दातुन बेच कर पढ़ा रही हैं भतीजे को
उरीमारी (रामगढ़) : झारखंड राज्य के रामगढ़ जिले की रहने वाली 65 वर्षीय सुगिया देवी दातुन पत्तल बेच कर अपने भविष्य के लिए डाकघर के माध्यम से आर्थिक बचत करके मिसाल कायम कर रही है. अपनी कमाई से जरजरा की यह आदिवासी महिला अपने भतीजे लोकपति बेदिया को रांची में रख कर आइटीआइ करा रही […]
उरीमारी (रामगढ़) : झारखंड राज्य के रामगढ़ जिले की रहने वाली 65 वर्षीय सुगिया देवी दातुन पत्तल बेच कर अपने भविष्य के लिए डाकघर के माध्यम से आर्थिक बचत करके मिसाल कायम कर रही है. अपनी कमाई से जरजरा की यह आदिवासी महिला अपने भतीजे लोकपति बेदिया को रांची में रख कर आइटीआइ करा रही है.
सुगिया रामगढ़ जिले के सयाल पोस्ट ऑफिस में एक वर्ष की योजना में दातुन-पत्तल से कमाये गये 48 हजार रुपये जमा करने पहुंची थी. इससे पहले वह 30 हजार रुपये इसी डाकघर में फिक्सड डिपोजिट कर चुकी है. उसे बचत के लिए डाक घर के अभिकर्ता जयकुमार शर्मा ने प्रेरित किया. सुगिया दातुन पत्तल बेचने का काम 40 वर्ष से कर रही है. इनकी अपनी कोई संतान नहीं है.
पति से अलग होने के बाद जीवन के प्रति उनका संघर्ष आज भी जारी है. वह इस कार्य को इसलिए करती हैं ताकि वह अपने भाई के बच्चों को पढ़ाई व शादी में मदद कर सके. जरजरा से सयाल की दूरी वह पैदल तय करती है.
इस उम्र में भी सुगिया के जज्बे को देख कर लोग उसकी प्रशंसा से खुद को नहीं रोक पाते हैं. सुगिया कहती है कि कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता. इनसान की पहचान उसके काम से ही होती है.