लादी में होती है अनोखी दुर्गा पूजा सप्तमी को ही हो जाता है समापन. भदानीनगर. भदानीनगर क्षेत्र के लादी गांव में दुर्गा पूजा मनाने की अनोखी परंपरा है. प्रत्येक वर्ष सप्तमी के दिन ही पूजा-अर्चना कर इसका समापन कर दिया जाता है. सात दिनों तक उपवास कर देवी की उपासना के बाद तेज धारदार फरसा से देवी-देवताओं पर आस्था जताते हुए अपने पेट पर वार करते रहते हैं. चमत्कारिक रूप से तेज धारदार फरसे के वार के बाद भी उपासक के शरीर पर कोई जख्म नहीं बनता है. इस चमत्कार को देखने के लिए सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के लोग भारी संख्या में जुटते हैं. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यह सदियों से चली आ रही है. जिसका निर्वाह हमलोग भी कर रहे हैं. पूजा के दौरान पाहन कील से निर्मित खटनाइ (खड़ाऊं) पहन कर कीलयुक्त पीढ़े पर बैठते हैं. गांवा देवती, गंवार राजा, राजा गोसाईं, दुर्गा मां, भोक्ता बान सिंग, लुग्गू बान सिंग, दुर्गा मां, बासमती मां, चलइया आदि देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. सप्तमी के दिन पाहन फूलेश्वर गंझू, ढोठा मुंडा ने पूजा रंगुआ मुरगे व बकरे की बलि देकर पूजा करायी. इस पूजा पर क्षेत्र के ग्रामीणों की भरपूर आस्था है. यहां तक कि जनप्रतिनिधि भी बड़ी संख्या पहुंचते हैं. सोमवार को रामगढ़ जिप उपाध्यक्ष मनोज राम ने भी पहुंच कर देवी का दर्शन किया. आयोजन को सफल बनाने में भूषण यादव, विजेंद्र मुंडा, फूलेश्वर गंझू, सेवक गणेश गंझू, लखन गोप, नकुल गंझू, भीखन महतो, अर्जुन मुंडा, राजन राम आदि का योगदान रहा.
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लादी में होती है अनोखी दुर्गा पूजा
लादी में होती है अनोखी दुर्गा पूजा सप्तमी को ही हो जाता है समापन. भदानीनगर. भदानीनगर क्षेत्र के लादी गांव में दुर्गा पूजा मनाने की अनोखी परंपरा है. प्रत्येक वर्ष सप्तमी के दिन ही पूजा-अर्चना कर इसका समापन कर दिया जाता है. सात दिनों तक उपवास कर देवी की उपासना के बाद तेज धारदार फरसा […]
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