पांडू.
पांडू की लाइफ लाइन बांकी नदी पूरी तरह सूख चुकी है. इस कारण पांडू में जल संकट गहरा गया है. पांडू ड्राइ जोन में आता है. बांकी नदी से ही पांडू के पांच हजार लोग अपनी प्यास बुझाते हैं. लेकिन फरवरी माह आते ही बांकी नदी सूख जाती है और जल संकट गहरा जाता है. इतनी बड़ी आबादी के बीच मात्र पांच चापाकल चालू है. जहां सुबह होते ही पानी भरने वालों की भीड़ लग जाती है. पेयजलापूर्ति योजना बनकर तैयार है, लेकिन अभी तक चालू नहीं किया गया है. यह योजना हाथी का दांत साबित हो रहा है. इधर, जल संकट गहराने से पांडू के लोग परेशान हैं, लेकिन अभी तक विधायक, सांसद व विभाग से कोई पहल नहीं की गयी है.बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ता है :
व्यवसायी दीपक कश्यप ने कहा कि बांकी नदी सूख जाने के बाद बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ता है. प्रखंड क्षेत्र में कई आरओ प्लांट खुल गये हैं, जहां से लोग पानी खरीद कर अपनी प्यास बुझाते हैं. गांव में अधिकतर चापाकल डेड हैं. मात्र पांच चापाकल चालू हैं, जिसके भरोसे पांच हजार की आबादी अपनी जरूरत पूरी कर रही है.नदी सूखते ही जल संकट गहरा जाता है :
सुरेंद्र पांडेय ने बताया कि पांडू के ड्राइजोन घोषित होने के बाद आज तक किसी ने इस समस्या को लेकर पहल नहीं की. बांकी नदी सूखते ही जल संकट गहरा जाता है. अधिकतर चापाकल डेड हैं, जो चालू हैं, वहां सुबह से ही पानी भरने वालों की भीड़ लग जाती है. पानी की समस्या से पांडू को कब निजात मिलेगा, यह एक सोचनीय विषय है.लोगों की निष्क्रियता से उत्पन्न हुई यह समस्या :
खैरा विकास मंच के संस्थापक अध्यक्ष ललन प्रसाद पांडेय ने कहा कि पांडू के लोग अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ते,, जिसके कारण आज यह समस्या उत्पन्न हुई है. पांडू पेयजलापूर्ति योजना को बिना भूगर्भीय सर्वेक्षण के तीन बार स्वीकृत किया गया और यह विफल साबित हुआ. सरकारी पैसे की बंदरबांट के लिए एक ही योजना का तीन बार निर्माण कराया गया, जो आज हाथी का दांत साबित हो रहा है. पांडू के जल संकट को लेकर आजतक किसी जनप्रतिनिधि ने भी पहल नहीं की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है