पीवीयूएनएल के खिलाफ ग्रामीणों का घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन.

पीवीयूएनएल के खिलाफ ग्रामीणों का घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन.

By Prabhat Khabar News Desk | January 21, 2025 10:55 PM

पतरातू. विस्थापित प्रभावित संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पीवीयूएनएल से विस्थापित प्रभावित गांव के ग्रामीणों ने मंगलवार को पीवीयूएनएल पतरातू लेबर गेट के समक्ष 14 सूत्री मांगों को लेकर घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन किया. अध्यक्षता आदित्य नारायण प्रसाद ने की. धरना में शामिल लोगों ने कंपनी की मनमानी का विरोध करते हुए ग्रामीणों की उपेक्षा बंद करने व बाहरी लोगों की बहाली पर रोक लगाने की मांग की. वक्ताओं ने कहा कि पीवीयूएनएल हमारी धरती पर चार हजार मेगावाट का पावर प्लांट लगा रही है. हमें हमारा अधिकार मिलना चाहिए. वक्ताओं ने कहा कि कंपनी विस्थापित प्रभावितों को स्थायी नौकरी देने का काम करे. बलकुदरा, रसदा, जयनगर व गेगदा के ग्रामीणों से सहमति बना कर ही छाई डैम का काम शुरू करे. ग्रामीण महिलाओं को भी उनकी योग्यतानुसार रोजगार दे. कंपनी की एजेंसियों में न्यूनतम मजदूरी भुगतान सुनिश्चित करे. ऐसा नहीं होने पर आनेवाले दिनों में संपूर्ण नाकाबंदी के अलावा टाउनशिप तालाबंदी, पानी रोको, रेल लाइन काम रोको आंदोलन भी शुरू कर दिया जायेगा. मोर्चा प्रतिनिधियों ने कहा कि 20 जनवरी को सीओ की मध्यस्थता में प्रबंधन के साथ वार्ता हुई थी. वार्ता में जिन मुद्दों पर सहमति बन गयी थी, कंपनी से उसका लिखित मांगा गया था, लेकिन कंपनी ने लिखित में कुछ नहीं दिया है. इससे जाहिर हो रहा है कि कंपनी की नीति व नीयत ठीक नहीं है. धरना में कुमेल उरांव, राजाराम प्रसाद, अब्दुल क्यूम अंसारी, किशोर कुमार महतो, प्रदीप महतो, कौलेश्वर महतो, विजय मुंडा, अलीम अंसारी, सुरेश साहू, प्रियनाथ मुखर्जी, मनु मुंडा, भरत मांझी, चरण सोरेन, विकास जायसवाल, परमानंद राजीव, भरत साव, ननकू मुंडा, रामकुमार मुंडा, नंदकिशोर महतो, नागेश्वर महतो, कुशल उरांव, प्रकाश कुमार, रॉकी मुंडा, प्रेम मुंडा, पंचम साव, सुमेल उरांव, प्रदीप मुंडा, किशोर प्रसाद, अशोक महतो, अब्बास अंसारी, नरेश महतो आदि शामिल थे.

ग्रामीणों के आंदोलन को मेरा पूर्ण समर्थन : विधायक.

धरना में मोर्चा के समर्थन में पहुंचे विधायक रोशनलाल चौधरी ने कहा कि ग्रामीण अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं. इन्हें मेरा पूर्ण समर्थन है. इनकी समस्याओं का समाधान प्रबंधन ने नहीं किया, तो इस बार आर-पार की लड़ाई होगी. यदि कंपनी शांतिपूर्ण प्लांट निर्माण कराना चाहती है, तो ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान करना ही होगा.

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