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जब अभिनेता दिलीप कुमार आये थे पलामू, बेतला पार्क की खूबसूरती देख हो गये थे मुरीद, कुछ ऐसा था तब नजारा

लेकिन तभी फोन पर दिलीप साहब ने सूचना दी कि वह गुवाहाटी में दुनिया फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं, इसलिए पलामू नहीं आ पायेंगे. यह खबर फैलनी थी कि अपने चहेते हीरो के दीदार में पलकें बिछाये बैठे पलामू के लोगों की सांसें अटक सी गयीं.

Dilip Kumar in jharkhand पलामू : पलामू की धरती पर उस समय जय जवान संघ के बैनर तले कई बड़े-बड़े सितारों की महफिल सजती थी. ऐसे में ही एक बार दिलीप कुमार नाइट के आयोजन की बात तय हुई. सूत्रधार भुनेश्वर प्रसाद वर्मा उर्फ भुनु बाबू की देखरेख में बात आगे बढ़ी. तारीख मुकर्रर हुई-चार मार्च 1984. स्थान चियांकी हवाई पट्टी का मैदान. कार्यक्रम के लिए मंच सज गया. कल्याणजी-आनंदजी के नेतृत्व में साधना सरगम व अलका याग्निक आदि आ चुकी थीं.

लेकिन तभी फोन पर दिलीप साहब ने सूचना दी कि वह गुवाहाटी में दुनिया फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं, इसलिए पलामू नहीं आ पायेंगे. यह खबर फैलनी थी कि अपने चहेते हीरो के दीदार में पलकें बिछाये बैठे पलामू के लोगों की सांसें अटक सी गयीं.

चारों ओर मायूसी के बीच भुनु बाबू ने दिलीप साहब को दोबारा फोन लगाया और कहा कि आप नहीं आयेंगे, तो इस शहर में मैं जिंदा नहीं रह पाऊंगा.

यह सुन दिलीप कुमार ने कहा कि वीपी (भुनेश्वर प्रसाद) भाई आप मुझे ले जाने का इंतजाम करो, मैं आ जाऊंगा. तब स्थानीय उद्योगपति आरके विश्वास उर्फ मोहन विश्वास ने दिलीप साहब के लिए चार्टर्ड प्लेन की व्यवस्था की. दिलीप कुमार के साथ उनकी पत्नी सायरा बानो, हास्य अभिनेता जानी वॉकर व उनके खास खानसामा भी पलामू पहुंचे.

कार्यक्रम में लगभग आधी रात को दिलीप साहब और सायरा बानो मंच पर चढ़े. वह डालटनगंज में मोहन विश्वास के घर भी गये. बेतला नेशनल पार्क भी गये. दूसरे दिन वे उसी चार्टर्ड प्लेन से विदा हुए. पलामू के उस समय के लोगों के दिलोदिमाग में वे खुशनुमा पल आज भी ताजा है.

बीआरओ 4222 जीप से किया था भ्रमण : आलोक

दिलीप कुमार को बेतला और आसपास घुमाने की जिम्मेवारी मिली थी जेलहाता निवासी आलोक वर्मा उर्फ भोलू जी को. उस पल को याद कर वह आज भी भावुक हो जाते हैं. उन्होंने प्रभात खबर से अपनी यादें साझा करते हुए कहा कि जब ट्रेजेडी किंग उनकी निजी जीप बीआरओ 4222 पर सवार हुए, तो सहसा यकीन नहीं हो रहा था.

सायरा बानो ड्राइविंग सीट के बगल में बैठीं, जबकि दिलीप साहब और जानी वाकर पीछे खड़े हुए. बेतला में उन्हें हाथी, हिरण आदि दिखे. पर सायरा जी सबसे ज्यादा खुश तब हुईं, जब उन्होंने मोर-मोरनी का जोड़ा देखा. वह बच्चों की तरह ताली बजाकर खिलखिलाकर हंसने लगी थीं.

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