छावनी परिषद के होल्डिंग टैक्स बढ़ने को लेकर लोग असमंजस में
नीरज अमिताभ रामगढ़ : छावनी परिषद अपने आठों वार्ड में भवनों के कर पुन: निर्धारण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस बार परिषद अपने स्तर पर भवनों का सर्वे अपने नहीं करा कर एक प्राइवेट कंपनी से आउटसोर्सिंग पर भवनों का सर्वे करा रही है. छावनी परिषद में अंतिम बार सत्र 2003-06 का सर्वे […]
नीरज अमिताभ
रामगढ़ : छावनी परिषद अपने आठों वार्ड में भवनों के कर पुन: निर्धारण की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इस बार परिषद अपने स्तर पर भवनों का सर्वे अपने नहीं करा कर एक प्राइवेट कंपनी से आउटसोर्सिंग पर भवनों का सर्वे करा रही है. छावनी परिषद में अंतिम बार सत्र 2003-06 का सर्वे हुआ था. यह कर निर्धारण शहर के लोगों की चुनी हुई कमेटी ने किया था. छावनी परिषद हर तीन वर्ष में करों का पुन: निर्धारण करती है.
वर्ष 2006-09 के लिए तत्कालीन बोर्ड के सदस्यों ने बहस के बाद मात्र एक प्रतिशत कर की वृद्धि होने दी थी. इस बार यह चर्चा जोरों पर है कि इस बार करों में वृद्धि अधिक होगी. करों में वृद्धि को लेकर वार्ड सदस्यों में भी चर्चा है. किस आधार पर कर बढ़ेगा, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है. कर निर्धारण के मामले में निर्वाचित वार्ड सदस्य स्वयं को असहाय पा रहे हैं. अंग्रेजों के समय बने छावनी अधिनियम को वर्ष 2006 में भारतीय संसद ने संशोधित कर पारित किया था.
इस अधिनियम में कर निर्धारण का अधिकार छावनी परिषद के निर्वाचित सदस्यों से हटा कर छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी को दे दिया गया था. इसके बाद से कर निर्धारण में निर्वाचित सदस्यों की भूमिका समाप्त हो गयी थी. कर बढ़ने पर नागरिक सीधे जिम्मेवार निर्वाचित सदस्यों को समझते हैं आैर उनके समक्ष शिकायत करते हैं. भले ही करों का निर्धारण आधिकारिक स्तर पर हो, लेकिन इसका विरोध निर्वाचित वार्ड सदस्य जनहित में कर सकते हैं.
नागरिकों के असेसमेंट कमेटी में शामिल लोग : बीके कौल ने कर निर्धारण के लिए अपने कार्यकाल में आम नागरिकों की कमेटी बनायी थी. यह पूरे देश की छावनी परिषद के लिए उदाहरण है. इससे करों में भी वृद्धि हुई आैर लोग भी संतुष्ट हुए.
पहले 22 लोगों को शहर से चुना गया. फिर उनमें से पांच लोगों की कमेटी बनायी गयी. भवन मालिकों की आपत्तियों को सुन कर अंतिम रूप से कर का निर्धारण किया गया. 22 लोगों की कमेटी में सिटीजन फोरम के पूर्व अध्यक्ष बसंत हेतमसरिया, तत्कालीन रामगढ़ चेंबर अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह, रामगढ़ अधिवक्ता संघ के तत्कालीन अध्यक्ष आनंद अग्रवाल, अधिवक्ता ऋषि कुमार, वकील सिंह, मोइन अंसारी, मुल्कराज चड्ढा, कमल बगड़िया, पूर्व वार्ड सदस्य केसर सिंह कमल, महेंद्र प्रताप सिंह, पत्रकार महेश मारवाह, डीपी सिंह, सौदागर मुहल्ला के अब्दुल जब्बार, जनार्दन हजारी, पारसोतिया के रामप्रसाद महतो, विश्वनाथ करमाली, प्रो डीपी यादव, सियाशरण प्रसाद, भूपत वडेरा, अधिवक्ता बीडी गोप, पोचरा के संजय ठाकुर तथा जमीरा के चंद्रशेखर यादव शामिल थे. इसके बाद इन लोगों ने अपने बीच से पांच लोगों को चुना. इन लोगों ने अंतिम रूप से करों के मामले में सुनवाई की आैर करों का निर्धारण किया. इन पांच लोगों में असेसमेंट कमेटी का अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह को बनाया गया था. इनके अलावा मुल्कराज चड्ढा, प्रो डीपी यादव, अधिवक्ता आनंद अग्रवाल व महेंद्र प्रताप सिंह बतौर सदस्य कमेटी में शामिल थे.
अंतिम बार पूर्ण कर निर्धारण नागरिकों की कमेटी ने की थी
छावनी परिषद, रामगढ़ ने अंतिम बार कर निर्धारण वर्ष 2003-06 में किया था. उस समय देश की सभी छावनी परिषदों में तदर्थ बोर्ड कार्यरत था. उस समय रामगढ़ छावनी परिषद के अधिशासी पदाधिकारी बीके कौल थे. उस समय पहली बार बीके कौल ने कर निर्धारण का एक आधार तैयार किया था.
कर निर्धारण के लिए एक पुस्तिका तैयार कर उसे आम लोगों के लिए उपलब्ध कराया था. पूर्व में अक्सर निर्वाचित वार्ड सदस्यों पर यह आरोप लगता रहता था कि वे अपने चहेतों का कर कम कर देते हैं. इस आरोप को खत्म करने के लिए बीके कौल ने कर के लिए आधार पुस्तिका तैयार कर नागरिकों की कर निर्धारण समिति को सौंप दिया था. यह आधार भी प्रस्तावित था. इसमें संशोधन का अधिकार कमेटी के लोगों को दिया गया था. हालांकि, जब तक कर निर्धारण होता, तब तक बीके कौल का स्थानांतरण हो चुका था. सीइओ केसी चावला के समय में कर निर्धारण की प्रक्रिया पूरी हुई.
बीके कौल द्वारा तैयार किये गये प्रारूप पर असेसमेंट कमेटी ने भी एक बार संशोधन कर तदर्थ बोर्ड से पारित करवा कर जनहित में भवनों के तीन स्तर को घटा कर दो स्तरीय कर दिया था. इस भवन कर निर्धारण को लोगों ने स्वीकार किया था आैर इसका कोई विरोध भी नहीं किया गया था. इसे व्यवहार में भी शामिल किया गया था. यह आज तक लागू है. इसमें मात्र एक प्रतिशत की वृद्धि वर्ष 2006-09 में हुई थी.