मेदिनीनगर : बात किसी सुदूरवर्ती इलाके की नहीं. दावा तो गांव-गांव में बिजली पहुंचाने की है. लेकिन इसके पहले यदि गौर उन इलाकों की कर ली जाये, जहां बिजली पहुंच चुकी है. लेकिन पगडंडियों के सहारे. कहने का आशय यह कि बिजली के खंभे नहीं मिले, तो लोगों ने बांस को ही पोल मान लिया और उसी के सहारे अपने घर तक बिजली ले गये. यह नजारा देखना है, तो किसी सुदूरवर्ती इलाके में नहीं जाना है.
यह नजारा आपको शहर में ही देखने को मिल जायेगा और वह भी बिजली विभाग के कार्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर. वैसे सुनने में यह बात अविश्वसनीय लग रहा हो, लेकिन है यह सच. यह स्थिति मेदिनीनगर नगर निगम के परिधि में आने वाले रांची रोड़ रेड़मा काशीनगर, भीमगड़ा, सेमरटोला, यादव टोला, झरना टोला व हरिजन टोला की है.
जहां आज भी बिजली के खंभे नहीं गड़े है. बांस गाड़ कर किसी तरह तार ले जाया गया है, जो दुर्घटना को भी आमंत्रण दे रहा है. लोगों की माने तो पिछले 10-12 वर्ष से यही स्थिति है. लगभग 500 उपभोक्ता नियमित बिजली बिल का भुगतान भी करते हैं. हमेशा विभाग के सामने जाकर गुहार भी लगाते हैं.
कहा जाता है कि नये पोल का एलॉटमेंट आते ही उपलब्ध कराया जायेगा, पर न जाने वह नया पोल कब तक आयेगा. यह किसी को पता नहीं. जबकि इंतजार में 10 वर्ष से अधिक समय गुजर गया. जानकारों की माने तो जब कोई नया कनेक्शन दिया जाता है, तो नियमानुसार स्थल निरीक्षण विभाग के अभियंता करते हैं.
यदि कोई स्थल जाकर देखे, तो नया कनेक्शन देने की हिम्मत नहीं जुटायेगा. क्योंकि इलाके में पोल ही नहीं है, तो फिर कनेक्शन का सवाल कहा. लेकिन कनेक्शन मिल जाता है, ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर कनेक्शन मिलता कैसे है. लोगों का कहना है कि पोल के लिए वे लोग परेशान रहते है. लेकिन उनलोगों का सुनने वाला कोई नहीं है.
काशीनगर पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी का गृह इलाका है. बाकी इलाके काशीनगर के इर्दगिर्द ही बसे है. इसके बाद भी यह स्थिति है, तो समझा जा सकता है कि बिजली विभाग को किसी का भय भी नहीं. अपनी मनमर्जी से काम करना शायद विभाग की फितरत है. इसलिए तो इलाका किसी का भी हो राजनीतिक तौर पर चाहे जितना भी प्रभाव हो, लेकिन विभाग उसी का काम करता है. जो उसे प्रभावित करने में सक्षम होता है.
posted by : sameer oraon