पलामू, सैकत चटर्जी : आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर महिला, के सपने को अमली जामा पहनाने के लिए एक नई राह तलाश कर अपनी मंजिल की ओर बढ़ने वाले कदम का नाम है योगिता श्री. पलामू के प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के रेड़मा की रहने वाली योगिता अपने काम के बलबूते आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. अपने सपनो के सफर में योगिता के लिए खास बात यह भी है की इस सफर में वो अकेली नहीं चली, बल्कि अपने साथ वैसी महिलाएं और लड़कियों को भी लेती चलीं, जिनके मन में ऊंची उड़ान के ख्वाहिश तो थे, पर रास्ता नहीं पता था. अपने साथ औरों को भी जोड़कर चलने की यही हुनर योगिता को खास बनाती है.
मेकअप प्रोफेशन को दिया नया आयाम
योगिता श्री अपने केरियर को आगे ले जाने के लिए मेकअप को माध्यम बनाया. योगिता इस सफर की शुरुआत उस समय की, जब पलामू जैसी जगह में मेकअप का मतलब सिर्फ ब्यूटी पार्लर तक ही सीमित था. महिलाएं अगर मेकअप सीखती थी, तो उनका एक मात्र उद्देश्य यही होता था कि इसके बाद एक छोटा मोटा ब्यूटी पार्लर खोलकर कुछ रोजगार किया जाए. पर योगिता ने पलामू में मेकअप के इस अवधारणा को बदल दी. आज मेकअप को लेकर लोगों का नजरिया बदल गया. योगिता ने अपने संघर्ष के बूते बताया कि मेकअप का मतलब सिर्फ ब्यूटी पार्लर में शादी के दुल्हनों को सजाना या अन्य सुविधाएं मुहैया कराना ही नहीं होता. मेकअप सीखकर इसका एकेडमिक यूज भी किया जा सकता है. मेकअप को मॉडलिंग के साथ जोड़कर एक नई राह तलाशा जा सकता है.
जब मन विचलित हुआ तो मिला माता-पिता का साथ
अपनी पढ़ाई के दरमायन जब योगिता ने कुछ करने की सोची, तो उसके सामने कई आइडिया आए. योगिता ने प्रभात खबर को बताया कि उसके कई शौख थे, मसलन, फैशन डिजाइनिंग, स्केचिंग, मेकअप तो इन सब के बीच वो किसी एक को चुन नहीं पा रही थीं. मन विचलित होने लगा था. इसी समय उन्होंने अपने मां से बात की, मां की सलाह काम आयी और उसने तय किया की मेकअप को ही मंजिल मानकर आगे का रास्ता तय करना है. फिर पिता आगे आए. सब जांच पड़ताल कल कोलकाता में चार माह का प्रोफेशनल ट्रेनिंग पूरी की. वापस आकर एक सवाल यह भी था कि अब क्या किया जाए. हमेशा से अलग करने की चाहत रखने वाली योगिता ने फिर से एक और फैसला लिया और पारंपरिक ब्यूटी पार्लर खोलने की जगह योगिता श्री मेकअप स्टूडियो एंड अकादमी की स्थापना की.
अकादमी को जल्द ही मिली पहचान
अपनी अकादमी में योगिता ने खुद को दूसरे का मेकअप करने तक सीमित नहीं रखा बल्कि दूसरों को मेकअप भी सिखाने लगीं. इससे जल्द ही अकादमी को एक पहचान मिली. लड़कियां अकादमी से जुड़ने लगी. खास कर वैसी लड़किया जो मेकअप सीखना तो चाहती थी पर बाहर जाकर सीख नहीं सकती थी, उनके लिए यह अकादमी वरदान साबित हुई. एक के बाद एक कई लड़कियों ने योगिता की अकादमी से ट्रेनिंग लेकर अपना खुद का ब्यूटी पार्लर खोला. यानी की पहले खुद को आत्मनिर्भर बनाने वाली योगिता, अब दूसरी लड़कियों को भी आत्मनिर्भर बनने में मददगार साबित होने लगी थी.
