मिथिलेश झा @ रांची
उद्योगपतियों और कारोबारियों को झारखंड में निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए सरकार तरह-तरह की सहूलियतों का एलान कर रही है. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं, अधिकारियों की मनमानी से प्रदेश में पहले से स्थापित उद्योगों के मालिक परेशान हैं. पिछले दिनों राजधानी रामगढ़ से 60 किलोमीटर दूर स्थित कुजू के रांची रोड रउता में वन विभाग ने जंगल से गुजरने वाली एक सड़क काट दी. छोटे-बड़े 28 उद्योगों तक जाने वाली इस सड़क के बाधित होने से सिर्फ सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की क्षति हुई. करोड़ों रुपये का कारोबार और डिस्पैच प्रभावित हुआ. हालांकि, गड्ढे को भर दिया गया है और ट्रकों का परिचालन शुरू हो गया है, लेकिन डीएफओ ने कहा कि एक सप्ताह के भीतर यदि उद्योगपतियों ने एनओसी नहीं लिया, तो फिर से सड़क को काट देंगे.
उधर, उद्योगपतियों में वन विभाग के खिलाफ जबर्दस्त आक्रोश है. उन्होंने वन विभाग के खिलाफ उच्च अधिकारियों और मुख्यमंत्री से शिकायत करने का मन बना लिया है. इसके लिए शुक्रवार शाम 3:00 बजे रामगढ़ में उद्योगपतियों की एक बैठक होगी. इसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी. साथ ही सड़क काटकरट्रांसपोर्टिंग का काम ठप करने की कार्रवाई करने का आदेश देने वाले डीएफओ विजय शंकर दूबे के खिलाफ शिकायत की रणनीति भी बनेगी.
उद्योगपतियों का कहना है कि दीपावली के बाद वे लोग उद्योग सचिव और मुख्यमंत्री रघुवर दास से मुलाकात करेंगे. राज्य के मुखिया को वन विभाग के अधिकारी की मनमानी से अवगत करायेंगे. उद्योगपतियों ने बताया कि रउता कोयला खदान बंद होने के बाद इस क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना शुरू हुई. उद्योगपतियों का दावा है कि वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लेने के बाद ही उद्योगों की स्थापना हुई. आज इन उद्योगों में करीब 2,000 लोग काम करते हैं. हर दिन 10,000 से ज्यादा लोग इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में कोई अधिकारी सड़क काटकर उद्योगों को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोच भी कैसे सकता है.
क्षेत्र के एक प्रमुख उद्योगपति ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि एक ओर सरकार उद्योगपतियों को झारखंड में व्यवसाय शुरू करने के लिए आमंत्रित कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ, झारखंड सरकार के अधिकारी स्थापित उद्योगों को बर्बाद करने पर तुले हैं. उद्योगपतियों को परेशान कर रहे हैं. ऐसे में बाहर के उद्योगपतियों में झारखंड की क्या छवि बनेगी.
हालांकि, गड्ढे को भरवा कर इस मार्ग से वाहनों का परिचालन शुरू कर दिया गया है, लेकिन क्षेत्र के उद्योगपतियों में भारी आक्रोश है. उनका कहना है कि वन विभाग की वजह से आज उन लोगों में असमंजस की स्थिति है. यदि अधिकारियों का यही हाल रहा, तो उद्योगों को बंद कर देना पड़ेगा.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि इस क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक उद्योगों में लोहा, स्टील, सीमेंट से ईंट बनाने, टाइल्स बनाने समेत कई बाइप्रोडक्ट इंडस्ट्री चल रहे हैं. इसमें आसपास के 5-6 गांवों के लोग नौकरी करते हैं. क्षेत्र के लोगों के खेत-खलिहान भी इस रास्ते में पड़ते हैं. खेतों से फसल काटकर लाना मुश्किल हो जायेगा.
एक उद्योगपति ने तो यहां तक कहा कि वन विभाग में जो भी नया अधिकारी आता है, अपनी जेब गर्म करने के लिए उद्योगपतियों को परेशान करना शुरू कर देता है. इस बार सड़क काट दी.यह तो अति हो गयी. एक उद्योगपति ने कहा कि किसी भी उद्योग की स्थापना के लिए व्यवसायी बैंक या सरकारी एजेंसी से कर्ज लेता है. यदि उद्योग बंद होंगे, तो सरकार के अरबों रुपये डूब जायेंगे.
वन विभाग का गैर-कानूनी तरीके से इस्तेमाल कर रहे उद्योग
वन विभाग ने डीएफओ विजय शंकर दूबे के आदेश पर पिछले दिनों यह कह कर रोड काट दी थी कि कंपनियां बिना एनओसी के फॉरेस्ट लैंड का इस्तेमाल कर रही हैं. वन विभाग की अनुमति के बगैर इस रास्ते से ट्रक वगैरह चलाना गैरकानूनी है. श्री दूबे ने बताया कि यहां जमीन के अतिक्रमण और जमीन दलाली की भी शिकायतें आ रही थीं. इसलिए उन्होंने यह कार्रवाई की. फिलहाल, गड्ढे को भर दिया गया है, क्योंकि उद्योगों को बहुत नुकसान हो रहा था. उद्योगपतियों ने एक सप्ताह का समय लिया है. यदि एक सप्ताह में उन्होंने जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं की, तो फिर से सड़क को काट दिया जायेगा.
60 घंटे से ज्यादा फंसे रहे ट्रक
वन विभाग की सड़क काटने की कार्रवाई की वजह से वन क्षेत्र में स्थित ग्लोब स्टील, मां वैष्णवी, महियर,नानक, कलकत्ता कारबाइड,कोहिनूर समेत 12 उद्योगों की ट्रांसपोर्टिंग ठप हो गयी थी. ढाई दर्जन से अधिक ट्रक60 घंटे से अधिक समयतक जंगल में फंसेरहे. डीएफओ श्री दूबे ने उद्योगपतियों को स्पष्ट कर दिया कि एनओसी के बगैर वन भूमि के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जायेगी. कहा कि वाहनों की आवाजाही से जंगल और पर्यावरण को नुकसान हो रहा था. इसलिए यह कार्रवाई की गयी.