कुजू : मांडू प्रखंड के राजकीय उर्दू प्राथमिक विद्यालय दिगवार में रविवार को योगदान देने पहुंचे दो शिक्षकों के विरोध में अल्पसंख्यक समुदाय के महिला-पुरुष ग्रामीणों ने विरोध जताया. जिसके कारण योगदान दिये बगैर शिक्षकों को वापस लौटना पड़ा. विरोध कर रहे ग्रामीणों का कहना था कि विद्यालय की स्थापना 1958 में हुई थी. जहां निरंतर विद्यालय के बच्चों को उर्दू के शिक्षकों द्वारा शिक्षा दी जा रही थी.
लेकिन वर्ष 2016 में शिक्षकों की सेवानिवृति के बाद उर्दू की पढ़ाई बंद हो गयी. जिसके बाद उर्दू के शिक्षक की बहाली की मांग को लेकर जिला शिक्षा अधीक्षक को आवेदन भी दिया गया लेकिन इस पर किसी तरह का कोई कार्रवाई नहीं की गयी. अब विभाग ने उर्दू शिक्षकों की बहाली न कर अलग विषयों के दो शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है.
जबकि पहले से भी विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक तथा एक पारा शिक्षक हैं. जो उर्दू छोड़ हिंदी व अन्य विषयों की शिक्षा बच्चों को दे रहे हैं. ऐसे स्थिति में अल्पसंख्यक बच्चे उर्दू शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. ग्रामीणों ने विभाग से उर्दू की शिक्षक बहाली करने की मांग की.
इधर योगदान देने पहुंचे शिक्षक सुनील कुमार साहू व महेंद्र गुप्ता ने विद्यालय के प्रधानाध्यापक को आवेदन देते हुए कहा है कि विभाग के आदेशानुसार वे विद्यालय में योगदान देने पहुंचे थे. लेकिन ग्रामीणों ने विरोध के कारण योगदान देने से वंचित रहे. शिक्षकद्वय ने प्रधानाध्यापक से उच्च अधिकारियों से बात कर मार्गदर्शन कराने की मांग की.
विद्यालय के प्रधानाध्यापक अर्जुन कुम्हार ने प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को आवेदन देते हुए विद्यालय में योगदान देने पहुंचे शिक्षकों के विरोध के मामले से अवगत कराया.