रांची : कोयला आवंटन घोटाला मामले में मधु कोड़ा को 3 साल की सजा सुनाये जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार की देर रात रामगढ़ में बड़ी कार्रवाई की. रूंगटा बंधुओं की कंपनी झारखंड इस्पात प्राईवेट लिमिटेड (JIPL) की 19.73 करोड़ रुपये की संपत्ति सील कर दी. केस संख्या ECIR/02/RSZO/2014 में कार्रवाई करते हुए ईडी ने कंपनी के रामगढ़ स्थित भवन, प्लांटएवं मशीनोंके साथ-साथ कारएवं कुछ अन्य संपत्तियों को सील कर दिया. ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर स्वपन बोस के नेतृत्व में की गयी इस कार्रवाई में अमित कुमार, मिथिलेश कुमार मिश्र, मंतोष कुमार, अमित कुमार और राजेंद्र कुमार राणा शामिल थे.
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ज्ञात हो कि वर्ष 2016 में सीबीआई की विशेष अदालत ने 1.86 लाख करोड़ रुपये के कथित कोयला खदान आवंटन घोटाला मामले में पहला फैसला सुनाया था, जिसमें जेआइपीएल एवं कंपनी के दो निदेशक आरएस रूंगटा एवं आरसी रूंगटा दोषी ठहराये गये थे.इन्हें कोर्ट ने 4-4सालजेल की सजा सुनायी थी. कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला में सीबीआई ने 39 मामले दर्ज किये थे.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि जेआईपीएल द्वारा गलत दस्तावेज के आधार पर कोल ब्लॉक आवंटित करवाया. कोर्ट में दाखिल आरोप पत्र में कहा गया था कि कंपनी के निदेशकों ने इलेक्ट्रो स्टील कास्टिंग लिमिटेड, आधुनिक अलॉय पावर लिमिटेड और पवन जय स्टील लिमिटेड के नाम पर कोल ब्लॉक आवंटन के लिए आवेदन दिया था. कंपनी के निदेशकों ने ब्लॉक आवंटित कराने के लिए दिये गये दस्तावेज में गलत ब्योरा दर्ज किया था.
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कंपनी की ओर से पेश दस्तावेज में कहा गया था कि कंपनी के पास 100 एमटी क्षमता वाला एक भठ्ठी है. वर्ष 2004 तक इतनी ही क्षमता की और दो भठ्ठियां स्थापित कर ली जायेंगी. जांच में पाया गया कि कंपनी का सिर्फ एक ही भठ्ठी है. कंपनी ने गलत दस्तावेज के आधार पर नार्थ धादू कोल ब्लॉक आवंटित कराने में कामयाबी हासिल कर ली थी. कंपनी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लाउंड्रिंग के आरोप में एक प्राथमिकी दर्ज की थी और उसी मामले में देर रात कार्रवाई की गयी.
कोर्ट ने 21 मार्च,2015 को रूंगटा बंधुओं और जेआईपीएल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और 471 (फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल बतौर असली दस्तावेज करना) के अलावा अन्य कई मामलों के तहत आरोप तय किया था. तब इन्होंने अपने ऊपर लगाये गये तमाम आरोपों को गलत बताया था. रूंगटा बंधुओं ने इसी मामले में सुनवाई के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व कोयला मंत्री डीएन राव को भी अभियुक्त बनाते हुए सम्मन करने का अनुरोध किया था.हालांकि,कोर्ट ने उनकी इस अपील को ठुकरा दिया.