विशाखापट्नम में फंसे झारखंड के मजदूरों का टूटा सब्र का बांध, पैदल ही निकले, प्रशासन ने रोका
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम में फंसे झारखंड के मजदूरों का मंगलवार को सब्र का बांध टूट गया और लगभग 600 मजदूर पैदल ही वहां से निकल पड़े. इसकी सूचना मिलने पर जिला के वरीय अधिकारियों का दल पहुंचा और मजदूरों को रोका गया. इसकी जानकारी रामगढ़ जिले के सुकरीगढ़ा के रहने वाले मजदूर महेश पटेल ने दूरभाष से दी.
रजरप्पा (रामगढ़) : आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम में फंसे झारखंड के मजदूरों का मंगलवार को सब्र का बांध टूट गया और लगभग 600 मजदूर पैदल ही वहां से निकल पड़े. इसकी सूचना मिलने पर जिला के वरीय अधिकारियों का दल पहुंचा और मजदूरों को रोका गया. इसकी जानकारी रामगढ़ जिले के सुकरीगढ़ा के रहने वाले मजदूर महेश पटेल ने दूरभाष से दी.
उन्होंने प्रभात खबर के सुरेंद्र कुमार और शंकर पोद्दार को बताया कि पिछले कई दिनों से हम सभी लोग आंध्रप्रदेश व झारखंड सरकार से घर पहुंचाने की गुहार लगा रहे थे. लेकिन हमारी बातों को कोई नहीं सुन रहा था. जिस कारण हमलोगों के समक्ष पैदल निकलने का ही विकल्प बचा था. क्योंकि जहां हमलोग काम कर रहे थे, वहां के प्रबंधन द्वारा भोजन का भी प्रबंध नहीं किया जा रहा था. साथ ही कोरोना के संक्रमण का भी खतरा बढ़ रहा है.
गौरतलब है कि लॉकडाउन के कारण झारखंड के रामगढ़, लोहरदगा, बोकारो, हजारीबाग, चतरा, पलामू, गढ़वा सहित कई जिलों के 700 मजदूर 43 दिनों से विशाखापट्नम में फंसे हुए हैं. ये सभी मजदूर विशाखापट्नम के कोडकैन फाइन केमिकल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (ग्राम केशवराम वेंकटनग्राम पायकरपेट) में काम करने गये थे.
स्थानीय प्रशासन ने दो दिनों का मांगा वक्त
मजदूर ने बताया कि हमलोग लेबर कॉलोनी से निकल कर पैदल ही 10-12 किलोमीटर तक चल आये थे. इस बीच जिले के कई वरीय अधिकारी बड़ी संख्या में पुलिस बल के जवानों के साथ पहुंचे और हमलोगों को समझाया. लेकिन मजदूर वापस कॉलोनी लौटना नहीं चाह रहे थे. इन्हें एक विद्यालय में रुकने का विकल्प दिया. लेकिन मजदूर नहीं माने. तत्पश्चात अधिकारियों ने मजदूरों से दो दिनों की मोहलत मांगी और कहा कि आपलोगों को दो दिनों के अंदर रेलगाड़ी या बस से झारखंड भेजा जायेगा. इसके बाद मजदूरों ने अधिकारियों के आश्वासन को माना और वापस कॉलोनी लौट गये.