(रामगढ़) ग्लास फैक्टरी की बंदी से प्रभावित हैं हजारों लोग

3बीएचयू-1-बंद पड़ी फैक्टरी, 2-बच्चा राय, 3-शकील अख्तर, 4-मर्यानुस दास, 5-अनूप, 6-नीरज, 7-रामा, 8-सत्या, 9-फैक्टरी क्षेत्र की एक कॉलोनी.रामगढ़. 15 मई से बंद है भदानीनगर स्थित आइएजी ग्लास फैक्टरीबेरोजगार हुए 650 कर्मी, भूखे मरने की नौबतकई महीने का वेतन बकायाकार्यरत कर्मियों को 2008-11 के बीच काम करने के बावजूद नौ महीने का वेतन नहीं मिला. कूल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2014 10:00 PM

3बीएचयू-1-बंद पड़ी फैक्टरी, 2-बच्चा राय, 3-शकील अख्तर, 4-मर्यानुस दास, 5-अनूप, 6-नीरज, 7-रामा, 8-सत्या, 9-फैक्टरी क्षेत्र की एक कॉलोनी.रामगढ़. 15 मई से बंद है भदानीनगर स्थित आइएजी ग्लास फैक्टरीबेरोजगार हुए 650 कर्मी, भूखे मरने की नौबतकई महीने का वेतन बकायाकार्यरत कर्मियों को 2008-11 के बीच काम करने के बावजूद नौ महीने का वेतन नहीं मिला. कूल डाउन के बाद वर्तमान में भी वेतन नहीं मिल रहा. वर्ष 2004-08 के बीच का 48 महीने का वेतन भी नहीं दिया गया. इस मामले पर कर्मियों द्वारा 48 महीने के वेतन भुगतान के लिए कोर्ट में केस भी किया गया है, जिसका फैसला आना बाकी है. इसी तरह 2008-11 के बीच 27 माह का पीएफ का पैसा वेतन से काटा तो गया, लेकिन उसे विभाग में जमा नहीं कराया गया. 2004 के बाद से ग्रेच्युटी के पैसे का भुगतान भी प्रबंधन द्वारा नहीं किया गया है.50 से अधिक लोग तोड़ चुके हैं दमबार-बार फैक्टरी की बंदी ने यहां कार्यरत कर्मियों को आर्थिक रूप से पूरी तरह तोड़ कर रख दिया है. बच्चा राय, शकील अख्तर, मर्यानुस दास, अनूप कहते हैं कि आर्थिक तंगी में कई लोग अपना इलाज नहीं करा सके. अब तक 50 से अधिक लोग असमय काल के गाल में समा चुके हैं. यह सिलसिला अभी भी थमा नहीं है. रोजगार छिन जाने से लोगों का पलायन भी जारी है. शेष लोग दिहाड़ी व अन्य छोटे-मोटे काम-काज कर जीवन की गाड़ी खींच रहे हैं. छात्र नीरज कुमार प्रसाद, रामा, सत्या ने कहा कि घर की स्थिति खस्ताहाल है. इसका असर पढ़ाई पर पढ़ रहा है. उच्च व तकनीकी शिक्षा जैसे क्षेत्र में जाने की सोच भी नहीं सकते हैं.दर्द सुना, किया कुछ नहींयहां के लोगों का दर्द जानने- सुनने हमेशा छोटे-बड़े नेता पहुंचते रहते हैं. लोगों की समस्या से स्थानीय सांसद, विधायक सह मंत्री, समाजसेवी संगठन, अधिकारी भी अवगत हैं, पर किसी भी स्तर से फैक्टरी कर्मियों के मुद्दे को नहीं उठाया जा रहा. जल्द बहाल होगी बिजली : मंत्री ग्लास फैक्टरी की कॉलोनियों में बिजली बहाली के मुद्दे पर स्थानीय विधायक सह कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने कहा कि जल्द ही बिजली बहाल हो जायेगी. इस मामले पर शनिवार को मुख्यमंत्री व ऊर्जा सचिव के साथ बात भी हुई है. ऊर्जा सचिव ने आश्वासन दिया है कि कॉलोनी का सर्वे करने के बाद बिजली बहाल कर दी जायेगी. श्री साव ने कहा कि कॉलोनियों में मीटर भी लगाये जायेंगे.प्रतिनिधि, भुरकुंडा (रामगढ़) शीशा उत्पादन में दो दशक तक एशिया में विख्यात रही भदानीनगर स्थित इंडो असाही ग्लास फैक्टरी (वर्तमान में आइएजी ग्लास कंपनी लिमिटेड) पिछले 15 मई से बंद है. इससे यहां के हजारों लोग प्रभावित हुए हैं. यहां कार्यरत 650 से अधिक श्रमिकों का रोजगार छिन गया है. तीन माह से वेतन बंद है. पहले का भी वेतन बाकी है. इससे इनके परिवार को भूखे मरने की नौबत आ गयी है. वर्तमान प्रबंधन ने 15 मई 2014 को फैक्टरी की उत्पादन इकाई टू-टीएफ प्लांट को कूल डाउन के नाम पर बंद कर दिया. फैक्टरी को पुन: खोलने की दिशा में कोई प्रयास नहीं होने से सैकड़ों मजदूर व इनके परिवारवालों की उम्मीद टूटने लगी है. दाल-रोटी व बच्चों की पढ़ाई की चिंता सता रही है. बिजली कटी, पानी भी बंद 30 जून को विद्युत विभाग ने बकाया बिजली बिल को लेकर फैक्टरी की बिजली काट दी. इससे कॉलोनी क्षेत्र अंधेरे में डूब गया. मंत्री, अधिकारी से लेकर केंद्रीय स्तर तक के नेताओं से गुहार लगाने के बावजूद अब तक बिजली बहाल नहीं हुई है. बिजली कटने से पानी की सप्लाई भी बंद हो गयी है. बताया गया कि एक करोड़ रुपये से अधिक का बिजली बिल बकाया है. कूल डाउन के नाम पर बंद हो जाती है फैक्टरीफैक्टरी प्रबंधन ने फर्नेश में आयी खराबी को दूर करने व शीशे की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्लांट को कूल डाउन के नाम पर 15 मई से बंद कर दिया गया. नियमानुसार, प्लांट को तीन महीन के भीतर फिर से चालू किया जाना चाहिए. इस अवधि में कर्मियों का वेतन व सुविधाएं मिलनी चाहिए, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा है.फैक्टरी का सफरकंपनी की स्थापना 1940 के आसपास लाला गुरूशरण लाल राय ने की थी. 1952 तक फैक्टरी चली. फिर यह बंद हो गयी. दो साल के बाद सरकार ने इसे नीलामी प्रक्रिया में डाल दिया. जापान की इंडो असाही कंपनी ने इसे खरीदा. तब इसमें लगभग 1800 कर्मी थे. 1998 में जापानी कंपनी ने इसे दिल्ली के उद्योगपति आरएस खेमका को बेच दिया. कंपनी 2004 तक चली. पहली बार अक्तूबर 2004 में इसे कूल डाउन के नाम पर बंद किया गया. 2008 में इस फैक्टरी को विजय जोशी को दे दिया गया. फैक्टरी को 2011 में दूसरी बार कूल डाउन के नाम पर बंद किया गया. इस दौरान नौ महीने का वेतन मजदूरों को नहीं मिला. 2013 में फिर से फैक्टरी शुरू की गयी. लगभग एक साल चलने के बाद इसे फिर से कूल डाउन कर दिया गया.

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