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रामगढ़ के किसान चंदू आत्मनिर्भर बनने की सीखा रहे हैं गुर

Ramgarh news, Jharkhand news : उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद सभी चाहते हैं कि अच्छी नौकरियों में जाये. लेकिन, रामगढ़ जिला अंतर्गत कुजू के करमा गांव का एक युवा अपना करियर खेती को चुना. नागेश्वर महतो उर्फ चंदू अपनी पुस्तैनी जमीन के अलावे 6000 रुपये प्रति एकड़ की दर से 8 एकड़ जमीन लीज लिया. सभी जमीर बंजर थे, लेकिन चंदू ने अपने प्रयास से इस जमीन को उपजाऊ बना दिया.

Ramgarh news, Jharkhand news : कुजू (धनेश्वर प्रसाद ): उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद सभी चाहते हैं कि अच्छी नौकरियों में जाये. लेकिन, रामगढ़ जिला अंतर्गत कुजू के करमा गांव का एक युवा अपना करियर खेती को चुना. नागेश्वर महतो उर्फ चंदू अपनी पुस्तैनी जमीन के अलावे 6000 रुपये प्रति एकड़ की दर से 8 एकड़ जमीन लीज लिया. सभी जमीर बंजर थे, लेकिन चंदू ने अपने प्रयास से इस जमीन को उपजाऊ बना दिया. आज 4 एकड़ में करेला, बैंगन, खीरा, झिंगी, मिर्चा, टमाटर आदि सब्जियों की खेती कर रहे हैं. वहीं, शेष जमीन पर अन्य फसलों का उत्पादन कर रहे हैं.

रांची यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई करने वाले करमा के नागेश्वर महतो उर्फ चंदू कृषि को रोजगार से जोड़ कर अपनी कमाई का जरिया तलाशने में जुटे हैं. ये उन युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गये हैं, जो अपनी खुद की जमीन होने के बाद भी खेती-किसानी में अपनी करियर बनाने से डरते हैं.

चंदू ने अपने अथक प्रयास से अपनी बंजर जमीन पर हरियाली ला दी है. खेती से प्रभावित होकर सरकार चंदू को प्रशिक्षण के लिए इजराइल भेजे जाने के लिए सेलेक्ट भी किया था, लेकिन लॉकडाउन के कारण फिलहाल कार्यक्रम स्थगित हो गया.

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हर दिन करीब 3 क्विंटल निकल रही है सब्जियां

चंदू अपने खेतों से हर दिन करीब 3 क्विंटल सब्जियां निकाल रहे हैं. इसमें करीब 4 लाख रुपये की लागत आयी है. चंदू के खेतों से निकलने वाली सब्जियां बाजारों में आसानी से बिक रही है. इससे उम्मीद जगी है कि खेती-बारी में खर्च हुई रकम सहित अच्छी आमदनी होगी.

टपक विधि से करें खेती

प्रगतिशील किसान चंदू कहते हैं कि बेकार पड़ी जमीन पर टपक विधि से खेती किया. उन्होंने क्षेत्र के किसानों को सलाह दी है कि अगर टपक विधि से कोई खेती करना चाहे, तो सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी पड़ती है. साथ ही खाद उर्वरक डालने के साथ मोटे- मोटे मेढ़ बनानी होती है. इसके ऊपर प्लास्टिक ढक्कर ग्लास से काटना होता है. इसके बाद ही बीज की बुआई की जाती है. इससे फसलों का उत्पादन बेहतर होता है. इस विधि से बनायी गयी मेढ़ से तीन बार खेती की जा सकती है.

खेती-बारी से हो सकते हैं आत्मनिर्भर : चंदू

करमा बरमसिया के नागेश्वर महतो उर्फ चंदू बताते हैं कि जब वह एमए की पढ़ाई कर रहे थे उसमें रूरल डेवलपमेंट (आरडी ) भी एक विषय था. इस वजह से खेती की तकनीकों की जानकारी के लिए क्षेत्र के किसानों के पास जाना पड़ता था. उन्होंने कहा कि खेती-बारी को अपना करियर बनाना वर्तमान समय की जरूरत है. उच्च शिक्षा का फायदा यह हो रहा है कि जहां कृषि विशेषज्ञों से जुड़ने का मौका मिलता है, वहीं खेती-किसानी की हर एक पहलुओं को समझने में काफी आसानी भी होती है. उन्होंने युवाओं से अपील की है कि आप भी खेती-बारी में अपना करियर बना कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं.

Posted By : Samir ranjan.

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