रामगढ़ : रक्षाबंधन में भाई ने बहन को गिफ्ट किया शौचालय

रामगढ़ : प्रधानमंत्री का स्वच्छता अभियान को लेकर प्रयास अब रंग दिखाने लगा है. दो साल पहले लाल किले से नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में खुले में शौच की बुराई को समाप्त करने का आह्वान किया था. पीएम के इस अभियान से प्रेरित होकर रामगढ़ के पिंटू ने अपनी बहन को रक्षाबंधन में शौचालय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2016 8:53 AM

रामगढ़ : प्रधानमंत्री का स्वच्छता अभियान को लेकर प्रयास अब रंग दिखाने लगा है. दो साल पहले लाल किले से नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में खुले में शौच की बुराई को समाप्त करने का आह्वान किया था. पीएम के इस अभियान से प्रेरित होकर रामगढ़ के पिंटू ने अपनी बहन को रक्षाबंधन में शौचालय गिफ्ट किया है.

पिन्टू ने बताया कि " मैं समझता हूं कि खुले में शौच स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदेह है इसलिए मैंने अपने बहन को शौचालय गिफ्ट करने का सोचा. मैं चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस और ध्यान दें "गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान चलाया था. एक स्टडी के मुताबिक 57 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं.

I gifted the toilet to my sister. I want more & more people to notice this,& do the same: Pintu in Ramgarh,Jharkhand pic.twitter.com/6BLrkn402p

— ANI (@ANI_news) August 20, 2016

15 अगस्त 2014 में प्रधानमंत्री ने किया था आह्वान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भाषण में कहा था कि भाइयो-बहनो, हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं। क्या कभी हमारे मन को पीड़ा हुई कि आज भी हमारी माताओं और बहनों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है? डिग्निटी ऑफ विमेन, क्या यह हम सबका दायित्व नहीं है? बेचारी गाँव की माँ-बहनें अँधेरे का इंतजार करती हैं, जब तक अँधेरा नहीं आता है, वे शौच के लिए नहीं जा पाती हैं. उसके शरीर को कितनी पीड़ा होती होगी, कितनी बीमारियों की जड़ें उसमें से शुरू होती होंगी! क्या हमारी माँ-बहनों की इज्ज़त के लिए हम कम-से-कम शौचालय का प्रबन्ध नहीं कर सकते हैं? भाइयो-बहनो, किसी को लगेगा कि 15 अगस्त का इतना बड़ा महोत्सव बहुत बड़ी-बड़ी बातें करने का अवसर होता है. भाइयो-बहनो, बड़ी बातों का महत्व है, घोषणाओं का भी महत्व है, लेकिन कभी-कभी घोषणाएँ एषणाएँ जगाती हैं और जब घोषणाएँ परिपूर्ण नहीं होती हैं, तब समाज निराशा की गर्त में डूब जाता है.
इसलिए हम उन बातों के ही कहने के पक्षधर हैं, जिनको हम अपने देखते-देखते पूरा कर पाएँ. भाइयो-बहनो, इसलिए मैं कहता हूँ कि आपको लगता होगा कि क्या लाल किले से सफाई की बात करना, लाल किले से टॉयलेट की बात बताना, यह कैसा प्रधान मंत्री है? भाइयो-बहनो, मैं नहीं जानता हूँ कि मेरी कैसी आलोचना होगी, इसे कैसे लिया जाएगा, लेकिन मैं मन से मानता हूँ। मैं गरीब परिवार से आया हूँ, मैंने गरीबी देखी है और गरीब को इज्‍़ज़त मिले, इसकी शुरूआत यहीं से होती है. इसलिए ‘स्वच्छ भारत’ का एक अभियान इसी 2 अक्टूबर से मुझे आरम्भ करना है और चार साल के भीतर-भीतर हम इस काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं

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