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पलामू की एक महिला ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को लिखा पत्र, जानें क्या है पूरा मामला

पलामू जिले की एक महिला ने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को पत्र लिखा है. वह पत्र मुखिया, विधायक प्रतिनिधि, स्वास्थ्य मंत्री का सचिव से खुद स्वास्थ्य मंत्री से होता हुआ पलामू के सिविल सर्जन तक पहुंचा है.

पलामू, सैकत चटर्जी : पलामू जिले की एक महिला ने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को पत्र लिखा है. वह पत्र मुखिया, विधायक प्रतिनिधि, स्वास्थ्य मंत्री का सचिव से खुद स्वास्थ्य मंत्री से होता हुआ पलामू के सिविल सर्जन तक पहुंचा है. इसके बाद से सिविल सर्जन परेशान है. आखिर क्या है उस पत्र में, कौन लिखा है पत्र? और क्यों है सिविल सर्जन परेशान? यह जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर.

पत्र लिखने वाली महिला हुसैनाबाद की

स्वास्थ्य मंत्री के नाम पर पत्र लिखने वाली महिला निर्मला कुमारी पलामू की है. उनका पता हुसैनाबाद प्रखंड के कजरात नावाडीह पंचायत का लोटनिया गांव है. पति का नाम मनोज पाल है. निर्मला देवी ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र के माध्यम से आवेदन देकर काम मांगी है. उनका कहना है कि वे पाल (गडेरी), पिछली जाती से आती है और शिक्षित भी है. लेकिन उनके पास कोई काम नहीं है, जिस कारण उन्हें अपना परिवार के भरण पोषण में दिक्कत हो रही है. इसलिए उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से दरख्वास्त की है की उन्हें स्वास्थ्य विभाग में उनके योग्यता के अनुसार कोई पद पर नियुक्ति दी जाये. जिससे वे अपना जीवन यापन कर सके.

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पलामू की एक महिला ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को लिखा पत्र, जानें क्या है पूरा मामला 2
लंबा सफर तय कर पत्र पंहुचा मंत्री के पास

अब निर्मला देवी का यह पत्र जो की मंत्री के नाम है, उसे मंत्री तक पहुंचने में काफी लंबा सफर तय करना पड़ा. 14 फरवरी 2023 को यह पात्र लोटनिया के मुखिया के पास पंहुचा, उनके अनुशंसा से यह 15 फरवरी को विधायक प्रतिनिधि के पास पंहुचा, फिर यह पात्र उनके अनुशंसा से 15 अप्रैल को मंत्री के विभागीय कोषांग पंहुचा. वहां से मंत्री बन्ना गुप्ता के पास पंहुचा. अब मंत्री बन्ना गुप्ता उसे पलामू के सिविल सर्जन को टैग करते हुए वापस पलामू भेज दिया है. पलामू के सीएस कार्यालय में यह चार मई को पंहुचा है और तब से सिविल सर्जन सहित पूरा कार्यालय परेशान है की करें तो क्या करें.

क्या है परेशानी का सबब

इस पत्र से सीएस को परेशानी यह है कि उर्मिला देवी स्वास्थ्य विभाग में नियुक्ति चाहती है. जबकि वो खुद को माध्यमिक परीक्षा पास बताती है और उससे सम्बंधित कागजात की प्रति अटैच की है. स्वास्थ्य विभाग में काम के लिए टेक्नीकल योग्यता चाहिए होती है, जो उर्मिला देवी के पास नहीं है. इधर, मंत्री ने चूंकि इसे सीएस को भेज दिया है तो इसकी अनदेखी भी नहीं किया जा सकता है. इसलिए दुविधा में सीएस सहित पूरा कार्यालय परेशान है.

सीएस के पास क्या है उपाय

जानकार बताते है कि सीएस के पास अब तीन विकल्प है. एक तो यह कि इस पत्र को ठंडे बस्ते में डाल दें और कार्रवाई किया जा रहा है कहते हुए इसे टालते रहे, पर जिस तरह से निर्मला देवी मुखिया, विधायक प्रतिनिधि, मंत्री कोषांग होते हुए मंत्री तक पहुंची है. इससे साफ जाहिर है वो चुप नहीं बैठेगी. ऐसे भी हो सकता है कि वह विलंब होने की शिकायत लेकर फिर मंत्री तक पहुंच जाये. ऐसे में सीएस मंत्री के कोपभाजन बन सकते है, इसलिए सीएस यह रिस्क नहीं लेंगे. दूसरा विकल्प है कि एक कमिटी बनाकर निर्मला देवी के विषय में पता करा लें और वरीय अधिकारियो से मार्गदर्शन मांगे. इससे सीएस इस मामले में सीधे इन्वॉल्व होने से बच जायेंगे. एक तीसरा विकल्प यह भी है कि सीएस निर्मला देवी को बुलवा कर उनका पक्ष सुने और मंत्री ला हवाला देता हुए आउट सोर्सिंग के तहत कोई काम दिलवा दे.

क्या कहते है सीएस

इस पत्र के बारे में पूछने पर सीएस ने बताया कि हां, मंत्री के पास से एक ऐसा आवेदन आया है, जिसे मंत्री ने उन्हें टैग किया है. उन्होंने पूछने पर यह भी बताया कि वे निर्मला कुमारी को कार्यालय बुलाकर जानना चाहेंगे की आखिर वो स्वास्थ्य विभाग में ही क्यों काम करना चाहती है. इसके बाद उनसे इस सबंध में जो तकनिकी अड़चन है, वो बताया जायेगा. अगर वो मान जाती है तो ठीक, नहीं तो उनका इंटरव्यू लेकर उनके योग्यता के बारे में विभागीय मंत्री को जानकारी दी जाएगी. वहां से जो भी आदेश आएगा उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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आउट सोर्सिंग के बारे में उन्होंने बताया कि विभाग से संबंधित हर काम के कुछ नियम होते हैं. उससे बाहर जाकर कुछ भी करना उनके बस में नहीं है. एक आवेदन देकर अगर काम मिल जाता तो हर कोई आवेदन से ही काम पा लेता. फिर भी चूंकि यह आवेदन मंत्री के पास से होता हुआ आया है तो हर मुमकिन उपाय तलाशा जा रहा है. आउट सोर्सिंग की अद्यतन स्थिति की जानकारी भी विभाग को दी जाएगी और जैसा आदेश होगा किया जायेगा.

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