मेदिनीनगर. छतरपुर के विधायक राधाकृष्ण किशोर ने सिंचाई विभाग के सचिव प्रशांत कुमार व अभियंता प्रमुख विजय शंकर को लिखित पत्र दिया है. उन्होंने कहा कि करीब 350 करोड़ खर्च करने के बाद भी अमानत सिंचाई योजना से पटवन नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने बताया कि अमानत सिंचाई योजना के बराज व 40 प्रतिशत भूभाग में नहर का निर्माण वर्ष 2012 में ही पूरा किया जा चुका है, इसके बावजूद 12 वर्षों में अभी तक अमानत सिंचाई योजना से पटवन का काम नहीं हो पाया है. विधायक श्री किशोर ने कहा कि उनके द्वारा वर्ष 2018 में अमानत सिंचाई योजना के क्रियान्वयन को लेकर झारखंड विधानसभा में इस मामले में प्रश्न भी किया गया था. जिसके जवाब में सरकार के द्वारा बताया गया था कि 128 हेक्टेयर वनभूमि का हस्तांतरण तथा पर्यावरण क्लियरेंस का मामला प्रक्रियाधीन है. उन्होंने कहा कि वनभूमि के हस्तांतरण तथा पर्यावरण क्लियरेंस की प्रक्रिया के बिना ही अमानत सिंचाई योजना का बराज एवं आंशिक भाग में नहर निर्माण क्यों कराया गया ? सिंचाई योजना के निर्माण के लिए वनभूमि हस्तांतरण तथा पर्यावरण अनापत्ति की प्रक्रिया पूरा किये बिना बराज व आंशिक भाग में लगभग 250 करोड़ रुपये ख़र्च करने के पीछे विभाग की क्या दिलचस्पी थी ? राज्य के निर्माण इसलिए नहीं हुआ था कि सूखा प्रभावित पलामू जैसे जिला में अरबों रुपये ख़र्च कर 12 वर्षों में किसानों को अमानत सिंचाई योजना से पटवन का लाभ नहीं मिल सके. किशोर ने कहा कि अमानत सिंचाई योजना पर ख़र्च होने वाले लगभग 350 करोड़ रुपये की राशि जनता का पैसा है. इस राशि का दुरूपयोग कदापि बर्दाश्त नहीं हो सकता है. उन्होंने विभाग के दोनों वरीय पदाधिकारियों को कहा है कि यदि अमानत सिंचाई योजना से सिंचाई की कोई सार्थक व्यवस्था नहीं की गयी, तो उन्हें सिंचाई विभाग की शिथिलता और कार्य संस्कृति के विरुद्ध लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन की आवश्यकता पड़ी, तो पीछे नहीं हटेंगे. मालूम हो कि अमानत सिंचाई योजना से पलामू जिला के पांकी, लेस्लीगंज तथा पाटन प्रखंडों के 23 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की सुविधा दी जानी है, जिसे 12 वर्षों में भी पूरा नहीं किया जा सका है.
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