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1875 से हो रही है बरलंगा में दुर्गा पूजा

1875 से हो रही है बरलंगा में दुर्गा पूजा 17 चितरपुर सी. बरलंगा में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा.गोला/सोनडीमरा. गोला प्रखंड के बरलंगा गांव में वर्ष 1875 से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना हो रही है. गांव के स्व किशुन साव के वंशज ने निजी रूप से मां दुर्गा की पूजा शुरू की थी. लेकिन कुछ […]

1875 से हो रही है बरलंगा में दुर्गा पूजा 17 चितरपुर सी. बरलंगा में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा.गोला/सोनडीमरा. गोला प्रखंड के बरलंगा गांव में वर्ष 1875 से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना हो रही है. गांव के स्व किशुन साव के वंशज ने निजी रूप से मां दुर्गा की पूजा शुरू की थी. लेकिन कुछ दशक के बाद मां दुर्गा की पूजा यहां सार्वजनिक रूप से शुरू की गयी. इसके बाद आज तक यहां पूजा-अर्चना हो रही है. पूजा को लेकर बरलंगा बाजारटांड़ में साप्ताहिक बाजार भी शुरू किया गया. इसके अलावा मंदिर प्रांगण में नीम का पेड़ लगाया गया था, जो आज तक मौजूद है. बाजार से प्राप्त आय से दुर्गा पूजा व अन्य धार्मिक अनुष्ठान में खर्च किये जाते है. जुलूस का लाइसेंस लखी नारायण साहू के नाम से मिलता है. ब्रिटिश जमाने में यहां पूजा किये जाने से रांची जिला के सिल्ली, बूढ़ा बेहरा, लोहसेरा, हकेदाग व पश्चिम बंगाल के झालदा सहित कई गांव के लोग यहां पूजा के लिए पहुंचते है.प्रथम दिन ही खुलता है पट: मां दुर्गे की प्रथम स्वरूपा मां शैलपुत्री के पूजा-अर्चना के दिन ही यहां पट खोल दिया जाता है. जहां मां दुर्गा के साथ साथ अन्य देवी देवताओं के दर्शन कर लोग पूजा-अर्चना शुरू कर देते है. साथ ही यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत रथु प्रसाद साहू द्वारा प्रवचन, नवमी को जागरण व दशमी को रावण दहन कार्यक्रम किया जाता है.

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