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गैंगस्टर धनंजय ने दोनों गुटों के वर्चस्व को दी थी चुनौती
भुरकुंडा : पांडेय व सुशील के आपसी वर्चस्व की लड़ाई ने यहां तीसरा गैंगस्टर पैदा कर दिया था. यह वह दौर था, जब रंगदारी के लिए पूरे राज्य में यह कोयलांचल माकूल व क्रीमी क्षेत्र के रूप में पहचान बना चुका था. पांडेय व सुशील की आपसी लड़ाई दोनों गुटों को हर दिन कमजोर कर […]
भुरकुंडा : पांडेय व सुशील के आपसी वर्चस्व की लड़ाई ने यहां तीसरा गैंगस्टर पैदा कर दिया था. यह वह दौर था, जब रंगदारी के लिए पूरे राज्य में यह कोयलांचल माकूल व क्रीमी क्षेत्र के रूप में पहचान बना चुका था. पांडेय व सुशील की आपसी लड़ाई दोनों गुटों को हर दिन कमजोर कर रही थी.
ऐसे में उचित समय देख अंतरराष्ट्रीय गैंगस्टर धनंजय प्रधान ने 2011 की शुरुआती दौर में कोयलांचल क्षेत्र में अपनी दस्तक दी. प्रधान के फोन यहां के बड़े ठेकेदारों, व्यवसायियों और उद्योगपतियों को आने लगे. कुछ नये लोगों ने उसे अपना आका मान रंगदारी देना भी शुरू कर दिया. जबकि पांडेय व सुशील गुटों से पहले से टैग लोग त्राहिमाम संदेश लेकर उन तक पहुंचे. तीसरे गैंगस्टर प्रधान की इस इलाके में दस्तक ने दोनों गुटों की नींद उड़ा दी. रंगदारी देने में आनाकानी करनेवालों को प्रधान गुट जान से मारने की धमकी भी देने लगा. तब दोनों गुटों ने प्रधान की दखलअंदाजी को एक बड़ी चुनौती के रूप में लिया.
फिर आपराधिक दुनिया के नियमों के मुताबिक दोनों गुटों ने अपने-अपने अासामियों को सुरक्षा देने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी. इस दौरान दोनों गुटों के बीच एक मौन सहमति सी बन गयी और करीब दो वर्षों तक दोनों के बीच कोई बड़ा गैंगवार नहीं हुआ. इस दौरान दोनों गुट के लोग सिर्फ अपने अासामियों के कवच ही नहीं बने रहे, बल्कि प्रधान के गुर्गों का क्षेत्र से सफाया करने का भी काम शुरू कर दिया. दोनों गुटों की धमकी से प्रधान के ज्यादातर गुर्गों ने इस क्षेत्र को छोड़ दिया. वहीं, दोनों गुटों ने प्रधान सहित बचे लोगों को पुलिस से मिल कर जेल भेजवा दिया.
नतीजतन महज दो वर्षों के अंदर ही कोयलांचल में प्रधान के पैर जमने से पहले ही उखड़ गये. प्रधान के पैर उखड़ते ही 2013 के बाद पांडेय व सुशील के बीच एक बार फिर से गैंगवार शुरू हो गया. दो वर्षों से थमा गैंगवार इस बार कुछ ज्यादा ही तेज गति से चला. इसकी भेंट दोनों गुटों के सरगना किशोर पांडेय व सुशील श्रीवास्तव भी चढ़ गये. बावजूद यह गैंगवार अब भी बदस्तूर जारी है.
भुरकुंडा पुलिस ने नेपाल से पकड़ा था प्रधान को : अंतरराज्यीय हिस्ट्रीशीटर धनंजय प्रधान की कोयलांचल में तेज दबिश ने स्थानीय पुलिस की भी नींद उड़ा दी थी. गैंगस्टर अनिल शर्मा का वरदहस्त प्राप्त धनंजय प्रधान पर उस वक्त चार दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे. इसमें ज्यादातर हत्या व अपहरण जैसे संगीन मामले थे. बड़े व्यवसायियों को जब उसने इस क्षेत्र में निशाने पर लिया, तो रसूखदार लोगों ने पुलिस पर उसे कंट्रोल करने का दबाव बढ़ा दिया. तब भुरकुंडा पुलिस ने नेपाल से उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
क्षेत्र के ही आपराधिक किस्म के लोगों ने दी थी प्रधान को दावत : कोयलांचल क्षेत्र में धनंजय प्रधान को बुलाने वाले यहीं के कुछ आपराधिक किस्म के लोग थे. ये वो लोग थे जो या तो पांडेय व सुशील गुट के द्वारा तरजीह नहीं दिये गये थे. या फिर वफादारी में कमी के कारण इन गुटों से निकाल दिये गये थे. ऐसे ही असंतुष्ट अपराधियों के खेमे ने उस वक्त अपना एक संगठित गिरोह तैयार कर लिया था. इन लोगों ने क्षेत्र में अपना रंगदारी का सिक्का भी जमाना चाहा, लेकिन उन्हें तरजीह नहीं दी गई. तब ठेकेदारों व बड़े व्यवसायियों में दहशत कायम करने के लिये इन लोगों ने धनंजय प्रधान को अपना आका बना लिया.
नक्सलियों के नाम पर अपराधी मांग रहे रंगदारी : कोयलांचल क्षेत्र में जब लंबे चौड़े क्रिमिनल हिस्ट्री वाले धनंजय प्रधान का पैर उखड़ गया, तो आपराधिक दुनिया में एक मैसेज साफ हो गया कि पांडेय व सुशील गुट का जड़ यहां काफी मजबूत है. इसे उखाड़ना काफी मुश्किल है.
ऐसे में दोनों गैंगस्टरों की बड़ी कमाई से आकर्षित आपराधिक प्रवृति के कुछ लोगों ने गिरोह बनाकर उसे नक्सली संगठन के तौर प्रचारित करना शुरू कर दिया. शुरुआत में इन लोगों ने जहां-तहां पोस्टर चिपका कर धमकी देने का काम शुरू किया. कुछ जगहों पर छोटी-मोटी घटनाओं को भी अंजाम दिया.
बाद में ये संगठन अपने असली रूप में सामने आ गया. खुल के औद्योगिक इकाइयां, छोटी कंपनियों, ठेकेदारों व व्यवसायियों से ये लोग रंगदारी व काम में हिस्सेदारी मांगने लगे. यह काम कोयलांचल में अब भी जारी है. जिससे यहां का माहौल पहले की तुलना में और बिगड़ता जा रहा है.
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