अलग कुछ करने की ललक से तैयार की मॉडल्स की ग्रुप
मेकअप को सिर्फ दुल्हन सजाने तक सीमित नहीं रखने की चाहत के लिए काम करने वाली योगिता ने जल्द ही मेदिनीनगर शहर में मॉडलों की फौज खड़ी कर ली. अपने अकादमी में जिन्हें वो मेकअप सिखाती, उन्हे प्रयोग के लिए मॉडल की जरूरत होती थी. ऐसे में मॉडलों को भी रोजगार मिलने की राह सुगम हुई. मॉडलिंग के सपने संजोए कई लड़कियां, अब योगिता की मॉडल टीम की सदस्य है. इसके साथ फोटोग्राफर की टीम भी योगिता के साथ जुड़कर काम कर रहे हैं, जिससे उन्हें भी रोजगार मिला.
दुर्गा, काली, ग्रामीण थीम पर वर्कआउट से मिली प्रसिद्धि
जल्द ही योगिता ने अपने टीम के साथ दुर्गा, काली, ग्रामीण महिला आदि थीम पर वर्कआउट कर काम शुरू किया. मेदिनीनगर जैसी जगह पर यह एकदम नई बात थी. मॉडल को दुर्गा, काली, ग्रामीण महिला आदि बनाकर उनका वीडीओ और फोटो शूट करवाया गया. सोशल मीडिया पर इन्हे जबरदस्त रिस्पांस मिला. अब लड़कियां खुद से योगिता से संपर्क कर इसी तरह का मेकअप करवा कर फोटो शूट करवा रही हैं.
स्टूडेंट कहती है दीदी जैसी कोई नहीं
योगिता का मृदुभाषी होना और सिखाने काे तरीके ने उसे अपने स्टूडेंट के बीच भी लोकप्रियता दी. योगिता की छात्रा अमीषा ने पहले तो शौख से मेकअप सीखा, पर अब इसे केरियर बनाने का सोच रही है. उनका मानना है योगिता जैसी फिलहाल मेदिनीनगर में कोई नहीं है. इसी तरह एमकॉम कर रही सीमा भी अकादमी की चर्चा सुनकर यहां सीखने आई और अब इसे प्रोफेशन बनाने को सोच रही है.
श्यामली बनी मॉडल, तो ज्योति ने खोल लिया पार्लर
शहर की उभरती अदाकारा श्यामली पहले तो एक मॉडल के तौर पर योगिता से जुड़ी पर धीरे धीरे मेकअप सीखने की ललक बढ़ी और उसने मेकअप भी सीखा. ज्योति पहले से मेकअप करती थी पर अकादमी में ट्रेनिग लेकर उसे अपने काम में नई तकनीकों की जानकारी हुई और उसने खुद का पार्लर खोल दी.
स्टूडेंट के लिए होती है प्रतियोगिता, बनता है एक नया परिवार
अपने अकादमी में योगिता 40 दिनों का कोर्स कराती हैं. उसके बाद अपने स्टूडेंट के बीच प्रतियोगिता कराती हैं. इस प्रतियोगिता में अच्छे प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स को पुरष्कृत किया जाता है. स्टूडेंट और मॉडल के बीच यह काफी लोकप्रिय है, क्योंकि इससे सभी की प्रतिभा को एक मंच मिलता है. यही नहीं योगिता अपने स्टूडेंट को अकादमी के माध्यम से काम भी उपलब्ध कराती हैं. कोर्स के बाद स्टूडेंट से मुंह मोड़ लेने की परंपरा से अलग योगिता सबसे लगातार संपर्क बनाकर रखती हैं, कौन कैसा काम कर रही है, किसे क्या तकनीकी समस्या है, उसपर चर्चा होती है. इससे हर बैच के बाद अकादमी का एक नया परिवार तैयार हो रहा है.
पिता को दिया सफलता का श्रेय
प्रभात खबर से बात करते हुए योगिता ने बताया कि उसके सपनों को पूरा करने और सफल बनाने में यूं तो मां सहित पूरे परिवार का योगदान रहा है, पर पापा ने जो कुछ भी किया वो सबसे अलग था. योगिता का मानना है कि पापा की वजह से ही उसके सपने साकार हो सके. अब उसे एक चाहत है कि मेकअप को लेकर पलामू के लोगों की सोच बदले और इस दिशा में नए आइडिया के साथ कुछ काम हो.
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