कि 500 फीट बोरिंग कराने के बाद भी पर्याप्त पानीं नही मिल रहा है.फरवरी माह से ही इस वर्ष जल संकट शुरू हो गया था. जिनके घरों में मोटर लगा है वे किसी तरह अपना गुजारा कर रहे है. लेकिन जिनके घर में हैंड पंप है और बोरिंग की गहराई कम है वैसे लोग पानी के लिए परेशान हैं. इस मुहल्ला में अधिकांशत: दलित परिवार भुइयां जाति के लोग रहते हैं. सरकारी स्तर पर कुछ स्थानों पर बोरिंग करायी गयी है. लेकिन वहां भी पर्याप्त पानी नहीं है. लोगों की मानें, तो यह मुहल्ला विकास व सुविधा के मामले में शुरू से ही उपेक्षित रहा है.पंचायती राज व्यवस्था के तहत भी इस क्षेत्र में न तो जलापूर्ति की व्यवस्था की गयी और न ही विकास का कोई कार्य किया गया. वर्ष 2017 में इस क्षेत्र को नगर निगम से जोड़ा गया. सात वर्ष बीतने के बाद भी निगम के जनप्रतिनिधियों ने इस मुहल्ले के विकास एवं बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने के प्रति गंभीरता के साथ संजीदगी नहीं दिखायी. यही वजह है कि इस मुहल्ले में निगम प्रशासन के द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया. पानी के लिए लोग परेशान हैं. लेकिन निगम इसकी व्यवस्था नहीं की है. स्थिति यह है कि इस वर्ष फरवरी माह से ही जल संकट शुरू हो गया. अब स्थिति भयावह हो गयी है. जल संकट से प्रभावित लोग करीब एक किलोमीटर दूर रियाडा परिसर में लगे चापानल से पानी लाने के लिए विवश हैं. निगम प्रशासन ने 15 अप्रैल से शहर के कुछ मुहल्लों में टैंकर से जलापूर्ति शुरू करायी है. लेकिन निगम की सूची में वार्ड संख्या दो शामिल नहीं है. जबकि वार्ड नंबर दो का सुदना, बैंक कालोनी व बजराहा हमेशा जल संकट झेलता रहा है. स्थानीय लोगों ने निगम के नगर आयुक्त से वार्ड नंबर दो के सभी मुहल्लों में टैंकर से जलापूर्ति कराने की मांग की है. लोगों का कहना है कि पिछले वर्ष इस वार्ड को प्रतिदिन 10 से 12 टैंकर पानी मिलता था. फिर भी लोगों को पानी के लिए परेशानी रहती है. इस वर्ष तो स्थिति काफी भयावह हो गयी है. फिर भी निगम प्रशासन उदासीन है.