100 साल पुराना कजरू तालाब गायब

अपनी विलासिता के लिए हमने लगातार प्रकृति का दोहन और शोषण किया. लगातार प्रकृति से दूर होते गये. अब प्रकृति हमसे अपने शोषण की कीमत वसूल रही है. लगातार सूखा और भीषण गर्मी इसी का परिणाम है. जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी तत्व पानी लगातार खत्म हो रहे हैं. पानी के स्रोत नदी, तालाब, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2016 1:37 AM
अपनी विलासिता के लिए हमने लगातार प्रकृति का दोहन और शोषण किया. लगातार प्रकृति से दूर होते गये. अब प्रकृति हमसे अपने शोषण की कीमत वसूल रही है. लगातार सूखा और भीषण गर्मी इसी का परिणाम है. जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी तत्व पानी लगातार खत्म हो रहे हैं. पानी के स्रोत नदी, तालाब, पोखर और कुआं लगातार सूख रहे हैं. जो कुछ बचे हैं, अंतिम सांसें गिन रहे हैं
भुरकुंडा : भुरकुंडा के हुरूमगढ़ा में स्थित करीब 7,000 वर्गफुट में फैला प्रसिद्ध कजरू तालाब गायब हो गया है. भुरकुंडा बाजार स्थित शालीग्राम तालाब भी अंतिम सांसें गिन रहा है. क्षेत्र के दर्जनों नाले सूख गये हैं. क्षेत्र की तीन प्रमुख नदियों दामोदर, नलकारी और कनकनी की धारा कमजोर पड़ गयी है. इन सबका असर भुरकुंडा कोयलांचल के कुआं और चापनलों पर दिख रहा है. क्षेत्र का जलस्तर लगातार तेजी से गिर रहा है. सैकड़ों चापानल से पानी आना बंद हो गया है. कुएं सूख गये हैं. यही हाल भदानीनगर के निम्मी में स्थित सैलानियों के आकर्षण का केंद्र निम्मी झरना का भी है. पहाड़ों पर गर्जना करनेवाले इस झरने की धार संकुचित हो गयी है.
इससे क्षेत्र के खेत की नमी भी कम हो गयी है. हरी सब्जियों की खेती प्रभावित हो रही है. समय रहते ठोस योजना के साथ हालात पर काबू करने के प्रयास शुरू नहीं हुए, तो यहां के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस जायेंगे.
दुर्दशा की भेंट चढ़ा शालीग्राम तालाब
कजरू तालाब की ही तरह प्रसिद्ध भुरकुंडा का शालीग्राम तालाब भी दुर्दशा की भेंट चढ़ चुका है. किसी समय में इस तालाब के पानी का इस्तेमाल आसपास के लोग पीने व दैनिक कार्यों के लिए करते थे. लेकिन अब इस तालाब में आसपास के क्षेत्र से बहनेवाली नालियों का पानी आता है. तालाब के आसपास की भूमि का अतिक्रमण कर लिया गया है. इससे तालाब का क्षेत्रफल काफी कम हो गया है. इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए कभी भी कोई ठोस पहल नहीं हुई.
ब्लास्टिंग ने कमजोर की झरने की धार
भदानीनगर के निम्मी में पहाड़ की ऊंचाई से गिरते निम्मी झरने की धार को पहाड़ों पर होनेवाले ब्लास्टिंग ने कमजोर कर दिया है. रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान होनेवाले व्यापक ब्लास्टिंग और पहाड़ों की कटाई ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी. इसके कारण झरना अपनी खूबसूरती खो चुका है. झरने की धार काफी संकुचित हो गयी है.

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