रामगढ़ : 14 एकड़ भूमि पर खेती कर रहे हैं दुधेश्वर, पर पानी की कमी से मर रही है फसल
यदि कुआं में पानी की मात्रा कम है, तो किसानों को टपक सिंचाई विधि को अपनाना चाहिए. टपक सिंचाई विधि को अपनाने से पानी का बचत होता है.
चैनपुर : आम तौर पर पढ़ाई- लिखाई करने के बाद लोग खेती से दूरी बना कर बाहर पढ़ने चले जाते हैं, लेकिन बड़गांव पंचायत के भुइयांडीह निवासी दूधेश्वर यादव (पिता विशुन गोप) करीब 14 एकड़ भूमि को लीज पर लेकर खेती कर रहे हैं. पानी के बिना टमाटर और शिमला मिर्च की फसल मर रही है. इससे वह काफी परेशान हैं. उन्होंने बैंक से करीब एक लाख व अन्य राशि खेती में लगा दी. खराब हो रही फसल को देख कर दूधेश्वर ने कहा कि बरसात के पानी को देख कर टमाटर व शिमला मिर्च की खेती की थी. इस ठंड के मौसम में उसका अच्छा दाम मिलेगा, लेकिन पानी की कमी के कारण अब हमारी फसल पूरी तरह मर रही है. जमीन के आस-पास कोई कुआं भी नहीं है.
कृषि विज्ञान केंद्र मांडू के वैज्ञानिक :
मांडू कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ इंद्रजीत ने बताया कि मुरझा बीमारी के कारण भी टमाटर का पौधा मरने लगता है. स्टेट्रो साइकलिंग और ब्लू कॉपर का घोल बना कर टमाटर की जड़ में देने से टमाटर का पौधा बचाया जा सकता है. यदि कुआं में पानी की मात्रा कम है, तो किसानों को टपक सिंचाई विधि को अपनाना चाहिए. टपक सिंचाई विधि को अपनाने से पानी का बचत होता है.
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