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विश्व संगीत दिवस: पलामू के इन शिक्षकों ने दी संगीत को खास पहचान

आज विश्व संगीत दिवस के समय हम चर्चा उनकी करेंगे जो पलामू के शहरी क्षेत्र में संगीत को न सिर्फ खुद साधा बल्कि उसे दूसरे तक पहुंचाने में भी साधना की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 20, 2023 5:11 PM
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सैकत चटर्जी, पलामू :

पलामू और संगीत का रिश्ता काफी पुराना है. अविभाजित बिहार के समय से ही पलामू में बिहारी लोक कलाओं का प्रभाव रहा है. अलग झारखंड राज्य होने के बाद भी यहां के लोक गीतों में भोजपुरी और मगही का ही प्रभाव व लोकप्रियता रही. सरहुल, कर्मा पर्व आदि के समय जरूर झारखंडी लोकगीतों की धूम रहती है, पर इसका दायरा और लोकप्रियता किसी खास स्थान और पात्र विशेष तक ही है.

इन सबके इतर पलामू में शास्त्रीय संगीत व सुगम संगीत की एक पुरानी व समृद्धशाली इतिहास चली आ रही है. हालांकि इसका गढ़ शहरी क्षेत्र ही रहा पर, लोकप्रियता गांव तक रही. पलामू के कुछ शास्त्रीय व सुगम संगीत के गायकों ने निजी उपलब्धियों को राष्ट्रीय स्तर तक भी ले गए.

आज विश्व संगीत दिवस के समय हम चर्चा उनकी करेंगे जो पलामू के शहरी क्षेत्र में संगीत को न सिर्फ खुद साधा बल्कि उसे दूसरे तक पहुंचाने में भी साधना की. कुछ लोग निजी तौर पर संगीत सिखाते रहे तो कुछ संस्थान भी खुले जिनके माध्यम से पलामू में आने वाली पीढ़ी को संगीत से जुड़ने का मौका मिला.

संगीत शिक्षकों में इनकी थी खास पहचान

पलामू में एक समय ऐसा भी था जब कुछ संगीत शिक्षक अपने घरों में बच्चो को संगीत सिखाते थे तो कुछ ऐसे भी शिक्षक थे जिन्होंने घर-घर जाकर भी संगीत का पाठ पढ़ाया. इनमें शुरुआती दिनों में स्वर्गीय पंडित रामरक्षा मिश्र, स्वर्गीय विनोद सिन्हा, स्वर्गीय अमजद अली (कम्मू उस्ताद), स्वर्गीय लालमोहन पाठक, स्वर्गीय चित्त रंजन दास (सूरदास), स्वर्गीय सरदार गुरुवचन सिंह अहलूवालिया, स्वर्गीय सिद्धेश्वर सेन (कविराज), आदि कुछ ऐसे नाम थे जिन्होंने अपनी बाद की पीढ़ी को संगीत की शिक्षा दी. ये वो समय था जब शहर में संगीत की शिक्षा के लिए कोई खास संस्थान नहीं हुआ करता थे.

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द्वितीय चरण में भी रहे कई दिग्गज संगीत शिक्षक

पलामू में संगीत शिक्षा की द्वितीय चरण में भी कुछ ऐसे नाम आए जिनसे संगीत का लौ रोशन होता रहा. इनमें स्वर्गीय पंडित राजाराम मिश्र, ज्योतसना विश्वास, श्यामलाल मिश्र, नीरज सिन्हा, स्वर्गीय अंबालिका प्रसाद आदि हुए जो बकायदे संगीत शिक्षक थे और साथ में घर में भी बच्चो को संगीत सिखाते थे. (इस दौर में कई ऐसे लोग भी हुए जो तबला, गिटार, हरमोनियम आदि भी सिखाते थे).

इसी समय किशोर शुक्ला, आनंद मोहन पाठक, स्वर्गीय पंकज सिन्हा, स्वर्गीय नीलिमा सहाय (ठाकुर), शर्मिष्ठा सिन्हा, स्वर्गीय राम-श्याम आदि गायकों ने न सिर्फ अपनी आवाज के दम पर पलामू का नाम गायकी के क्षेत्र में काफी ऊपर तक ले गए, बल्कि साथ साथ पेशेवर तरीके से तो नही पर निजी संबंधों के आधार पर कई लोगों को संगीत की तालीम देते रहे.

इनके अगली कड़ी यानी वर्तमान समय में राजा सिन्हा, सूरज मिश्रा, राम किशोर पांडेय, श्याम किशोर पांडेय, सौरभ दुबे, अभिषेक मिश्रा, अभिनव मिश्र, राकेश कुमार सिंह आदि कुछ ऐसे नाम हैं जो गायकी के साथ साथ दूसरो को गाना सिखाने का काम बखूबी कर रहे है.

अब दौर संगीत विद्यालयों का है

निजी स्तर पर होने वाले संगीत की तालीम धीरे धीरे बदलते समय के साथ संस्थानों का रूप ले लिया और मेदिनीनगर में कई संगीत संस्थान खुले. इनमें सबसे पुराना संस्थान देवरानी संगीत महाविद्यालय है. इस संस्थान के कर्णधार स्वर्गीय राजाराम मिश्रा थे जिनके निधन के बाद उनके पुत्र सूरज मिश्रा इसे संभाल रहे हैं. पलामू में सबसे अधिक संगीत के छात्र इसी संस्थान से आते हैं.

संगीतज्ञ आशुतोष पांडेय की देखरेख में उनके दोनो पुत्र राम किशोर पांडेय और श्याम किशोर पांडेय द्वारा संचालित संस्थान सुरसंगम कला केंद्र फिलहाल संगीत शिक्षा संस्थान के रूप में तेजी से उभर कर सामने आई है. अनुपमा तिवारी द्वारा संचालित अनुपम स्कूल ऑफ आर्ट एंड कम्युनिकेशन में भी संगीत की तालीम दी जा रही है. इसके अलावा भी कई छोटे संस्थान हैं जहां संगीत की शिक्षा दी जा रही है.

पलामू के कई गायकों को मिली शिक्षक की नौकरी

पलामू के कई गायकों को इस बार झारखंड सरकार द्वारा संगीत शिक्षक के रूप में बहाल किया गया है, जो काफी सुखद है. इनमें सिकंदर कुमार, राकेश कुमार सिंह, आनंद कुमार रवि, राजदीप राम, सुशांत पाठक आदि प्रमुख हैं. इनमें सुशांत पाठक ने तो नौकरी ही ज्वॉइन नही की. जबकि पंकज निराला विचारणीय है.

24 जून को मनेगा म्यूजिक फॉर पिस कार्यक्रम

24 जून को पलामू में सुरसंगम कला केंद्र द्वारा विश्व संगीत दिवस पखवारा के तहत म्यूजिक फॉर पिस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. मेदिनीनगर के बाईपास रोड स्थित जेएमपी कॉम्प्लेक्स में आयोजित इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त केडिया बंधु द्वारा सरोद और सितार की जुगलबंदी पेश को जायेगी. साथ ही राम-श्याम बंधुओ द्वारा गजल पेश किया जाएगा. संध्या सात बजे से रात्रि 10 बजे तक कार्यक्रम किया जायेगा.

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