दिल्ली के पुस्तक मेले में होगी झारखंड की दमदार उपस्थिति, मेगा उपन्यास ‘कंथा’ के रचनाकर को मिलेगा सम्मान

विश्व पुस्तक मेले में झारखंड की दमदार उपस्थिति दर्ज होने जा रही है. मेगा उपन्यास 'कंथा' के रचनाकार श्याम बिहारी श्यामल मेले में दूसरे दिन रविवार को अपने पाठकों से मुखातिब होंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 25, 2023 2:31 PM

पलामू, सैकत चटर्जी : देश की राजधानी दिल्ली में शनिवार से शुरू होने जा रही सप्ताहव्यापी विश्व पुस्तक मेले में झारखंड की दमदार उपस्थिति दर्ज होने जा रही है. महाकवि जयशंकर प्रसाद के जीवन-युग पर केंद्रित मेगा उपन्यास “कंथा” के रचनाकार श्याम बिहारी श्यामल मेले में दूसरे दिन रविवार को अपने पाठकों से मुखातिब होंगे. श्यामल पलामू जिला मुख्यालय डाल्टनगंज के नावाटोली के मूल निवासी हैं और दो दशक पूर्व धनबाद में पत्रकारिता के पेशे से जुड़े रहे. अब एक उपन्यासकार, कहानीकार के रूप में श्यामल की डंका पूरे साहित्यिक महकमे में बज रही है.

पलामू के पृष्ठभूमि पर लिखे उपन्यास से मिली पहचान

सवा दशक के कोयलांचल-प्रवास के दौरान श्यामल ने अपनी पहली बहुचर्चित कृति ‘धपेल’ और बाद में ‘अग्निपुरुष’ समेत दो उपन्यास लिखे. दोनों उपन्यास पलामू की पृष्ठभूमि पर आधारित और अग्रणी प्रकाशनगृह राजकमल प्रकाशन से क्रमशः 1998 व 2001 में प्रकाशित हैं. अभी वे वाराणसी में रहकर पत्रकारिता और लेखन-कार्य कर रहे हैं. धनबाद में रहते हुए श्यामल प्रभात खबर के लिए भी अपनी सेवाएं दी है.

रविवार को लेखक से मिलिए में होंगे शामिल

श्यामल दिल्ली पुस्तक मेले के राजकमल प्रकाशन के स्टॉल नंबर 30-47 पर ‘लेखक से मिलिए’ में प्रसिद्ध कथाकार मनोज कुमार पांडेय के प्रश्नों के उत्तर देंगे और पाठकों की जिज्ञासाएं शांत करेंगे. प्रगति मैदान में यह मेला आगामी पांच मार्च तक चलेगा. प्रभात खबर के प्रश्नों का जवाब देते हुए श्यामल ने कहा की एक पालामुवासी होने के नाते इस यादगार पल में बार बार अपनी जन्मभूमि की याद आती है. उन्होंने अपने साथ काम करने वाले सहयोगी, पलामू के लोग और अपनी पत्नी सविता सिंह को इस सम्मान के असली हकदार बताया.

जिस कंथा के कारण मिल रहा सम्मान उसे रचने में लगा दो साल

श्यामल ने प्रभात खबर को बताया कि महाकवि की जीवन-कथा लेकर उपस्थित उपन्यास “कंथा” का सृजन दो दशक के कठिन श्रम से हुआ है, इसे भी राजकमल ने ही प्रकाशित किया है. इसमें पिछली शताब्दी के पूर्वार्द्ध का बनारस और उस समय का समूचा परिदृश्य सविस्तार चित्रित हुआ है. इसमें महामना पंडित मदनमोहन मालवीय, राष्ट्ररत्न शिव प्रसाद गुप्त, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, मुंशी प्रेमचंद, महावीर प्रसाद द्विवेदी, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, मैथिली शरण गुप्त, महादेवी वर्मा, जानकी वल्लभ शास्त्री, रायकृष्ण दास और विनोदशंकर व्यास आदि समेत तत्कालीन युग के तमाम महापुरुष कथा-चित्रों में बतौर पात्र दृश्यमान हुए हैं.

कंथा को अबतक मिले कई प्रतिष्ठित पुरस्कार

श्यामल की इस कृति को उप्र हिंदी संस्थान का प्रतिष्ठित प्रेमचंद पुरस्कार प्राप्त हुआ है. इसके अलावा अभी हाल में ही राजस्थान का उत्तर प्रियदर्शी सम्मान भी घोषित हो चुका है. जिससे रचनाकार को आगामी मार्च माह में बीकानेर में विभूषित किया जाएगा. इसके अलावा भी श्यामल को उनकी रचनाओं के लिए देश के कई हिस्से में सम्मानित किया गया है.

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